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This Article is From Oct 17, 2024

वही पिस्तौल! पहले अतीक, फिर बाबा सिद्दीकी, गैंगस्टरों का 'जिगाना' से क्यों है याराना

जिगाना पिस्तौल को सबसे पहले 2001 में बनाया गया था. इस पिस्तौल का उत्पादन बेहद कम संख्या में किया जाता है. इसका डिजाइन तुर्की में बने अन्य पिस्तौलों से काफी अलग है. एक झलक में देखने तो लगता है कि ये एक यूरोपियन पिस्तौल है. 

वही पिस्तौल! पहले अतीक, फिर बाबा सिद्दीकी, गैंगस्टरों का 'जिगाना' से क्यों है याराना
बाबा सिद्दीकी की हत्या में तुर्की में बने पिस्तौल जिगाना का हुआ था इस्तेमाल
नई दिल्ली:

NCP के अजित पवार गुट के नेता रहे बाबा सिद्दीकी की हत्या को लेकर हर बीतते दिन के साथ बड़े खुलासे हो रहे हैं. इस हत्याकांड की जांच कर रही पुलिस से जुड़े सूत्रों के अनुसार जांच के दौरान पता चला है कि आरोपियों ने बाबा सिद्दीकी की हत्या के लिए तुर्की निर्मित जिगाना पिस्तौल का इस्तेमाल किया था. बाबा सिद्दीकी हत्याकांड मामले में जांच के दौरान पुलिस को घटना स्थल से कुछ दूरी पर जिगाना पिस्तौल के साथ एक बैग मिला था जिसमें 30 गोलियां थी. पुलिस अधिकारियों ने बताया था कि आरोपियों ने इस घटना को अंजाम देने के बाद इस बैक को भागते समय फेंका था. पुलिस ने इस हत्याकांड में एक और आरोपी को बुधवार को यूपी से गिरफ्तार किया है. आपको बता दें कि इस जिगाना पिस्तौल का जिक्र प्रयागराज में अतीक अहमद की हत्या के दौरान भी हुआ था. उस दौरान भी पुलिस ने बताया कि था जिन लोगों ने अतीक की हत्या की थी उन्होंने ने तुर्की में निर्मित इसी पिस्तौल का इस्तेमाल किया था. अब ऐसे में ये जानना जरूरी है कि अपराधी इस पिस्तौल का ही इतना इस्तेमाल क्यों करते हैं और इस पिस्तौल में ऐसी क्या खासियत है. 

भारत में जिगाना पिस्तौल है बैन 

तुर्की में बना जिगाना पिस्तौल काफी घातक हथियारों में से एक है.यही वजह है कि इस पिस्तौल का इस्तेमाल किसी हाईप्राफाइल टारगेट को हिट करने के लिए खास तौर पर किया जा रहा है. बाबा सिद्दीकी की हत्या के लिए भी आरोपियों ने इसी पिस्तौल का इस्तेमाल किया था. आपको बता दें कि तुर्की में बनी ये पिस्तौल भारत में बैन है. अगर बात इसकी कीमत की करें तो भारत में इसकी कीमत छह से सात लाख रुपये के बीच बताई जाती है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस पिस्तौल को सबसे पहले 2001 में बनाया गया था. इस पिस्तौल का उत्पादन बेहद कम संख्या में किया जाता है. इस पिस्तौल की डिजाइन तुर्की में बने अन्य पिस्तौलों से काफी अलग है. एक झलक में देखने तो लगता है कि ये एक यूरोपियन पिस्तौल है. 

350 मीटर तक है जिगाना का रेंज

अगर बात जिगाना पिस्तौल की रेंज की करें तो इसकी मारक क्षमता 350 मीटर तक की है. यानी अगर कोई शख्स 350 मीटर दूर भी खड़ा है तो ये इतनी दूर से भी उसे मौत के घाट उतार सकता है. बीते कुछ समय में इस पिस्तौल में कुछ मोडिफिकेशन भी किए गए हैं. अब यह पिस्तौल एक ब्राउनिंग-टाइप लॉकिंग सिस्टम के साथ लॉक्ड ब्रीच, शॉर्ट रिकॉइल ऑपरेटेड हथियार है. इस पिस्तौल में इसके बैरल को एक बड़े लग के जरिए स्लाइड से जोड़ा जाता है. वहीं, इसका ट्रिगर एक डबल-एक्शन मैकेनिज्म है.इस पिस्तौल में ऑटोमेटिक फायरिंग पिन ब्लॉक भी होता है. 

इस वजह से है ये खास

अगर आपको ऐसा लग रहा हो कि इस पिस्तौल का इस्तेमाल तो सिर्फ अपराधी ही करते हैं तो आप गलत है. दरअसल, विश्व के कई देशों की सेना भी इस पिस्तौल का इस्तेमाल करती हैं. जिगाना पिस्तौल का बैरल 130 एमएम तक बढ़ाया गया है. इसके बाद एक जिगाना के पिस्तौल भी है जो जिगाना टी से छोटी है और इसका बैरल 103 एमएम की है. एक और तरह की जिगाना पिस्तौल होती है जो एमआई6 पिस्तौल है. इसमें एक अंडरबैरल डस्टकवर भी होता है. इस पिस्तौल का बैरल 126 एमएम का होता है. ये तीनों तरह की जिगाना पिस्तौल डबल स्टैक मैगजीन का प्रयोग करत हैं. इन पिस्तौल से एक बार में 15 से 17 राउंड की फायरिंग की जा सकती है. यानी अगर किसी ने अपने टारगेट को हिट करना शुरू किया तो उसका बच पाना बेहद मुश्किल माना जाता है. 

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