युवराज सिंह ने कटक में लगभग 6 साल बाद वनडे शतक लगाया (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
'हाई बैकलिफ्ट' वाले युवराज सिंह (Yuvraj Singh) का बल्ला जब पूरे जोर से गेंद पर पड़ता है, तो वह पलक झपकते ही बाउंड्री पार कर जाती है. कुछ ऐसा ही कटक वनडे में गुरुवार को देखने को मिला, जब हमने युवराज सिंह को काफी दिनों बाद उनकी पुरानी लय में देखा, जिसके लिए कि वह जाने जाते रहे हैं. वास्तव में वर्ल्ड कप 2011 के बाद से हमें उनका यह रूप देखने को नहीं मिला था और फैन्स लंबे समय से इसका इंतजार कर रहे थे. फैन्स ही क्यों खुद युवी को भी अपने इसी फॉर्म की तलाश थी, जो कैंसर के खिलाफ लड़ाई जीतने के बाद मैदान में वापसी के बाद से नदारद था. उन्होंने कई बार टीम में वापसी की, लेकिन वह चल नहीं पाए. इससे उन पर हताशा हावी हो रही थी और एक समय तो वह क्रिकेट से रिटायर होने के बारे में भी सोचने लगे थे. हमने उनके टीम में चयन के समय ही कहा था कि युवराज सिंह को यह लाइफलाइन मिली है और अब उनकी असली अग्निपरीक्षा होगी. हालांकि इस बार उन्होंने इसमें सफल होने के संकेत दे दिए हैं...
कैंसर से जीते, लेकिन नहीं दिखी थी पुरानी धार...
टीम इंडिया को टी-20 वर्ल्ड कप, 2007 जिताने में अहम भूमिका निभाने के बाद युवी ने साल 2011 के वनडे वर्ल्ड कप में भी बल्ले और गेंद दोनों से ऐसा खेल दिखाया कि उन्हें टूर्नामेंट का बेस्ट खिलाड़ी घोषित किया गया. इस टूर्नामेंट के दौरान ही युवराज को कैंसर ने घेर लिया और मैदान पर ही कई बार वह खांसते हुए नजर आए, लेकिन उन्होंने इसका असर अपने गेम पर नहीं पड़ने दिया. वर्ल्ड कप के बाद जब उनकी जांच हुई, तो कैंसर का पता चला. उन्होंने कैंसर का इलाज कराया और लंबे संघर्ष के बाद क्रिकेट के मैदान पर 2012 में न्यूजीलैंड के खिलाफ टी-20 सीरीज से वापसी की, लेकिन उनकी फिटनेस और बल्लेबाजी में वह धार नहीं दिखी, जो उनकी खासियत थी.
यवुराज सिंह ने आखिरी वनडे 2013 में खेला था. इसके बाद उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ वर्तमान सीरीज में ही पुणे में खेलने का मौका मिला, लेकिन वह उसमें नहीं चले, फिर भी कप्तान विराट कोहली ने उन पर भरोसा बनाए रखा और कटक वनडे में भी मौका दिया. इस बार युवराज सिंह ने मौका हाथ से नहीं जाने दिया और 150 रनों की अपनी बेस्ट पारी खेल दी.
लगने लगा था खेलना जारी रखूं कि नहीं...
इंग्लैंड के खिलाफ कैरियर बेस्ट पारी खेलने के बाद युवराज सिंह ने कहा, ‘एक समय ऐसा भी था जब मुझे लगने लगा था कि मुझे खेलते रहना चाहिए या नहीं. हालांकि कई लोगों ने इस सफर में मेरी मदद की. मेरा हौसला बनाए रखा. फिर मेरा सिद्धांत तो कभी हार नहीं मानने का रहा है. मैं कभी हार नहीं मानता. मैं मेहनत करता रहा और मुझे पता था एक दिन समय बदलेगा.’
युवराज सिंह कटक से पहले पिछला वनडे शतक 2011 के वर्ल्ड कप में वेस्टइंडीज के खिलाफ लगाया था. कटक में शतक लगाने के बाद भावुक युवराज सिंह ने आत्मविश्वास और विराट कोहली को लेकर कहा, ‘जब आपको टीम और कप्तान का भरोसा हासिल हो तो आत्मविश्वास आ ही जाता है. विराट ने मुझ पर काफी भरोसा दिखाया है और मेरे लिए यह काफी अहम है कि ड्रेसिंग रूम में लोगों को मुझ पर भरोसा हो.’ युवराज सिंह की धमाकेदार पारी में एमएस धोनी का अहम रोल रहा, जिन्होंने एक छोर संभाले रखा (फाइल फोटो)
युवराज सिंह को वनडे में खेलने के मौका भले ही 2013 के बाद मिला हो, लेकिन उन्हें टी-20 में खेलने के कई मौके मिले. साल 2014 में वह टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में अंतिम समय में टीम इंडिया को जीत नहीं दिला पाए थे और इस हार की वजह से युवराज को टीम इंडिया से बाहर जाना पड़ा था.
फिटनेस पर की कड़ी मेहनत
युवराज सिंह ने वर्ल्ड कप 2011 के बाद की 17 पारियों में बेहद खराब औसत 18.32 से रन बनाए थे और उनकी फिटनेस का लेवल भी काफी खराब था, जिसमें उन्होंने अब काफी सुधार कर लिया और रणजी ट्रॉफी में शानदार पारियां (बड़ौदा के खिलाफ 260 रन) खेलीं.
युवराज सिंह ने कहा, ‘मुझे शतक बनाए (इंटरनेशनल क्रिकेट में) लंबा समय हो गया था. मैं कैंसर से उबरकर खेल में लौटा हूं और पहले दो-तीन साल काफी कठिन थे. मुझे फिटनेस पर मेहनत करनी पड़ी और मैं टीम से भीतर बाहर होता रहा. मेरी जगह टीम में पक्की नहीं रही.’
कटक वनडे में युवराज सिंह खुद को साबित करके एक बार फिर टीम में जगह पक्की कर ली है.. कैंसर को भी मात दे चुके लड़ाके के लिए यह पारी इंटरनेशनल क्रिकेट में लंबे समय तक बनाए रखने में मददगार साबित होगी...
कैंसर से जीते, लेकिन नहीं दिखी थी पुरानी धार...
टीम इंडिया को टी-20 वर्ल्ड कप, 2007 जिताने में अहम भूमिका निभाने के बाद युवी ने साल 2011 के वनडे वर्ल्ड कप में भी बल्ले और गेंद दोनों से ऐसा खेल दिखाया कि उन्हें टूर्नामेंट का बेस्ट खिलाड़ी घोषित किया गया. इस टूर्नामेंट के दौरान ही युवराज को कैंसर ने घेर लिया और मैदान पर ही कई बार वह खांसते हुए नजर आए, लेकिन उन्होंने इसका असर अपने गेम पर नहीं पड़ने दिया. वर्ल्ड कप के बाद जब उनकी जांच हुई, तो कैंसर का पता चला. उन्होंने कैंसर का इलाज कराया और लंबे संघर्ष के बाद क्रिकेट के मैदान पर 2012 में न्यूजीलैंड के खिलाफ टी-20 सीरीज से वापसी की, लेकिन उनकी फिटनेस और बल्लेबाजी में वह धार नहीं दिखी, जो उनकी खासियत थी.
यवुराज सिंह ने आखिरी वनडे 2013 में खेला था. इसके बाद उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ वर्तमान सीरीज में ही पुणे में खेलने का मौका मिला, लेकिन वह उसमें नहीं चले, फिर भी कप्तान विराट कोहली ने उन पर भरोसा बनाए रखा और कटक वनडे में भी मौका दिया. इस बार युवराज सिंह ने मौका हाथ से नहीं जाने दिया और 150 रनों की अपनी बेस्ट पारी खेल दी.
लगने लगा था खेलना जारी रखूं कि नहीं...
इंग्लैंड के खिलाफ कैरियर बेस्ट पारी खेलने के बाद युवराज सिंह ने कहा, ‘एक समय ऐसा भी था जब मुझे लगने लगा था कि मुझे खेलते रहना चाहिए या नहीं. हालांकि कई लोगों ने इस सफर में मेरी मदद की. मेरा हौसला बनाए रखा. फिर मेरा सिद्धांत तो कभी हार नहीं मानने का रहा है. मैं कभी हार नहीं मानता. मैं मेहनत करता रहा और मुझे पता था एक दिन समय बदलेगा.’
युवराज सिंह कटक से पहले पिछला वनडे शतक 2011 के वर्ल्ड कप में वेस्टइंडीज के खिलाफ लगाया था. कटक में शतक लगाने के बाद भावुक युवराज सिंह ने आत्मविश्वास और विराट कोहली को लेकर कहा, ‘जब आपको टीम और कप्तान का भरोसा हासिल हो तो आत्मविश्वास आ ही जाता है. विराट ने मुझ पर काफी भरोसा दिखाया है और मेरे लिए यह काफी अहम है कि ड्रेसिंग रूम में लोगों को मुझ पर भरोसा हो.’
युवराज सिंह को वनडे में खेलने के मौका भले ही 2013 के बाद मिला हो, लेकिन उन्हें टी-20 में खेलने के कई मौके मिले. साल 2014 में वह टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में अंतिम समय में टीम इंडिया को जीत नहीं दिला पाए थे और इस हार की वजह से युवराज को टीम इंडिया से बाहर जाना पड़ा था.
फिटनेस पर की कड़ी मेहनत
युवराज सिंह ने वर्ल्ड कप 2011 के बाद की 17 पारियों में बेहद खराब औसत 18.32 से रन बनाए थे और उनकी फिटनेस का लेवल भी काफी खराब था, जिसमें उन्होंने अब काफी सुधार कर लिया और रणजी ट्रॉफी में शानदार पारियां (बड़ौदा के खिलाफ 260 रन) खेलीं.
युवराज सिंह ने कहा, ‘मुझे शतक बनाए (इंटरनेशनल क्रिकेट में) लंबा समय हो गया था. मैं कैंसर से उबरकर खेल में लौटा हूं और पहले दो-तीन साल काफी कठिन थे. मुझे फिटनेस पर मेहनत करनी पड़ी और मैं टीम से भीतर बाहर होता रहा. मेरी जगह टीम में पक्की नहीं रही.’
कटक वनडे में युवराज सिंह खुद को साबित करके एक बार फिर टीम में जगह पक्की कर ली है.. कैंसर को भी मात दे चुके लड़ाके के लिए यह पारी इंटरनेशनल क्रिकेट में लंबे समय तक बनाए रखने में मददगार साबित होगी...
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