आईपीएल में भी यूसुफ पठान कई जबर्दस्त पारियां खेल चुके हैं (फाइल फोटो)
क्रिकेट जगत में यूसुफ पठान की पहचान गेंद पर निर्ममता से प्रहार करने वाले ऐसे खिलाड़ी की है जो चंद मिनटों में ही किसी भी मैच की तस्वीर बदल सकता है. यूसुफ पठान और उनके छोटे भाई इरफान को एक समय भारतीय क्रिकेट की भाइयों की सबसे प्रतिभावान जोड़ी माना जाता था. ये दोनों ही गेंदबाजी और बल्लेबाजी, दोनों में समान रूप से दक्ष थे. यूसुफ ताबड़तोड़ बल्लेबाजी के अलावा ऑफ स्पिन गेंदबाजी भी करते हैं और शॉर्टर फॉर्मेट के लिहाज से बेहद उपयोगी माने जाते रहे हैं.
यूसुफ के कई शॉट तो इतने ताकतवर होते हैं कि गेंद स्टेडियम के ही बाहर हो जाती है. वनडे मैचों में दो शतक और तीन अर्धशतक उनके नाम पर दर्ज हैं. इसे यूसुफ और टीम इंडिया का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि वे टीम इंडिया के नियमित सदस्य नहीं बन सके. इसका कारण उनके प्रदर्शन में स्थिरता का अभाव और गेंदबाज के रूप में उनका ज्यादा प्रभावी साबित नहीं होना है.
क्रिकेट के जानकारों के दिमाग में वर्ष 2011 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सेंचुरियन में खेली गई यूसुफ की शतकीय पारी की याद शायद अभी भी ताजा होगी. इस वनडे पारी के दौरान यूसुफ ने 'पठानी जज्बा' दिखाते हुए अकेले दम पर मैच का परिणाम बदलने का नाकाम प्रयास किया था. मैच में दक्षिण अफ्रीका के 250 रन (46 ओवर) बनाए थे लेकिन बारिश के कारण भारतीय लक्ष्य को पुनर्निधारित कर 268 रन कर दिया था. जवाब में बल्लेबाजी करते हुए टीम इंडिया ने 119 रन के स्कोर पर ही आठ विकेट गंवा दिए थे. ऐसा लग रहा था कि टीम बड़े अंतर से मैच हारने वाली है, लेकिन तभी यूसुफ पठान ने किसी तूफान की तरह दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजी को तहस-नहस कर डाला. महज 70 गेंदों पर उन्होंने आठ चौकों और आठ ही छक्कों की मदद से 105 रन बना डाले थे. यूसुफ ने मैच में जहीर के साथ नौवें विकेट के लिए करीब 13 ओवर में सौ रन जोड़े थे.
यूसुफ जब तक विकेट पर थे, भारत की जीत संभव लग रही थी लेकिन नौवें विकेट के रूप में उनके आउट होते ही भारतीय चुनौती ने दम तोड़ दिया. भारतीय टीम आखिरकार 40.2ओवर में 234 रन बनाकर आउट हुई और 33 रन से मैच हार गई लेकिन यूसफ ने अपनी बिंदास बल्लेबाजी से सबका दिल जीत लिया. वनडे में ही एक अन्य मौके पर इस 'सीनियर पठान' ने न्यूजीलैंड के खिलाफ 123 रन ( 96गेंद, सात चौके और सात छक्के, स्ट्राइक रेट 128.12) की जबर्दस्त पारी खेली थी और 300 रन से अधिक के मैच में टीम इंडिया को जीत दिलाई थी.
17 नवंबर 1982 को गुजरात के वडोदरा में जन्मे यूसुफ ने जोहानिसबर्ग में एक बेहद अहम टी-20मैच से अपने इंटरनेशनल करियर का आगाज किया. न सिर्फ यह टी20 वर्ल्डकप-2007 का फाइनल मैच था बल्कि इस मायने में और अहम हो गया था कि यह प्रबल प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ था. इंटरनेशनल करियर का यह पहला मैच यूसुफ के लिए यादगार बन गया. टीम इंडिया ने पाकिस्तान को पांच रन से हराकर वर्ल्ड चैंपियन बनने का गौरव पाया और यूसुफ के छोटे भाई इरफान इस फाइनल के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रहे. इरफान ने मैच में चार ओवर में 16 रन देकर तीन पाकिस्तानी बल्लेबाजों को पेवेलियन लौटाया था.
जहां तक यूसुफ की बात है तो उन्होंने इस मैच में भारतीय पारी की शुरुआत करते हुए महज 8 गेंदों पर एक चौके और एक छक्के की मदद से 15 रन बनाए थे. यूसुफ ने अब तक 57 वनडे मैचों में 27.00 के औसत से 810 रन (दो शतक) बनाए हैं, 33 विकेट (औसत 41.36) भी उनके नाम पर दर्ज हैं. 22 टी20 मैचों में उन्होंने 18.15 के औसत से 236 रन बनाने के अलावा 33.69 के औसत से 13 विकेट लिए हैं. यूसफ टीम इंडिया के ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने टी20 और वनडे, दोनों में करियर का आगाज पाकिस्तानी टीम के खिलाफ किया. वनडे करियर का शुरुआती मैच उन्होंने जून 2008 में पाकिस्तान के खिलाफ ढाका (न्यूट्रल वेन्यू) में खेला.
यूसुफ के कई शॉट तो इतने ताकतवर होते हैं कि गेंद स्टेडियम के ही बाहर हो जाती है. वनडे मैचों में दो शतक और तीन अर्धशतक उनके नाम पर दर्ज हैं. इसे यूसुफ और टीम इंडिया का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि वे टीम इंडिया के नियमित सदस्य नहीं बन सके. इसका कारण उनके प्रदर्शन में स्थिरता का अभाव और गेंदबाज के रूप में उनका ज्यादा प्रभावी साबित नहीं होना है.
क्रिकेट के जानकारों के दिमाग में वर्ष 2011 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सेंचुरियन में खेली गई यूसुफ की शतकीय पारी की याद शायद अभी भी ताजा होगी. इस वनडे पारी के दौरान यूसुफ ने 'पठानी जज्बा' दिखाते हुए अकेले दम पर मैच का परिणाम बदलने का नाकाम प्रयास किया था. मैच में दक्षिण अफ्रीका के 250 रन (46 ओवर) बनाए थे लेकिन बारिश के कारण भारतीय लक्ष्य को पुनर्निधारित कर 268 रन कर दिया था. जवाब में बल्लेबाजी करते हुए टीम इंडिया ने 119 रन के स्कोर पर ही आठ विकेट गंवा दिए थे. ऐसा लग रहा था कि टीम बड़े अंतर से मैच हारने वाली है, लेकिन तभी यूसुफ पठान ने किसी तूफान की तरह दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजी को तहस-नहस कर डाला. महज 70 गेंदों पर उन्होंने आठ चौकों और आठ ही छक्कों की मदद से 105 रन बना डाले थे. यूसुफ ने मैच में जहीर के साथ नौवें विकेट के लिए करीब 13 ओवर में सौ रन जोड़े थे.
यूसुफ जब तक विकेट पर थे, भारत की जीत संभव लग रही थी लेकिन नौवें विकेट के रूप में उनके आउट होते ही भारतीय चुनौती ने दम तोड़ दिया. भारतीय टीम आखिरकार 40.2ओवर में 234 रन बनाकर आउट हुई और 33 रन से मैच हार गई लेकिन यूसफ ने अपनी बिंदास बल्लेबाजी से सबका दिल जीत लिया. वनडे में ही एक अन्य मौके पर इस 'सीनियर पठान' ने न्यूजीलैंड के खिलाफ 123 रन ( 96गेंद, सात चौके और सात छक्के, स्ट्राइक रेट 128.12) की जबर्दस्त पारी खेली थी और 300 रन से अधिक के मैच में टीम इंडिया को जीत दिलाई थी.
17 नवंबर 1982 को गुजरात के वडोदरा में जन्मे यूसुफ ने जोहानिसबर्ग में एक बेहद अहम टी-20मैच से अपने इंटरनेशनल करियर का आगाज किया. न सिर्फ यह टी20 वर्ल्डकप-2007 का फाइनल मैच था बल्कि इस मायने में और अहम हो गया था कि यह प्रबल प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ था. इंटरनेशनल करियर का यह पहला मैच यूसुफ के लिए यादगार बन गया. टीम इंडिया ने पाकिस्तान को पांच रन से हराकर वर्ल्ड चैंपियन बनने का गौरव पाया और यूसुफ के छोटे भाई इरफान इस फाइनल के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रहे. इरफान ने मैच में चार ओवर में 16 रन देकर तीन पाकिस्तानी बल्लेबाजों को पेवेलियन लौटाया था.
जहां तक यूसुफ की बात है तो उन्होंने इस मैच में भारतीय पारी की शुरुआत करते हुए महज 8 गेंदों पर एक चौके और एक छक्के की मदद से 15 रन बनाए थे. यूसुफ ने अब तक 57 वनडे मैचों में 27.00 के औसत से 810 रन (दो शतक) बनाए हैं, 33 विकेट (औसत 41.36) भी उनके नाम पर दर्ज हैं. 22 टी20 मैचों में उन्होंने 18.15 के औसत से 236 रन बनाने के अलावा 33.69 के औसत से 13 विकेट लिए हैं. यूसफ टीम इंडिया के ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने टी20 और वनडे, दोनों में करियर का आगाज पाकिस्तानी टीम के खिलाफ किया. वनडे करियर का शुरुआती मैच उन्होंने जून 2008 में पाकिस्तान के खिलाफ ढाका (न्यूट्रल वेन्यू) में खेला.
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