
सचिन तेंदुलकर ने सौरव गांगुली की यह तस्वीर ट्वीट की थी (फाइल फोटो : © Twitter)
हाल ही में एक कार्यक्रम में राहुल द्रविड़ ने बताया था कि स्कूल के दिनों में वे भारत के पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी संदीप सोमेश के साथ हॉकी खेलते थे, लेकिन जब उनके हॉकी कोच शिव प्रकाश ने उनका खेल देखकर उनकी प्लेइंग पोजिशन सेंटर हॉफ से बदलकर राइट हॉफ कर दी, तो उन्हें महसूस हुआ कि हॉकी उनके लिए नहीं है। द्रविड़ ने यह बात कनार्टक हॉकी संघ द्वारा सोमवार को 'बेंगलुरू कप 2015' की घोषणा के लिए आयोजित कार्यक्रम में कही।
राहुल द्रविड़ ही नहीं सचिन तेंदुलकर, वनडे कैप्टन एमएस धोनी जैसे कई क्रिकेटर हैं, जिनका शौक कोई अन्य खेल था, लेकिन अंत में उन्होंने अपना करियर क्रिकेट को चुना। आइए जानते हैं ऐसे ही क्रिकेट सितारों के बारे में :
सचिन तेंदुलकर - बड़े भाई ने क्रिकेट की ओर प्रेरित किया
तेंदुलकर को बचपन से ही टेनिस से प्यार था। टेनिस के प्रति सचिन का यह लगाव आज भी देखा जा सकता है। सचिन ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट देखना नहीं भूलते। वे टेनिस प्लेयर बनना चाहते थे, लेकिन उनके बड़े भाई अजित तेंदुलकर ने उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित किया और उनको कोच रमाकांत आचरेकर से मिलवाया। गुरु आचरेकर ने उनका रुझान क्रिकेट की ओर कर दिया, फिर यही उनका पसंदीदा गेम बन गया।
सौरव गांगुली - फुटबॉल छोड़ रम गए क्रिकेट में
कोलकाता में फुटबॉल का अपना स्थान है। गांगुली भी इससे अछूते नहीं रहे। हो भी क्यों न, उन्होंने बचपन से ही फुटबॉल देखना जो शुरू कर दिया था। हालांकि उनकी मां उन्हें स्पोर्ट्स में नहीं जाने देना चाहतीं थी। उनके बड़े भाई स्नेहाशीष गांगुली पहले से ही स्थापित क्रिकेटर थे। सौरव भी उनके साथ जाने लगे। इस तरह धीरे-धीरे उन्हें क्रिकेट रास आने लगा और जैसा कि आप जानते ही हैं वे भारत के सबसे सफल क्रिकेट कप्तानों में से एक हैं।
जोंटी रोड्स - ओलिंपिक टीम में चयन नहीं होने से मुड़े क्रिकेट की ओर
दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर रोड्स को कौन नहीं जानता। रोड्स का नाम सामने आते ही हमें उनके द्वारा लपके गए अविश्वसनीय कैच सहज ही याद आ जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वे हॉकी के भी शानदार खेलते थे। उन्हें यह भरोसा था कि साल 1992 की ओलिंपिक टीम में उनका चयन हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने 1996 में फिर तैयारी की, लेकिन चोट के कारण टीम से हटना पड़ा। इसके बाद रोड्स ने क्रिकेट की ओर रुख कर लिया।
एमएस धोनी - संयोग से बन गए क्रिकेटर
कैप्टन कूल स्कूल में पढ़ाई के दौरान सबसे अधिक फुटबॉल खेलते थे और उनका सपना गोलकीपर बनने का था। हालांकि वे क्रिकेट भी खेलते थे। एक बार लोकल क्लब में खिलाड़ी कम होने पर उनके फुटबॉल कोच ने उन्हें क्रिकेट मैच खेलने भेज दिया। फिर क्या था धोनी के प्रदर्शन से सब इतने प्रभावित हुए कि क्रिकेट अंडर-16 चैम्पियनशिप के लिए उन्हें चुन लिया और उनका फुटबॉल प्रेम पीछे छूट गया।
राहुल द्रविड़ ही नहीं सचिन तेंदुलकर, वनडे कैप्टन एमएस धोनी जैसे कई क्रिकेटर हैं, जिनका शौक कोई अन्य खेल था, लेकिन अंत में उन्होंने अपना करियर क्रिकेट को चुना। आइए जानते हैं ऐसे ही क्रिकेट सितारों के बारे में :
सचिन तेंदुलकर - बड़े भाई ने क्रिकेट की ओर प्रेरित किया
तेंदुलकर को बचपन से ही टेनिस से प्यार था। टेनिस के प्रति सचिन का यह लगाव आज भी देखा जा सकता है। सचिन ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट देखना नहीं भूलते। वे टेनिस प्लेयर बनना चाहते थे, लेकिन उनके बड़े भाई अजित तेंदुलकर ने उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित किया और उनको कोच रमाकांत आचरेकर से मिलवाया। गुरु आचरेकर ने उनका रुझान क्रिकेट की ओर कर दिया, फिर यही उनका पसंदीदा गेम बन गया।
सौरव गांगुली - फुटबॉल छोड़ रम गए क्रिकेट में
कोलकाता में फुटबॉल का अपना स्थान है। गांगुली भी इससे अछूते नहीं रहे। हो भी क्यों न, उन्होंने बचपन से ही फुटबॉल देखना जो शुरू कर दिया था। हालांकि उनकी मां उन्हें स्पोर्ट्स में नहीं जाने देना चाहतीं थी। उनके बड़े भाई स्नेहाशीष गांगुली पहले से ही स्थापित क्रिकेटर थे। सौरव भी उनके साथ जाने लगे। इस तरह धीरे-धीरे उन्हें क्रिकेट रास आने लगा और जैसा कि आप जानते ही हैं वे भारत के सबसे सफल क्रिकेट कप्तानों में से एक हैं।
जोंटी रोड्स - ओलिंपिक टीम में चयन नहीं होने से मुड़े क्रिकेट की ओर
दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर रोड्स को कौन नहीं जानता। रोड्स का नाम सामने आते ही हमें उनके द्वारा लपके गए अविश्वसनीय कैच सहज ही याद आ जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वे हॉकी के भी शानदार खेलते थे। उन्हें यह भरोसा था कि साल 1992 की ओलिंपिक टीम में उनका चयन हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने 1996 में फिर तैयारी की, लेकिन चोट के कारण टीम से हटना पड़ा। इसके बाद रोड्स ने क्रिकेट की ओर रुख कर लिया।
एमएस धोनी - संयोग से बन गए क्रिकेटर
कैप्टन कूल स्कूल में पढ़ाई के दौरान सबसे अधिक फुटबॉल खेलते थे और उनका सपना गोलकीपर बनने का था। हालांकि वे क्रिकेट भी खेलते थे। एक बार लोकल क्लब में खिलाड़ी कम होने पर उनके फुटबॉल कोच ने उन्हें क्रिकेट मैच खेलने भेज दिया। फिर क्या था धोनी के प्रदर्शन से सब इतने प्रभावित हुए कि क्रिकेट अंडर-16 चैम्पियनशिप के लिए उन्हें चुन लिया और उनका फुटबॉल प्रेम पीछे छूट गया।
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