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This Article is From Mar 25, 2015

वर्ल्ड कप सेमीफाइनल : सिडनी में इन 7 वजहों से टीम इंडिया का पलड़ा है भारी

नई दिल्ली : भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच वर्ल्ड कप सेमीफ़ाइनल का मुक़ाबला गुरुवार को सिडनी में होने वाला है। एक ओर जहां टीम इंडिया इस टूर्नामेंट में अपने सभी मैच जीतने के बाद सेमीफ़ाइनल में पहुंची है, वहीं दूसरी ओर ऑस्ट्रेलियाई टीम अपने घरेलू मैदान पर हमेशा जोरदार प्रदर्शन करने के लिए मशहूर रही है।

हालांकि इस मुक़ाबले में टीम इंडिया उलटफेर कर सकती है। एक नजर उन वजहों पर, जिसके चलते टीम इंडिया ये कारनामा कर सकती है।

1. तेज गेंदबाज़ों की तिकड़ी - भारत के तेज गेंदबाज़ मोहम्मद शमी, उमेश यादव और मोहित शर्मा ने इस टूर्नामेंट में अब तक शानदार गेंदबाज़ी की है। इन तीनों ने अब तक भारत की ओर से वर्ल्ड कप में 43 विकेट चटकाए हैं। चाहे शॉर्ट पिच गेंदों का इस्तेमाल हो या फिर तेजी के साथ लाइन-लेंथ पर नियंत्रण रखना, भारतीय गेंदबाजों की तिकड़ी पूरी लय में दिख रही है।

2. अश्विन-जडेजा की जोड़ी- सिडनी क्रिकेट ग्राउंड स्पिनरों के लिए मददगार साबित होती रही है, ऐसे में भारतीय टीम में रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा की मौजूदगी भारतीय संभावनाओं को बढ़ा रही है। इन दोनों ने अब तक 21 विकेट चटकाए हैं। नई और पुरानी, दोनों तरह की गेंदों से अश्विन और जडेजा स्पिन कराने की काबिलियत रखते हैं।

3.लेफ्ट-राइट का कॉम्बिनेशन - भारतीय बल्लेबाज़ी की शुरुआत ही लेफ्ट-राइट कॉम्बिनेशन से शुरू हो रही है। शिखर धवन और रोहित शर्मा, मिडिल ऑर्डर में सुरेश रैना कभी विराट कोहली, तो कभी महेंद्र सिंह धोनी के साथ मिलकर इस कॉम्बिनेशन को कामयाब बनाते रहे हैं। शिखर धवन और सुरेश रैना अब तक टूर्नामेंट में भारत के सबसे कामयाब बल्लेबाज़ रहे हैं। दरअसल लेफ्ट-राइट कॉम्बिनेशन से फ़ील्डिंग करने वाली टीम पर दबाव ज्यादा होता है।

4. ऑस्ट्रेलिया पर अंकुश- ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ी पर अंकुश लगाया जा सकता है। ऑस्ट्रेलियाई टीम किसी एक बैट्समैन पर निर्भर नहीं है, लेकिन उनके बल्लेबाज़ शॉट्स खेलते हुए भी आउट होते रहे हैं। ऐसे में भारतीय गेंदबाज़ों के सामने बहुत मुश्किल चुनौती नहीं दिख रही है।

5. स्पेशलिस्ट स्पिनर का अभाव- ऑस्ट्रेलियाई टीम में स्पेशलिस्ट स्पिनर नहीं है। टीम अब तक जेवियर डोहर्टि की जगह ग्लेन मैक्सवेल की स्पिन गेंदबाज़ी पर भरोसा करती रही है, लेकिन ग्लेन मैक्सवेल 10 ओवरों का कोटा सटीक गेंदबाज़ी से पूरा नहीं कर सकते।

6. आक्रामकता ही कमजोरी- ऑस्ट्रेलियाई टीम निश्चित तौर पर आक्रामक क्रिकेट खेलने के लिए मशहूर रही है, लेकिन यही टीम की कमजोरी भी बन जाती है। लीग मुक़ाबलों में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ अपनी आक्रामकता के चलते ही टीम महज 33 ओवरों में ऑल आउट हो चुकी है। इसका फायदा भारतीय गेंदबाज़ों को उठाना होगा।

7. भारतीय रंग में रंगा सिडनी - ऑस्ट्रेलिया भले अपने घरेलू मैदान पर खेल रहा हो, लेकिन टीम इंडिया के फैंस सिडनी को भारत के रंग में रंगने को तैयार हैं। सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में 70 फीसदी टिकट भारतीय फैंस ने खरीदे हैं, लिहाजा स्टेडियम के अंदर धोनी की टीम को कहीं ज्यादा समर्थन मिलेगा।

ऐसे में जाहिर है कि महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में टीम इंडिया सिडनी में उलटफेर करने के इरादे से ही खेलने उतरेगी।

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