सौरभ गांगुली बीसीसीआई के अध्यक्ष तकनीकी कारणों से नहीं बन सकते (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:
अनुराग ठाकुर को बीसीसीआई के अध्यक्ष के पद से हटाए जाने के बाद मीडिया में काफी चर्चा है कि सौरव गांगुली अगले बीसीसीआई अध्यक्ष बन सकते हैं. लेकिन अगर लोढा पैनल की सिफारिशों पर गौर किया जाए तो सौरव बीसीसीआई के अध्यक्ष नहीं बन सकते हैं.
सौरव गांगुली तकनीकी रूप से बीसीसीआई अध्यक्ष बनने के लिए योग्य नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट द्वारा लोढा पैनल की सिफारिशें लागू होने के बाद बीसीसीआई या राज्य बोर्ड का सदस्य बनने के लिए नियमों में कई बदलाव हुए हैं जिसमें अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर भी कुछ बदलाव किए गए हैं. लोढा पैनल की सिफारिश के अनुसार बीसीसीआई या राज्य बोर्ड का कोई भी सदस्य लगातार दो टर्म के लिए सदस्य नहीं बन सकता है. एक टर्म खत्म होने के बाद तीन साल का “कूल ऑफ” यानी तीन साल का अंतराल होना चाहिए.
लोढा पैनल की सिपारिशों के जरिए यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी भी पद की शक्तियों का गलत इस्तेमाल न हो इसीलिए सदस्यों का कार्यकाल तीन साल का होना चाहिए. कोई भी सदस्य लगातार दो बार बीसीसीआई या राज्य बोर्ड का सदस्य नहीं बन सकता है. सवाल यह भी उठता है कि तीन साल के लिए राज्य बोर्ड के सदस्य के रूप में अपना कार्यकाल खत्म करने के बाद क्या वह बीसीसीआई का सदस्य बन सकता है, तो जवाब है नहीं बन सकता है. यह बीसीसीआई के सदस्यों के लिए भी लागू होता है. यानी बीसीसीआई का कोई भी सदस्य अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद राज्य बोर्ड का सदस्य नहीं बन सकता है. दो कार्यकाल के बीच तीन साल का अंतराल होना चाहिए.
अगर चुनाव के समय किसी भी पदाधिकारी के तीन साल पूरे नहीं हुए हैं, तो वह चुनाव लड़ सकता है.जैसे कोई भी अधिकारी अगर राज्य बोर्ड के सदस्य के रूप में तीन सालों में से दो साल पूरे कर चुका है और एक साल बचा हुआ है तो वह अपने पद से इस्तीफा देने के बाद राज्य बोर्ड के दूसरे पद या बीसीसीआई के किसी भी पद के लिए चुनाव लड़ सकता है लेकिन चुने जाने के बाद वह व्यक्ति इस पद पर सिर्फ एक साल रह सकता है. यानी एक साल के बाद उसे इस पद को छोड़ना पड़ेगा.
सौरव गांगुली के मामले में यह सब लागू होता है. सौरभ गांगुली अब बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के सदस्य हैं. जून 2017 को सौरव गांगुली के तीन साल पूरे हो जाएंगे. ऐसे में सौरव गांगुली को बीसीसीआई या राज्य बोर्ड का सदस्य बनने के लिए तीन साल इंतजार करना पड़ेगा. सौरव गांगुली तीन साल के बाद यानी जून 2020 के बाद बीसीसीआई या राज्य बोर्ड के किसी भी पद के लिए चुनाव लड़ सकते हैं.
लेकिन अगर सौरव गांगुली जून 2017 से पहले बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन का पद छोड़ देते हैं और फिर बीसीसीआई के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ते हैं और जीत जाते हैं तो वह सिर्फ जून 2017 तक इस पद पर रह सकते हैं.
सौरव गांगुली तकनीकी रूप से बीसीसीआई अध्यक्ष बनने के लिए योग्य नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट द्वारा लोढा पैनल की सिफारिशें लागू होने के बाद बीसीसीआई या राज्य बोर्ड का सदस्य बनने के लिए नियमों में कई बदलाव हुए हैं जिसमें अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर भी कुछ बदलाव किए गए हैं. लोढा पैनल की सिफारिश के अनुसार बीसीसीआई या राज्य बोर्ड का कोई भी सदस्य लगातार दो टर्म के लिए सदस्य नहीं बन सकता है. एक टर्म खत्म होने के बाद तीन साल का “कूल ऑफ” यानी तीन साल का अंतराल होना चाहिए.
लोढा पैनल की सिपारिशों के जरिए यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी भी पद की शक्तियों का गलत इस्तेमाल न हो इसीलिए सदस्यों का कार्यकाल तीन साल का होना चाहिए. कोई भी सदस्य लगातार दो बार बीसीसीआई या राज्य बोर्ड का सदस्य नहीं बन सकता है. सवाल यह भी उठता है कि तीन साल के लिए राज्य बोर्ड के सदस्य के रूप में अपना कार्यकाल खत्म करने के बाद क्या वह बीसीसीआई का सदस्य बन सकता है, तो जवाब है नहीं बन सकता है. यह बीसीसीआई के सदस्यों के लिए भी लागू होता है. यानी बीसीसीआई का कोई भी सदस्य अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद राज्य बोर्ड का सदस्य नहीं बन सकता है. दो कार्यकाल के बीच तीन साल का अंतराल होना चाहिए.
अगर चुनाव के समय किसी भी पदाधिकारी के तीन साल पूरे नहीं हुए हैं, तो वह चुनाव लड़ सकता है.जैसे कोई भी अधिकारी अगर राज्य बोर्ड के सदस्य के रूप में तीन सालों में से दो साल पूरे कर चुका है और एक साल बचा हुआ है तो वह अपने पद से इस्तीफा देने के बाद राज्य बोर्ड के दूसरे पद या बीसीसीआई के किसी भी पद के लिए चुनाव लड़ सकता है लेकिन चुने जाने के बाद वह व्यक्ति इस पद पर सिर्फ एक साल रह सकता है. यानी एक साल के बाद उसे इस पद को छोड़ना पड़ेगा.
सौरव गांगुली के मामले में यह सब लागू होता है. सौरभ गांगुली अब बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के सदस्य हैं. जून 2017 को सौरव गांगुली के तीन साल पूरे हो जाएंगे. ऐसे में सौरव गांगुली को बीसीसीआई या राज्य बोर्ड का सदस्य बनने के लिए तीन साल इंतजार करना पड़ेगा. सौरव गांगुली तीन साल के बाद यानी जून 2020 के बाद बीसीसीआई या राज्य बोर्ड के किसी भी पद के लिए चुनाव लड़ सकते हैं.
लेकिन अगर सौरव गांगुली जून 2017 से पहले बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन का पद छोड़ देते हैं और फिर बीसीसीआई के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ते हैं और जीत जाते हैं तो वह सिर्फ जून 2017 तक इस पद पर रह सकते हैं.
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