
शुरुआती तीन दिनों तक विराट कोहली और अश्विन थोड़े चिंतित थे (फाइल फोटो)
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इंग्लैंड ने वानखेड़े में टॉस जीतकर एक बार फिर 400 रन बना दिए
पिछली दो सीरीजो में भी इंग्लैंड ने यहां 400 रनों का स्कोर बनाया था
इससे पहले दोनों ही बार 400 रन बनाने पर उसे जीत मिली थी
विराट, अश्विन, पार्थिव के मन में था संशय...
2006 और 2012 की सीरीज के दौरान मुंबई के वानखेड़े में जीत दर्ज कर चुकी इंग्लैंड टीम यहां खेलने को लेकर उत्साहित थी. कप्तान कुक ने भी विकेट को देखकर प्रसन्नता जाहिर की थी और कहा था कि उन्हें इस मैदान पर हमेशा अच्छी सफलता मिली है, लेकिन टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली, स्पिनर आर अश्विन और विकेट कीपर पार्थिव पटेल के मन में वानखेड़े की पिच को लेकर संशय था.
हालांकि टॉस हारने के बाद कप्तान विराट ने कहा था कि टॉस हारना उतना खराब नहीं है, फिर भी इंग्लैंड के रिकॉर्ड को देखते हुए थोड़े आशंकित तो थे ही. इसका कारण था पिच के रंग का लाल होना, जिसमें इंग्लैंड के अनुकूल बाउंस होने की संभावना थी.
लाल रंग और बाउंस के सामने कमजोरी ने डराया...
खुद विराट और कई खिलाड़ियों ने कहा भी था कि यह परंपरागत भारतीय विकेट नहीं है. वास्तव में लाल विकेट पर शुरुआती दौर में रनगति पर लगाम लगाना मुश्किल होता है. हालांकि तेज गेंदबाजों को थोड़ी मदद भी मिलती है, लेकिन टीम इंडिया के बल्लेबाजों की बाउंस के सामने कमजोरी को देखते हुए डर और बढ़ गया था.
टीम इंडिया के विकेटकीपर पार्थिव पटेल ने पहले दिन के खेल के बाद वानखेड़े में पत्रकारों से कहा भी था, ‘लाल रंग के विकेट पर स्कोरिंग गति पर लगाम कसना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन गुरुवार को दूसरे सत्र में हमने ऐसा किया, और तीसरे सत्र में विकेट हासिल किए थे.’

इस पर जब इंग्लैंड ने पहली पारी में 400 रनों का स्कोर बना लिया तो उसने पिछले इस मैदान पर पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए टीम इंडिया पर मनोवैज्ञानिक बढ़त भी हासिल कर ली. गौरतलब है कि 2006 और 2012 में इंग्लैंड ने इस पिच पर 400 और अधिक स्कोर बनाया था और इंडिया को हार का सामना करना पड़ा था. तभी तो पहले दिन के खेल के बाद टीम इंडिया के ऑफ स्पिनर आर अश्विन ने भी कहा था कि यह विकेट उन्हें साल 2012 के विकेट की याद दिला रहा है.
अश्विन को लगा कि अब तो मैच गया...
अश्विन ने कहा था, कि वानखेड़े स्टेडियम की वर्तमान पिच काफी हद तक इंग्लैंड के खिलाफ चार साल पहले खेले गए मैच की तरह ही है, जिसमें टीम इंडिया हार मिली थी. अश्विन के अनुसार जब वह इंग्लैंड के खिलाफ आखिरी बार यहां खेले थे तो पहले दिन सुबह विकेट में काफी नमी थी और इसमें थोड़ी स्पिन थी, लेकिन दूसरे और तीसरे दिन यह काफी सपाट था.
आमतौर पर वानखेड़े में पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम बड़ा स्कोर बनाती रही है और इंग्लैंड ने पहले खेलते हुए कुछ ऐसा ही किया. हालांकि इसके बाद टीम इंडिया के बल्लेबाजों ने साहस भरी पारियां खेलीं और पहली पारी में बड़ा स्कोर बनाकर सभी आशंकाओं के झुठला दिया. ऐसा नहीं है कि विकेट में टर्न नहीं था, लेकिन इंग्लैंड के गेंदबाज नहीं चले और कुछ कैच भी छूटे.
कोहली को कैच छूटने का मिला फायदा..
दोहरा शतक लगाने वाले कप्तान विराट कोहली को भी फिफ्टी के आसपास जीवनदान मिला, जब आदिल राशिद ने उनका कैच टपका दिया था. फिर क्या था टीम इंडिया ने कोहली के साथ ही मुरली विजय और जयंत यादव के शतकों की मदद से 631 रन का विशाल स्कोर बनाकर 231 रन की बढ़त हासिल कर ली और चौथे व पांचवें दिन इंग्लैंड के लिए बल्लेबाजी आसान नहीं रह गई. बड़ी बात यह कि टीम इंडिया को दूसरी पारी में बल्लेबाजी नहीं करनी पड़ी, जो उसके पक्ष में गया...
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