वर्ल्ड टी-20 2007 जीतने के बाद टीम इंडिया (फाइल फोटो : AFP)
नई दिल्ली:
टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के जीवन पर आधारित फिल्म जल्द ही सिल्वरस्क्रीन पर आने वाली है. एमएस धोनी के नाम कप्तान के रूप में क्रिकेट की लगभग हर बड़ी उपलब्धि है, लेकिन इसकी शुरुआत 9 साल पहले आज ही के दिन (24 सितंबर 2007) हुई थी, जब उन्होंने देश को 1983 के बाद क्रिकेट में पहली बार अत्यंत गौरवशाली पल दिया था. जी हां, 24 सितंबर को ही टीम इंडिया ने पहले टी-20 वर्ल्डकप फाइनल में धुरविरोधी पाकिस्तान को रोमांचक मुकाबले में हराते हुए कप जीता था. इस मैच के बाद नए-नए कप्तान बने एमएस धोनी के सब कायल हो गए थे और मैदान में चारों ओर भारत माता की जय और धोनी-धोनी के नारे लग रहे थे...
इस अहम मुकाबले से पहले भी टीम इंडिया इसी टूर्नामेंट में पाकिस्तान को बेहद ही रोमांचक मुकाबले में हरा चुकी थी. टीम इंडिया ने टी-20 वर्ल्ड कप के फाइनल में पहले बैटिंग करते हुए 20 ओवर में 5 विकेट पर 157 रन का लक्ष्य दिया था. ओपनर गौतम गंभीर ने 54 गेंदों में 75 रनों की शानदार पारी खेलते हुए 8 चौके और 2 छक्के जड़े थे. इस टी20 वर्ल्ड कप में गंभीर टूर्नामेंट में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे थे. उन्होंने टूर्नामेंट में 6 पारियों में 227 रन बनाए थे. पाक टीम से उमर गुल ने 3 विकेट चटकाए थे.
धोनी का जोगिंदर वाला 'दांव'
पाक के लिए लक्ष्य बहुत मुश्किल नहीं था, लेकिन धोनी ने अपनी शानदार कप्तानी का नजारा पेश करते हुए पाक के लिए इसे कठिन बना दिया. एक समय मैच भारत की पकड़ से निकलता दिखाई दे रहा था. तनाव बढ़ रहा था, लेकिन भारतीय कप्तान धोनी शांत नजर आ रहे और वापसी के तरीके आजमा रहे थे. मिस्बाह उल हक आक्रामक नजर आ रहे थे और भारतीय दर्शकों की सांसें अटक रही थीं. पाक को अंतिम ओवर में 13 रन चाहिए थे. इस पर भी धोनी ने नया दांव खेला और गेंद अनजाने से खिलाड़ी जोगिंदर शर्मा को थमा दी.
जैसे ही धोनी ने जोगिंदर को गेंद थमाई, निराशा का भाव और हावी हो गया, क्योंकि सामने मिस्बाह खड़े थे. सबको लग रहा था कि जोगिंदर को तो वे बिल्कुल नहीं छोड़ेंगे. जीत हाथ से निकलने के आसार नजर आ रहे थे. जोगिंदर ने पहली गेंद वाइड फेंकी... दूसरी गेंद, जो वाइड के बदले फेंकी गई, वह शॉर्टलेंथ थी और मिस्बाह उल हक उसे नहीं खेल पाए. उनकी अगली गेंद फुलटॉस थी, जिस पर मिस्बाह ने शानदार छक्का जड़ दिया, लेकिन अगली गेंद पर स्कूप शॉट खेलने के प्रयास में मिस्बाह शॉर्ट फाइन लेग में एस. श्रीसंत को कैच दे बैठे... पाकिस्तान 152 रन पर धराशायी हो गया और भारत ने पहला टी-20 वर्ल्ड कप 5 रन से जीत लिया. भारत की ओर से आरपी सिंह और इरफान पठान ने 3-3, जोगिंदर शर्मा ने 2 और श्रीसंत ने 1 विकेट झटका.
पाक से इससे पहले बॉलआउट से जीते
टीम इंडिया ने 2007 के टी-20 वर्ल्ड कप में इससे पहले लीग मैच में भी पाक को रोमांचक मुकाबले में हराया था. इसका फैसला बॉलआउट से हुआ था क्योंकि स्कोर टाई हो गया था. तेज गेंदबाज आरपी सिंह ने धोनी की सोच की प्रशंसा करते हुए एक इंटरव्यू में कहा था कि कप्तान धोनी प्रैक्टिस के अंत में बॉलआउट का अभ्यास कराते थे, जबकि किसी ने सोचा भी नहीं था कि टी-20 में मैच टाई हो सकता है और इसकी जरूरत इतनी जल्दी पड़ जाएगी. इस अभ्यास का फायदा हमें मिला, क्योंकि हम जानते थे कि कौन-से गेंदबाज विकेट को हिट कर पाएंगे.
सहवाग ने बताया पाक के खिलाफ सबसे यादगार पल
इस मैच को पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने पाक के खिलाफ मिली जीत के मामले में सबसे यादगार पल बताया था. सहवाग ने कहा था, ‘‘भारत और पाकिस्तान के बीच मैचों में मेरा सबसे यादगार पल आईसीसी विश्व टी20 2007 का मैच रहा जो टाई हो गया था, किसी ने नहीं सोचा था कि दोनों देशों के बीच विश्व टी20 का पहला मैच टाई रहेगा. तब नियम था कि यदि मैच टाई रहता था तो फैसला ‘बॉलआउट’ से होगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने मुकाबले से पहले इसका अभ्यास किया था जहां रोबिन उथप्पा, हरभजन सिंह और मैंने सबसे अधिक बार स्टंप को हिट किया था, इसलिए मैंने महेंद्र सिंह धोनी से कहा कि मैं पहले गेंद करूंगा. मुझे खुद पर पूरा विश्वास था कि यदि मैं पहले गया तो विकेट उखाड़ दूंगा जैसा कि हुआ भी.’’ सहवाग ने कहा, ‘‘हम 1-0 से आगे हो गए. इसके बाद हरभजन और उथप्पा ने भी स्टंप को हिट किया. इसके बाद स्टेडियम शोर के आगोश में डूब गया. हरभजन ने युवराज और मुझे गले लगा लिया. हर कोई जोर से चिल्लाने लगा ‘भारत माता की जय’ और हम यह गीत गाने लगे ‘चक दे इंडिया’ जो तब काफी लोकप्रिय था.'
(इनपुट भाषा से भी)
इस अहम मुकाबले से पहले भी टीम इंडिया इसी टूर्नामेंट में पाकिस्तान को बेहद ही रोमांचक मुकाबले में हरा चुकी थी. टीम इंडिया ने टी-20 वर्ल्ड कप के फाइनल में पहले बैटिंग करते हुए 20 ओवर में 5 विकेट पर 157 रन का लक्ष्य दिया था. ओपनर गौतम गंभीर ने 54 गेंदों में 75 रनों की शानदार पारी खेलते हुए 8 चौके और 2 छक्के जड़े थे. इस टी20 वर्ल्ड कप में गंभीर टूर्नामेंट में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे थे. उन्होंने टूर्नामेंट में 6 पारियों में 227 रन बनाए थे. पाक टीम से उमर गुल ने 3 विकेट चटकाए थे.
धोनी का जोगिंदर वाला 'दांव'
पाक के लिए लक्ष्य बहुत मुश्किल नहीं था, लेकिन धोनी ने अपनी शानदार कप्तानी का नजारा पेश करते हुए पाक के लिए इसे कठिन बना दिया. एक समय मैच भारत की पकड़ से निकलता दिखाई दे रहा था. तनाव बढ़ रहा था, लेकिन भारतीय कप्तान धोनी शांत नजर आ रहे और वापसी के तरीके आजमा रहे थे. मिस्बाह उल हक आक्रामक नजर आ रहे थे और भारतीय दर्शकों की सांसें अटक रही थीं. पाक को अंतिम ओवर में 13 रन चाहिए थे. इस पर भी धोनी ने नया दांव खेला और गेंद अनजाने से खिलाड़ी जोगिंदर शर्मा को थमा दी.
अंतिम ओवर का रोमांच
पाक से इससे पहले बॉलआउट से जीते
टीम इंडिया ने 2007 के टी-20 वर्ल्ड कप में इससे पहले लीग मैच में भी पाक को रोमांचक मुकाबले में हराया था. इसका फैसला बॉलआउट से हुआ था क्योंकि स्कोर टाई हो गया था. तेज गेंदबाज आरपी सिंह ने धोनी की सोच की प्रशंसा करते हुए एक इंटरव्यू में कहा था कि कप्तान धोनी प्रैक्टिस के अंत में बॉलआउट का अभ्यास कराते थे, जबकि किसी ने सोचा भी नहीं था कि टी-20 में मैच टाई हो सकता है और इसकी जरूरत इतनी जल्दी पड़ जाएगी. इस अभ्यास का फायदा हमें मिला, क्योंकि हम जानते थे कि कौन-से गेंदबाज विकेट को हिट कर पाएंगे.
सहवाग ने बताया पाक के खिलाफ सबसे यादगार पल
इस मैच को पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने पाक के खिलाफ मिली जीत के मामले में सबसे यादगार पल बताया था. सहवाग ने कहा था, ‘‘भारत और पाकिस्तान के बीच मैचों में मेरा सबसे यादगार पल आईसीसी विश्व टी20 2007 का मैच रहा जो टाई हो गया था, किसी ने नहीं सोचा था कि दोनों देशों के बीच विश्व टी20 का पहला मैच टाई रहेगा. तब नियम था कि यदि मैच टाई रहता था तो फैसला ‘बॉलआउट’ से होगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने मुकाबले से पहले इसका अभ्यास किया था जहां रोबिन उथप्पा, हरभजन सिंह और मैंने सबसे अधिक बार स्टंप को हिट किया था, इसलिए मैंने महेंद्र सिंह धोनी से कहा कि मैं पहले गेंद करूंगा. मुझे खुद पर पूरा विश्वास था कि यदि मैं पहले गया तो विकेट उखाड़ दूंगा जैसा कि हुआ भी.’’ सहवाग ने कहा, ‘‘हम 1-0 से आगे हो गए. इसके बाद हरभजन और उथप्पा ने भी स्टंप को हिट किया. इसके बाद स्टेडियम शोर के आगोश में डूब गया. हरभजन ने युवराज और मुझे गले लगा लिया. हर कोई जोर से चिल्लाने लगा ‘भारत माता की जय’ और हम यह गीत गाने लगे ‘चक दे इंडिया’ जो तब काफी लोकप्रिय था.'
(इनपुट भाषा से भी)
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