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This Article is From Feb 12, 2012

हमें 48वें ओवर तक मैच खत्म कर देना चाहिए था : गंभीर

एडिलेड: मैन ऑफ द मैच गौतम गंभीर का मानना है कि उनकी टीम को त्रिकोणीय एकदिवसीय क्रिकेट श्रृंखला में रविवार को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच अंतिम ओवर तक नहीं जाने देना चाहिए था और पहले ही जीत दर्ज कर लेनी चाहिए थी।

गंभीर ने भारत की चार विकेट की जीत के बाद कहा, ‘हमें 48वें ओवर तक मैच को खत्म कर देना चाहिए था। हमें इस मैच को 50वें ओवर तक नहीं जाने देना चाहिए था। यह मेरा निजी नजरिया है।’ बायें हाथ के इस बल्लेबाज ने हालांकि स्वीकार किया कि यह कहना असल में यह करने से आसान है। भारत की जीत में कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के अंतिम ओवर में जड़े छक्के की अहम भूमिका रही।

भारत की ओर से 92 रन बनाकर टीम की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले गंभीर ने कहा, ‘यह कहना इसे करने से आसान है। जो खिलाड़ी मैदान पर खेल रहे होते हैं उन पर कहीं अधिक दबाव होता है। यह फैसला उन्हें करना होता है। मुझे नहीं पता कि उसने (धोनी ने) इतना विलंब क्यों किया। शायद वह चाहता था कि कोई और जिम्मेदारी उठाए। फिर भी मैच का सबसे अहम शाट उसने लगाया।’

गंभीर ने कहा, ‘अगर मैं वहां होता तो मैं इसे अंतिम ओवर तक ले जाने के बारे में नहीं सोचता। मैं इसे एक या दो ओवर पहले खत्म करने की कोशिश करता। अगर आपको अंतिम ओवर में पांच या छह रन चाहिए तो भी काफी अधिक दबाव होता है। लेकिन फिर हम अलग अलग इंसान है और अलग अलग तरह सोचते हैं।’ टीम प्रबंधन के रोटेशन नीति पर कायम रहने और इसके मुताबिक सचिन तेंदुलकर को आराम देने पर काफी चर्चाएं हुई लेकिन गंभीर ने इस फैसले का समर्थन किया।

उन्होंने कहा, ‘हम जितना क्रिकेट खेलते हैं उसे देखते हुए रोटेट करना जरूरी है। जब हम रोटेट नहीं करते तो सभी को समस्या होती है। जब हम रोटेट करते हैं तो भी यह मुद्दा बन जाता है। रोहित हो या रैना, उन्हें अतिरिक्त मौका मिल रहा है। ईमानदारी से कहूं तो यह सर्वश्रेष्ठ एकादश भी है।’ गंभीर ने कहा, ‘इससे भी अहम यह है कि इस एकादश में विश्वास है कि वे मैदान पर किसी भी विरोधी को हरा सकते हैं। एक या दो खिलाड़ी अधिक अंतर पैदा नहीं करते। यह ग्यारह खिलाड़ियों का विश्वास है। आपको नामों की जरूरत नहीं है। आपको ऐसे लोगों की जरूरत है जो अच्छा प्रदर्शन कर सकें।’

गंभीर भले ही शतक जड़ने में नाकाम रहे हों लेकिन उन्होंने कहा कि जब तक उनके प्रदर्शन में निरंतरता रहती है तब तक वह उपलब्धियों की परवाह नहीं करते। उन्होंने कहा, ‘लगातार रन बनाना अहम है। अगर मैं शतक के लिए बेताब हो जाउंगा तो यह दूर भागेगा। हारने वाली टीम की ओर से शतक बनाने से अहम है कि कितने भी रन बनाकर टीम की जीत में मदद करो।’ उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए रविंद्र जडेता के 12 रन भी टीम की जीत में काफी अहम थे।’ टीवी रीप्ले में दिखाया गया कि गंभीर के खिलाफ पगबाधा का फैसला संदेहास्पद हो सकता था लेकिन इस बल्लेबाज ने इसे अधिक तूल देने से इंकार कर दिया। गंभीर ने यह जीत और 92 रन की अपनी पारी युवराज सिंह को समर्पित की जो अमेरिका में घातक ट्यूमर का इलाज करा रहे हैं।

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