
भारत की अंडर-19 टीम के खिलाड़ियों और सपोर्ट स्टाफ को भत्ते नहीं मिलने से आ रही थी दिक्कतें. (फाइल फोटो)
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नोटबंदी की वजह से BCCI को भत्ते के भुगतान में दिक्कतें आ रही थीं.
गुरुवार शाम तक सारी वित्तीय अड़चनें दूर हो जाएंगी- बीसीसीआई
बोर्ड ने कहा कि 'नोटबंदी से पहले हम भत्ता नकद में देते थे'.
बीसीसीआई के आला अधिकारी ने इस खबर को पूरी तरह से निराधार बताया कि पूर्व सचिव अजय शिर्के के बीसीसीआई सचिव पद से हटने के बाद किसी बोर्ड पदाधिकारी की गैरमौजूदगी की वजह से चेक पर हस्ताक्षर नहीं होने की वजह से यह नौबत आई है. हां, उन्होंने ये ज़रूर माना कि नोटबंदी के बाद हफ्ते भर में 24,000 रुपये धन निकासी की सीमा से थोड़ी दिक्कत हुई है.
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एनडीटीवी से खास बातचीत में बोर्ड ने कहा कि 'नोटबंदी से पहले हम भत्ता नकद में देते थे. बाद में कैश कार्ड भी देना शुरू किया. विदेशी खिलाड़ियों को हम एकमुश्त पैसा दे देते थे.
अंडर-19 टीम में कई खिलाड़ियों की उम्र 18 साल से कम है और ऐसे में उनका कार्ड नहीं बन सकता. कई खिलाड़ियों के पास बैंक खाते भी नहीं हैं. ये बातें कि हस्ताक्षर की वजह से भत्ता रूका है.. सही नहीं हैं. कल शाम तक सबके पेमेंट मिल जाएगा. प्रक्रिया बहुत दिनों से चल रही थी'.
अंडर-19 के खिलाड़ियों को हर दिन 6,800 रुपये का भत्ता मिलता था, ऐसे में कुछ खिलाड़ियों ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा था कि पांच सितारा होटल में वो रहते तो हैं, लेकिन खाना खाने बाहर जाना पड़ता है. कुछ नकदी की कमी की वजह से अपने घर से पैसे मंगवाने को मजबूर थे.
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