धोनी और कोहली की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
महेन्द सिंह धोनी और विराट कोहली। एक कैप्टन कूल तो दूसरा गर्म मिजाज। टीम इंडिया सात साल बाद दो अलग-अलग शख्सियतों की कप्तानी में खेल रही है। दोनों कप्तानों की सोच और रणनीति में बहुत फ़र्क है।
धोनी : टीम में 4 गेंदबाज़
कोहली : टीम में 5 गेंदबाज़
बांग्लादेश के ख़िलाफ़ फतुल्ला टेस्ट में कोहली की कप्तानी में टीम खेलने उतरी तो एक अतिरिक्त गेंदबाज़ शामिल था। महेन्द्र सिंह धोनी की कप्तानी में 4 गेंदबाज़ टीम में होते थे, लेकिन कोहली ने 5 गेंदबाज़ों को उतारा।
धोनी और कोहली की सोच में फ़र्क साफ़ देखा जा सकता है। कोहली का मानना है कि टेस्ट में आर अश्विन का औसत 40 है। हरभजन सिंह भी बल्लेबाज़ी कर लेते हैं। लिहाज़ा एक अतिरिक्त गेंदबाज़ को खेलाने में ज़्यादा जोख़िम नहीं है।
टेस्ट कप्तान विराट कोहली कहते हैं, "मैं पांच गेंदबाज़ों के साथ खेलना पसंद करता हूं। मैं हमेशा अश्विन जैसे खिलाड़ियों को पसंद करुंगा जिसकी बल्लेबाज़ी औसत 40 की है। हरभजन भी अच्छी बल्लेबाज़ी कर सकते है। गेंदबाज़ों को थोड़ा बल्लेबाज़ी आनी चाहिए।"
धोनी : ज़ोख़िम हो तो ड्रॉ की कोशिश
कोहली : जीत या हार के लिए तैयार, ड्रॉ आख़िरी लक्ष्य
आपको याद होगा पिछले साल वेलिंग्टन टेस्ट में 130 रन पर न्यूज़ीलैंड के 5 विकेट गिर चुके थे। लेकिन धोनी ने दबाव बढ़ाने की कोशिश नहीं की। ईशांत शर्मा बिना स्लिप के गेंदबाज़ी करते रहे। जबकि ऑस्ट्रेलिया में एडिलेट में सीरीज़ के पहले टेस्ट में धोनी घायल थे। विराट ने कप्तानी की। चौथी पारी में 364 रन का लक्ष्य मिला। यहां कोहली ने जीत के लिए खेलना शुरू किया और 141 रन बनाए। पहली पारी में भी शतक लगाया था। हालांकि उनकी आक्रामक बल्लेबाज़ी के बाद भी टीम जीत नहीं सकी। लेकिन दोनों कप्तानों की रणनीति में अंतर देखा जा सकता है।
"हम इसी तरह का क्रिकेट खेलना चाहते हैं। जब मैंने पहली बार एडिलेड में कप्तानी की थी तब भी मेरे दिमाग में ये ही चल रहा था। आक्रमक क्रिकेट खेलना है और जीत की कोशिश करनी है।"
धोनी : डीआरएस के ख़िलाफ़
कोहली : डीआरएस पर विचार
कप्तानी की कमान संभालते ही विराट कोहली ने धोनी के उलट DRS को लेकर भी सकारात्मक रवैया दिखाया है। कोहली कहते हैं कि वो Decision review system को लेकर अपनी टीम से बातचीत करने को तैयार हैं। उनके मुताबिक़ ऐसे सिस्टम को लेकर टीम के गेंदबाज़ों और बल्लेबाज़ों की राय जानना ज़रूरी है। वो खिलाड़ियों की सोच के मुताबिक़ ही आगे बढ़ना चाहते हैं। बीसीसीआई अब तक मैचों में DRS के इस्तेमाल के ख़िलाफ़ रही है, लेकिन कोहली ने बयान दिया, "आपको गेदबाज़ों से पूछना होगा कि वो इसके बारे में क्या सोचते हैं। बल्लेबाज़ों से पूछना होगा। हमारे पास टेस्ट के पहले समय नहीं था। अब अगले टेस्ट के पहले काफ़ी समय है। हम इस पर विचार करेंगे।"
दक्षिण अफ़्रीका, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में अलग-अलग कप्तानों का प्रयोग अमूमन सफल माना जा सकता है। क्या भारत में ये तजुर्बा कामयाब रहेगा खासकर ये देखते हुए कि दोनों के नजरिए में बड़ा फ़र्क है।
धोनी : टीम में 4 गेंदबाज़
कोहली : टीम में 5 गेंदबाज़
बांग्लादेश के ख़िलाफ़ फतुल्ला टेस्ट में कोहली की कप्तानी में टीम खेलने उतरी तो एक अतिरिक्त गेंदबाज़ शामिल था। महेन्द्र सिंह धोनी की कप्तानी में 4 गेंदबाज़ टीम में होते थे, लेकिन कोहली ने 5 गेंदबाज़ों को उतारा।
धोनी और कोहली की सोच में फ़र्क साफ़ देखा जा सकता है। कोहली का मानना है कि टेस्ट में आर अश्विन का औसत 40 है। हरभजन सिंह भी बल्लेबाज़ी कर लेते हैं। लिहाज़ा एक अतिरिक्त गेंदबाज़ को खेलाने में ज़्यादा जोख़िम नहीं है।
टेस्ट कप्तान विराट कोहली कहते हैं, "मैं पांच गेंदबाज़ों के साथ खेलना पसंद करता हूं। मैं हमेशा अश्विन जैसे खिलाड़ियों को पसंद करुंगा जिसकी बल्लेबाज़ी औसत 40 की है। हरभजन भी अच्छी बल्लेबाज़ी कर सकते है। गेंदबाज़ों को थोड़ा बल्लेबाज़ी आनी चाहिए।"
धोनी : ज़ोख़िम हो तो ड्रॉ की कोशिश
कोहली : जीत या हार के लिए तैयार, ड्रॉ आख़िरी लक्ष्य
आपको याद होगा पिछले साल वेलिंग्टन टेस्ट में 130 रन पर न्यूज़ीलैंड के 5 विकेट गिर चुके थे। लेकिन धोनी ने दबाव बढ़ाने की कोशिश नहीं की। ईशांत शर्मा बिना स्लिप के गेंदबाज़ी करते रहे। जबकि ऑस्ट्रेलिया में एडिलेट में सीरीज़ के पहले टेस्ट में धोनी घायल थे। विराट ने कप्तानी की। चौथी पारी में 364 रन का लक्ष्य मिला। यहां कोहली ने जीत के लिए खेलना शुरू किया और 141 रन बनाए। पहली पारी में भी शतक लगाया था। हालांकि उनकी आक्रामक बल्लेबाज़ी के बाद भी टीम जीत नहीं सकी। लेकिन दोनों कप्तानों की रणनीति में अंतर देखा जा सकता है।
"हम इसी तरह का क्रिकेट खेलना चाहते हैं। जब मैंने पहली बार एडिलेड में कप्तानी की थी तब भी मेरे दिमाग में ये ही चल रहा था। आक्रमक क्रिकेट खेलना है और जीत की कोशिश करनी है।"
धोनी : डीआरएस के ख़िलाफ़
कोहली : डीआरएस पर विचार
कप्तानी की कमान संभालते ही विराट कोहली ने धोनी के उलट DRS को लेकर भी सकारात्मक रवैया दिखाया है। कोहली कहते हैं कि वो Decision review system को लेकर अपनी टीम से बातचीत करने को तैयार हैं। उनके मुताबिक़ ऐसे सिस्टम को लेकर टीम के गेंदबाज़ों और बल्लेबाज़ों की राय जानना ज़रूरी है। वो खिलाड़ियों की सोच के मुताबिक़ ही आगे बढ़ना चाहते हैं। बीसीसीआई अब तक मैचों में DRS के इस्तेमाल के ख़िलाफ़ रही है, लेकिन कोहली ने बयान दिया, "आपको गेदबाज़ों से पूछना होगा कि वो इसके बारे में क्या सोचते हैं। बल्लेबाज़ों से पूछना होगा। हमारे पास टेस्ट के पहले समय नहीं था। अब अगले टेस्ट के पहले काफ़ी समय है। हम इस पर विचार करेंगे।"
दक्षिण अफ़्रीका, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में अलग-अलग कप्तानों का प्रयोग अमूमन सफल माना जा सकता है। क्या भारत में ये तजुर्बा कामयाब रहेगा खासकर ये देखते हुए कि दोनों के नजरिए में बड़ा फ़र्क है।
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