सुनील गावस्कर की फाइल तस्वीर
नई दिल्ली:
बीसीसीआई के नए अधिकारियों के 'क्लीन अप' ऑपरेशन की शुरुआत के बाद भारत के पूर्व क्रिकेट कप्तान सुनील गावस्कर ने 'हितों का टकराव' मुद्दे को 'मिथक' करार दिया और कहा कि उन्होंने हमेशा अपने मन की बात कही चाहे वह बोर्ड की नीति के अनुरूप हो या नहीं।
गावस्कर ने कहा कि विश्लेषक की उनकी भूमिका का कभी बीसीसीआई या आईसीसी में उनके किसी पद से टकराव नहीं हुआ। गावस्कर ने एनडीटीवी से कहा, पारदर्शिता का हमेशा स्वागत है। बीसीसीआई अनुबंध में ऐसा कुछ नहीं था, जो मुझे कुछ कहने से रोकता था। मैंने हमेशा पूछा है कि हितों का टकराव कहां है। मुझे लगता है कि यह मिथक है, जिसे विभिन्न पक्षों ने बनाया है।
गावस्कर ने कहा, जो भी कयास लगा रहा है, उसे समझना होगा कि कमेंट्री बॉक्स में मेरी भूमिका को लेकर हितों का कोई टकराव नहीं है। उन्होंने कहा, मैंने हमेशा वह कहा जो मुझे कहना होता था, फिर भले ही यह बीसीसीआई की नीति के अनुकूल हो या नहीं। मैंने हमेशा डंकन फ्लेचर की आलोचना की, जबकि उन्हें बीसीसीआई ने नियुक्त किया था। हमारे अनुबंध में ऐसा कुछ नहीं है, जो हमें कहता है कि यह कहो या यह नहीं।
गावस्कर ने कहा कि विश्लेषक की उनकी भूमिका का कभी बीसीसीआई या आईसीसी में उनके किसी पद से टकराव नहीं हुआ। गावस्कर ने एनडीटीवी से कहा, पारदर्शिता का हमेशा स्वागत है। बीसीसीआई अनुबंध में ऐसा कुछ नहीं था, जो मुझे कुछ कहने से रोकता था। मैंने हमेशा पूछा है कि हितों का टकराव कहां है। मुझे लगता है कि यह मिथक है, जिसे विभिन्न पक्षों ने बनाया है।
गावस्कर ने कहा, जो भी कयास लगा रहा है, उसे समझना होगा कि कमेंट्री बॉक्स में मेरी भूमिका को लेकर हितों का कोई टकराव नहीं है। उन्होंने कहा, मैंने हमेशा वह कहा जो मुझे कहना होता था, फिर भले ही यह बीसीसीआई की नीति के अनुकूल हो या नहीं। मैंने हमेशा डंकन फ्लेचर की आलोचना की, जबकि उन्हें बीसीसीआई ने नियुक्त किया था। हमारे अनुबंध में ऐसा कुछ नहीं है, जो हमें कहता है कि यह कहो या यह नहीं।
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