
- अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल की चार दिवसीय वार्षिक आम बैठक सिंगापुर में नए अध्यक्ष जय शाह की अध्यक्षता में आयोजित हो रही
- बैठक में टू-टीयर टेस्ट सिस्टम पर चर्चा होगी, जिसमें टीमों के प्रमोशन और पदावनति का प्रस्ताव शामिल
- इस प्रणाली के तहत मजबूत टीमें एक ग्रुप में और कमजोर टीमें दूसरे ग्रुप में खेलेंगी, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी
ICC annual general meeting: नए अध्यक्ष जय शाह की अध्यक्षता में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (ICC) की चार दिनी वार्षिक आम बैठक का आयोजन वीरवार से रविवार तक सिंगापुर में होने जा रहा है. और इसमें खेल से जुड़े कई बड़े मुद्दों पर चर्चा होने के साथ ही इस बाबत फैसले भी लिए जाएंगे. इन्हीं अहम मुद्दों में से एक 'टू-टीयर टेस्ट सिस्टम' भी है. इसके तहत प्वाइंट्स टेबल में टीमों का प्रमोशन और पदावनति भी शामिल है. ऐसे में टू-टीयर सिस्टम के तहत कमजोर माने जाने वाली टीमें एक ग्रुप में दिखाई पड़ सकती हैं, तो वहीं भारत, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड जैसी मजबूत टीमें एक ग्रुप में होंगी. बहरहाल, उम्मीदों के अनुसार अगर इस सिस्टम को हरी झंडी दिखा दी जाती है, तो फिलहाल यह प्रस्तावित प्रणाली अगली वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) सर्किल (2028-30) से लागू होगी.
टीयर-2 सिस्टम के पीछे आईसीसी का लक्ष्य
दरअसल पैतृक संस्था चाहती है कि टीमों को प्रदर्शन के आधार पर दो ग्रुपों में बांटा जाए जिससे शीर्ष या कद्दावर टीमों को एक-दूसरे के खिलाफ ज्यादा और नियमित अंतराल पर खेलने का मौका मिल सके. वहीं, निचले क्रम पर रहने वाली टीमें आपस में भिड़कर शीर्ष ग्रुप में खुद को शामिल करने के लिए प्रेरित होंगी. इस प्रस्तावित प्रणाली के पीछे आईसीसी का लक्ष्य खेल को और रोमांचक बनाना तो है ही, वहीं टेस्ट क्रिकेट की कमर्शियल वेल्यू में भी इजाफा करना है.
प्रमोशन/पदावनति सिस्टम का अहम भाग
टीयर-2 सिस्टम में ICC टीमों के लिए पदोन्नति और पदावनति को शामिल कर सकती है. कुछ ऐसा ही भारत का घरेलू रणजी ट्रॉफी सिस्टम भी है. टीयर-2 सिस्टम के तहत इसमें शामिल शीर्ष दो टीमों को प्रदर्शन के आधार पर टीयर-1 में शामिल किया जाएगा, तो वहीं टीयर-1 की सबसे फिसड्डी दो टीमों को टीयर-1 में धकेल दिया जाएगा. मतलब सिस्टम लागू होने के बाद खेल और प्रतिस्पर्धा का स्तर और ऊपर देखने को मिल सकता है.
ये फायदे होंगे टीयर-2 सिस्टम लागू होने से
वर्तमान सिस्टम के उलट टीयर-2 सिस्टम लागू होने से पहला बड़ा फायदा यह होगा कि वैश्विक प्रशंसकों को दिग्गज टीमों के बीच ज्यादा और नियमित अंतराल पर मैच देखने को मिलेंगे. और इससे मैच ज्यादा प्रतिस्पर्धात्मक और रोचक होंगे. इसके अलावा टीयर-2 ग्रुप में शामिल टीमों के पास खुद के कौशल के विकास के ज्यादा अवसर होंगे, तो क्षमता में अपनी समकक्ष टीमों के खिलाफ इन्हें भी पहले की तुलना में ज्यादा मैच मिलेंगे. साथ ही, जब इनके सामने लक्ष्य टीयर-1 में जगह बनाने का होगा, तो इस ग्रुप में भी ज्यादा प्रतिस्पर्धात्मक क्रिकेट देखने को मिलेगी.
आमदनी में होगा इजाफा
जब शीर्ष टीमें एक ग्रुप में होंगी और क्रिकेट का स्तर पहले से ऊंचा और रोमांचक होगा, तो जाहिर है कि टीवी व्युअरशिप और गेटमनी (स्टेडियम में दर्शकों से कमाई) में भी इजाफा होगा. और इसका सीधा-सीधा असर कुल आमदनी पर पड़ेगा. कुल मिलायर टीयर-2 सिस्टम कई पहलुओं से फायदेमंद है. हालांकि, इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं, लेकिन सकारात्मक बातों को पलड़ा भारी है. और उम्मीद यही है कि ICC अपनी वार्षिक आम बैठक में इस एजेंडे पर मुहर लगाएगा या इसे मजबूती के साथ आगे बढ़ाएगा.
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