
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिला अपनी खूबसूरती के अलावा आपदाओं के लिए भी अब मशहूर हो चुका है. यहां के धराली गांव में आए सैलाब में कई लोगों की जिंदगी तबाह हो गई. तीन से चार मंजिला होटल और घर एक झटके में गायब हो गए और उनमें रहने वाले लोगों का भी अब तक कोई पता नहीं चल पाया है. बताया जा रहा है कि 100 से ज्यादा लोग यहां दबे हो सकते हैं. आज हम आपको उत्तरकाशी की ऐसी कहानी बताएंगे, जिससे आप भी यही कहेंगे कि ये इलाका तो पहले से टाइम बम पर बैठा हुआ है.
ठीक नीचे मौजूद है बड़ा खतरा
उत्तरकाशी में आपदाओं का पुराना इतिहास है. ये इलाका भारत के काफी सेंसिटिव जोन में आता है. यहां सैलाब ने तो कई बार तबाही मचाई है, लेकिन एक ऐसी चीज भी है, जिसे लेकर हर बार चेतावनी जारी होती है. कभी भी फटने वाला ये बम उत्तरकाशी के ठीक नीचे मौजूद है. भूगर्भ वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तरकाशी में बड़ा और विनाशकारी भूकंप आ सकता है, जिससे प्रलय जैसी स्थिति पैदा हो सकती है.
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भूकंप का क्यों है खतरा?
धराली की घटना के बाद से ही उत्तरकाशी में उस प्रलय की आहट भी सुनाई देने लगी है, जिसका जिक्र कई बार हो चुका है. दरअसल उत्तरकाशी सिस्मिक जोन-5 में आता है, यानी ये भारत में भूकंप के खतरे के लिहाज से सबसे खतरनाक क्षेत्र है. यहां कभी भी भयंकर भूकंप आ सकता है, जिससे इतिहास की सबसे बड़ी तबाही भी दिख सकती है.
ये हिमालय के ऐसे क्षेत्र में है, जिसे सिर्फ भूकंप से ही खतरा नहीं है. इतिहासकारों और वैज्ञानिकों का कहना है कि उत्तरकाशी का लगभग पूरा इलाका कच्चे पहाड़ों पर बना है, यही वजह है कि यहां पिघलते ग्लेशियर तबाही मचाते आए हैं. साथ ही इस इलाके में बादल फटने की घटनाएं भी दिखती हैं. साल 1978 में भी एक झील के फटने से उत्तरकाशी में तबाही देखी गई थी, जिसमें भागीरथी नदी ने रौद्र रूप ले लिया और कई गांवों का वजूद पूरी तरह मिट गया था.
700 से ज्यादा लोगों की हुई थी मौत
साल 1991 में उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बड़ा भूकंप आया था. ये भूकंप इतना बड़ा था कि इसमें 700 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी, वहीं कई लोगों के घर पूरी तरह से तबाह हो गए. इस भूकंप की तीव्रता 6.8 थी. अब जानकारों का मानना है कि इस इलाके में ऐसे ही बड़े भूकंप की संभावना है, जिसका अंदाजा पहले से कोई नहीं लगा सकता है. यही वजह है कि उत्तरकाशी को टाइम बम पर बैठा हुआ बताया जाता है.
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