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तेंदुलकर तेज गेंदबाज बनने की उम्मीद में 1987 में एमआरएफ पेस फाउंडेशन गए थे लेकिन तब इसके कोचिंग निदेशक लिली ने उन्हें सलाह दी थी कि वह गेंदबाजी के बजाय अपना ध्यान बल्लेबाजी पर लगाएं।
तेंदुलकर तेज गेंदबाज बनने की उम्मीद में 1987 में एमआरएफ पेस फाउंडेशन गए थे लेकिन तब इसके कोचिंग निदेशक लिली ने उन्हें सलाह दी थी कि वह गेंदबाजी के बजाय अपना ध्यान बल्लेबाजी पर लगाएं।
जब उनसे तेंदुलकर से हुई पहली मुलाकात के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, सच कहूं तो मैं काफी शर्मिंदा हुआ था कि मैंने बतौर तेज गेंदबाज उसे खारिज कर दिया था। लिली 25 साल की सेवा के बाद एमआरएफ को अलविदा कहेंगे। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि मैंने उसके लिए और खेल के लिए अच्छा काम किया था। मैं मजाक कर रहा हूं, लेकिन मैं उस घटना को कभी नहीं भूलूंगा।’’ उन्होंने कहा, जब वह एक साल बाद आया तो वह सिर्फ 15 साल के करीब था। मैं नेट में उसके पीछे था। सचिन ने पहली गेंद को चौके के लिए भेज दिया। अगली गेंद पर भी उसने चौका लगाया था। गेंदबाज उसे समझ नहीं पा रहे थे और वह पार्क के चारों ओर हिट कर रहा था।
लिली ने कहा, वह जब करीब 12 गेंद में 48 रन के करीब बल्लेबाजी कर रहा था तो मैंने तब के मुख्य कोच टीए शेखर से पूछा कि यह लड़का कौन है? शेखर हंसे और जवाब दिया कि आपको याद होना चाहिए, यह वही लड़का है जिसे आपने तब मना कर दिया था जब वह तेज गेंदबाज बनना चाहता था। उन्होंने कहा, मैं भाग्यशाली था कि मैंने उसे टेस्ट क्रिकेट में अंतरराष्ट्रीय आगाज करने से पहले ही देख लिया था और तभी मुझे पता चल गया था कि वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में शुमार होगा।
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