MS Dhoni को बीसीसीआई के सालाना कांट्रेक्ट में स्थान नहीं मिला है
खास बातें
- माही को बीसीसीआई के सालाना कांट्रेक्ट में नहीं मिली है जगह
- इसके बाद उनके भविष्य को लेकर शुरू हो गया अटकलों का दौर
- अब बीसीसीआई की प्लानिंग का हिस्सा नहीं रहे पूर्व कप्तान
नई दिल्ली: टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ( MS Dhoni)को भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) ने खिलाड़ियों के सालाना कांट्रेक्ट ( Annual Player Contracts for Team India)में स्थान नहीं मिला है. बीसीसीआई की ओर से गुरुवार को प्लेयर्स कांट्रेक्ट की घोषणा की गई, जिसमें धोनी को किसी ग्रेड में स्थान नहीं मिला है. धोनी को कांट्रेक्ट विहीन रहने के मायने यह लगाए जा रहे हैं कि बीसीसीआई अब अपनी भविष्य की प्लानिंग के लिहाज से सोच रहा है और टीम इंडिया के पूर्व कप्तान इसका हिस्सा नहीं हैं. चयन समिति के प्रमुख एमएसके प्रसाद भी एक बार बातों-बातों में यह संकेत दे चुके हैं कि बोर्ड अब ऋषभ पंत और संजू सैमसन जैसे युवा विकेटकीपरों पर दांव लगाना चाहता है. धोनी के बीसीसीआई के कांट्रेक्ट से बाहर होते ही #ThankYouDhoni सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा. वैसे भी धोनी भारतीय टीम में हो या इससे बाहर हों, चर्चा का केंद्र बने रहते हैं. सोशल मीडिया पर उनकी अच्छी खासी फैन फॉलोइंग है.
MS Dhoni को BCCI के प्लेयर्स के सालाना कांट्रेक्ट में स्थान नहीं..
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मुंबई वनडे मैच (India vs Australia, 1st ODI)के दौरान भी धोनी-धोनी के नारे सुनाई दिए थे. मैच में ऋषभ पंत के विकेटकीपिंग के लिए मैदान में नहीं उतरने के कारण केएल राहुल ने विकेटकीपर की जिम्मेदारी संभाली थी. इस दौरान राहुल जब एक गेंद को पकड़ने मे नाकाम रहे थे तो क्रिकेटप्रेमियों ने 'धोनी-धोनी' के नारे बुलंद किए थे. कई क्रिकेटप्रेमियों की राय यह भी थी कि धोनी अगर मुंबई वनडे में भारतीय टीम का हिस्सा होते तो शायद उसे इतनी बुरी हार का सामना नहीं करना पड़ता. धोनी विकेट के पीछे से गेंदबाजों को उपयोगी सलाह देकर मददगार साबित होते हैं.
युजवेंद चहल और कुलदीप यादव जैसे युवा स्पिनर स्वीकार कर चुकी हैं कि माही भाई (MS Dhoni)की सलाह कई मौकों पर उनके लिए उपयोगी साबित होती हैं. फील्ड प्लेसमेंट के मामले में भी धोनी बेजोड़ माने जाते हैं और खेल के प्रति उनकी समझ के विपक्षी खिलाड़ी भी कायल हैं. इन तमाम खूबियों के बावजूद इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि उम्र बढ़ने के साथ धोनी के खेल में उतार आ रहा है. हालांकि विकेटकीपिंग में वे अभी भी चुस्त-दुरुस्त हैं लेकिन उनकी कमजोर स्ट्राइक रेट शॉर्टर फॉर्मेट के क्रिकेट में भारतीय टीम के लिए भारी पड़ती है. आलोचकों का मानना है कि धोनी अब पहले की तरह स्ट्राइक को तेजी से रोटेट नहीं कर पाते, इससे बल्लेबाजों पर दबाव बढ़ता है. धोनी के 'फिनिशर' होने को लेकर भी अब सवाल उठने लगे हैं.
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