टीम इंडिया के मुख्य कोच बनाए गए रवि शास्त्री और सौरव गांगुली के संबंधों में तनाव खत्म नहीं हुआ.
नई दिल्ली:
रवि शास्त्री टीम इंडिया के मुख्य कोच तो बन गए हैं लेकिन ऐसा लग रहा है कि एक बार फिर रवि शास्त्री और सौरव गांगुली आमने-सामने हैं. कुछ दिन पहले मीडिया में यह खबर आई थी कि सौरव गांगुली रवि शास्त्री को कोच बनाने के पक्ष में नहीं थे लेकिन जब गांगुली के सामने जहीर खान को बॉलिंग कोच बनाए जाने का ऑफर रखा गया तब वे शास्त्री को कोच बनाने के लिए राजी हो गए. शास्त्री के नाम के साथ-साथ जहीर खान को गेंदबाजी कोच और राहुल द्रविड़ को ओवरसीज सीरीज के लिए बैटिंग कोच बनाया गया. किसी को यह उम्मीद नहीं था कि जहीर खान और राहुल द्रविड़ के नामों की घोषणा की जाएगी. आमतौर पर यही होता है कि सबसे पहले मुख्य कोच का चयन होता है और मुख्य कोच ही अपना सहयोगी स्टाफ को चुनता है.
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अगर जहीर खान की बात की जाए तो यह खबर आई थी कि अनिल कुंबले जब कोच थे तब वह उन्होंने जहीर खान का नाम बॉलिंग कोच के लिए आगे बढ़ाया था. सन 2000 में जहीर खान ने जब अपना अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू किया तब सौरव गांगुली ही टीम इंडिया के कप्तान थे. जहीर ने अपना पहला टेस्ट मैच भी सौरव गांगुली की कप्तानी में खेला था. अब यह खबर आ रही है कि रवि शास्त्री जहीर खान के चयन को लेकर खुश नहीं हैं. वे भरत अरुण को फुल टाइम बॉलिंग कोच के रूप में चाहते हैं. रवि शास्त्री जब टीम डायरेक्टर थे तब अरुण टीम के बॉलिंग कोच थे. एक गेंदबाज के रूप में जहीर खान का भरत अरुण से ज्यादा अनुभव है. जहीर खान ने 200 एक दिवसीय मैच खेले हैं और 284 विकेट लिए हैं. जबकि अरुण ने सिर्फ चार एक दिवसीय मैच खेले हैं और एक विकेट लेने में कामयाब हुए हैं.
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अगर टेस्ट मैच की बात की जाए तो जहीर खान ने 92 मैचों में 311 विकेट लिए हैं जबकि अरुण दो टेस्ट मैच खेलकर सिर्फ चार विकेट लेने में कामयाब हुए हैं. हालांकि कोच के रूप में जहीर खान का अनुभव नहीं है. यह भी जरूरी नहीं है कि एक अच्छा खिलाड़ी एक अच्छा कोच साबित हो. साल 1983 में कपिल देव की कप्तानी में भारत ने वर्ल्ड कप जीता था. तब टीम का कोई कोई कोच नहीं था लेकिन कपिल शानदार ऑल राउंडर तो साबित हुए. हालांकि कोच के रूप में उनका करियर काफी खराब रहा. कपिल देव को 1999 में टीम इंडिया का कोच बनाया गया था. तब कप्तान सचिन तेंदुलकर थे. कपिल जब कोच थे तब भारत ऑस्ट्रेलिया से टेस्ट सीरीज हारा था. 12 सालों के बाद ऐसा हुआ था जब भारत अपने घरेलू मैदान पर सीरीज हारा था. फिर कपिल देव पर मनोज प्रभाकर ने मैच फिक्सिंग का आरोप लगाया था जिसकी वजह से कपिल देव को कोच का पद छोड़ना पड़ा था. कपिल देव के खिलाफ लगा मैच फिक्सिंग का आरोप साबित नहीं हो पाया था.
अगर भरत अरुण को लेकर रवि शास्त्री अड़ जाते हैं तो गांगुली और शास्त्री के बीच तनातनी एक बार फिर सामने आएगी. यह पहली बार नहीं होगा जब गांगुली और शास्त्री आमने-सामने होंगे. इससे पहले भी दोनों के बीच कई बार तनातनी देखने को मिली है. वर्ष 2016 में रवि शास्त्री जब कोच नहीं बन पाए थे तब उन्होंने अपनी भड़ास सौरव गांगुली पर निकाली थी. एक अखबार को इंटरव्यू देते हुए रवि शास्त्री ने कहा था कि कोच न बनने पर वे बहुत निराश हैं. शास्त्री का कहना था कि टीम डायरेक्टर के रूप में सफल होने के बावजूद उन्हें कोच नहीं बनाया गया. शास्त्री ने कहा था कि जब उनका इंटरव्यू हो रहा था तब गांगुली मौजूद नहीं थे और ऐसा करके उन्होंने सलाहकार समिति के सदस्य के तौर पर अपने पद के साथ-साथ रवि शास्त्री का अनादर किया. सौरव गांगुली भी पीछे हटने वाले नहीं थे. 29 जून 2016 को गांगुली ने रवि शास्त्री पर हमला बोल दिया. उन्होंने कहा था 'अगर रवि शास्त्री सोचते हैं कि वह गांगुली की वजह से कोच नहीं बन पाए तो वे बेवकूफों की दुनिया में रह रहे हैं. इंटरव्यू के दौरान अनुपस्थिति को लेकर गांगुली ने कहा था कि उन्होंने बीसीसीआई को पहले ही सूचना दे दी थी.
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अगर जहीर खान की बात की जाए तो यह खबर आई थी कि अनिल कुंबले जब कोच थे तब वह उन्होंने जहीर खान का नाम बॉलिंग कोच के लिए आगे बढ़ाया था. सन 2000 में जहीर खान ने जब अपना अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू किया तब सौरव गांगुली ही टीम इंडिया के कप्तान थे. जहीर ने अपना पहला टेस्ट मैच भी सौरव गांगुली की कप्तानी में खेला था. अब यह खबर आ रही है कि रवि शास्त्री जहीर खान के चयन को लेकर खुश नहीं हैं. वे भरत अरुण को फुल टाइम बॉलिंग कोच के रूप में चाहते हैं. रवि शास्त्री जब टीम डायरेक्टर थे तब अरुण टीम के बॉलिंग कोच थे. एक गेंदबाज के रूप में जहीर खान का भरत अरुण से ज्यादा अनुभव है. जहीर खान ने 200 एक दिवसीय मैच खेले हैं और 284 विकेट लिए हैं. जबकि अरुण ने सिर्फ चार एक दिवसीय मैच खेले हैं और एक विकेट लेने में कामयाब हुए हैं.
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अगर टेस्ट मैच की बात की जाए तो जहीर खान ने 92 मैचों में 311 विकेट लिए हैं जबकि अरुण दो टेस्ट मैच खेलकर सिर्फ चार विकेट लेने में कामयाब हुए हैं. हालांकि कोच के रूप में जहीर खान का अनुभव नहीं है. यह भी जरूरी नहीं है कि एक अच्छा खिलाड़ी एक अच्छा कोच साबित हो. साल 1983 में कपिल देव की कप्तानी में भारत ने वर्ल्ड कप जीता था. तब टीम का कोई कोई कोच नहीं था लेकिन कपिल शानदार ऑल राउंडर तो साबित हुए. हालांकि कोच के रूप में उनका करियर काफी खराब रहा. कपिल देव को 1999 में टीम इंडिया का कोच बनाया गया था. तब कप्तान सचिन तेंदुलकर थे. कपिल जब कोच थे तब भारत ऑस्ट्रेलिया से टेस्ट सीरीज हारा था. 12 सालों के बाद ऐसा हुआ था जब भारत अपने घरेलू मैदान पर सीरीज हारा था. फिर कपिल देव पर मनोज प्रभाकर ने मैच फिक्सिंग का आरोप लगाया था जिसकी वजह से कपिल देव को कोच का पद छोड़ना पड़ा था. कपिल देव के खिलाफ लगा मैच फिक्सिंग का आरोप साबित नहीं हो पाया था.
अगर भरत अरुण को लेकर रवि शास्त्री अड़ जाते हैं तो गांगुली और शास्त्री के बीच तनातनी एक बार फिर सामने आएगी. यह पहली बार नहीं होगा जब गांगुली और शास्त्री आमने-सामने होंगे. इससे पहले भी दोनों के बीच कई बार तनातनी देखने को मिली है. वर्ष 2016 में रवि शास्त्री जब कोच नहीं बन पाए थे तब उन्होंने अपनी भड़ास सौरव गांगुली पर निकाली थी. एक अखबार को इंटरव्यू देते हुए रवि शास्त्री ने कहा था कि कोच न बनने पर वे बहुत निराश हैं. शास्त्री का कहना था कि टीम डायरेक्टर के रूप में सफल होने के बावजूद उन्हें कोच नहीं बनाया गया. शास्त्री ने कहा था कि जब उनका इंटरव्यू हो रहा था तब गांगुली मौजूद नहीं थे और ऐसा करके उन्होंने सलाहकार समिति के सदस्य के तौर पर अपने पद के साथ-साथ रवि शास्त्री का अनादर किया. सौरव गांगुली भी पीछे हटने वाले नहीं थे. 29 जून 2016 को गांगुली ने रवि शास्त्री पर हमला बोल दिया. उन्होंने कहा था 'अगर रवि शास्त्री सोचते हैं कि वह गांगुली की वजह से कोच नहीं बन पाए तो वे बेवकूफों की दुनिया में रह रहे हैं. इंटरव्यू के दौरान अनुपस्थिति को लेकर गांगुली ने कहा था कि उन्होंने बीसीसीआई को पहले ही सूचना दे दी थी.
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