जस्टिस लोढ़ा पैनल ने BCCI में सुधार के लिए कई उपाय सुझाए हैं (फाइल फोटो)
जस्टिस एमएल लोढ़ा कमेटी की रिपोर्ट लागू करने को लेकर बीसीसीआई द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका पर आगे की सुनवाई करते हुए शुक्रवार को देश की सर्वोच्च अदालत ने एक बार फिर बोर्ड को फटकार लगाई। कोर्ट ने साफ कहा कि बोर्ड बताए कि वह बदलाव को तैयार है नहीं। सोमवार को भी सुनवाई जारी रहेगी।
बीसीसीआई की ओर से कहा गया कि वह एक प्राइवेट बॉडी है और रजिस्ट्रार को रिपोर्ट देते हैं। वह सोसाइटी एक्ट में आते हैं और इसके तहत उसमें प्रस्तावित संशोधन नहीं किए जा सकते और कोर्ट इस तरह के आदेश जारी नहीं कर सकता।
इस पर कोर्ट ने बोर्ड के वकील से कहा-
लोढ़ा कमेटी ने दिए हैं कई सुझाव
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई जस्टिस लोढ़ा समिति ने बीसीसीआई में सुधार के लिए कई सुझाव दिए हैं। इनमें एक राज्य, एक वोट का की सलाह दी गई है। साथ ही बीसीसीआई से मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों को बाहर रखने की बात कही गई है। जस्टिस लोढ़ा बीसीसीआई में CAG को शामिल करना चाहते हैं जबकि बीसीसीआई इसका विरोध कर रही है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से राज्य क्रिकेट संघ को दिए गए 5 साल के पैसे का हिसाब किताब मांगा है। बीसीसीआई RTI का भी विरोध कर रही है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार की सुनवाई में बोर्ड की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा था कि-
BCCI की पांच साल की रिपोर्ट के हवाले से चीफ जस्टिस ने कहा था कि- बिहार, मणिपुर, मिजोरम और मेघालय को कोई पैसा नहीं दिया गया जबकि छतीसगढ को 2010-11 के बाद पैसा नहीं दिया गया। 11 ऐसे राज्य हैं जो पिछले पांच साल से फंड के लिए भी मांग रहे हैं। मध्य प्रदेश को पिछले पांच साल में एक पैसा भी नहीं दिया गया।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि आप खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों नजरअंदाज कर रहे हैं। जस्टिस लोढ़ा पैनल कोई छोटी कमेटी नहीं है, ये पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के नेतृत्व में बनी है और कोर्ट को इस पैनल पर पूरा विश्वास है। सुप्रीम कोर्ट में बीसीसीआई ने पांच साल की रिपोर्ट सौंपी है।
बीसीसीआई की ओर से कहा गया कि वह एक प्राइवेट बॉडी है और रजिस्ट्रार को रिपोर्ट देते हैं। वह सोसाइटी एक्ट में आते हैं और इसके तहत उसमें प्रस्तावित संशोधन नहीं किए जा सकते और कोर्ट इस तरह के आदेश जारी नहीं कर सकता।
इस पर कोर्ट ने बोर्ड के वकील से कहा-
- यह बताइए कि आप बीसीसीआई में बदलाव करने को तैयार हैं या नहीं
- आप कोई प्राइवेट बॉडी नहीं हैं, आप एक ट्रस्ट हैं जो देश में क्रिकेट के लिए है
- आप रजिस्ट्रार को जवाब देने के ही नहीं बल्कि क्रिकेट देखने वालों के प्रति भी जवाबदेह हैं
- आप विज्ञापनों और दूसरे माध्यमों से जो पैसा कमाते हैं वो सैकड़ों करोड़ है
- आप यह पैसा जनता से लेते हैं और आप चाहते हैं कि इन पैसों के लिए आपसे सवाल न पूछे जाएं
- आप करीब सौ करोड़ रुपए गोवा और गुजरात को दे देते हैं और कहते हैं कि यह न पूछा जाए कि पैसा सही हाथों में गया या नहीं
- क्या आप इस पैसे के लिए जवाबदेह नहीं है?
लोढ़ा कमेटी ने दिए हैं कई सुझाव
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई जस्टिस लोढ़ा समिति ने बीसीसीआई में सुधार के लिए कई सुझाव दिए हैं। इनमें एक राज्य, एक वोट का की सलाह दी गई है। साथ ही बीसीसीआई से मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों को बाहर रखने की बात कही गई है। जस्टिस लोढ़ा बीसीसीआई में CAG को शामिल करना चाहते हैं जबकि बीसीसीआई इसका विरोध कर रही है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से राज्य क्रिकेट संघ को दिए गए 5 साल के पैसे का हिसाब किताब मांगा है। बीसीसीआई RTI का भी विरोध कर रही है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार की सुनवाई में बोर्ड की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा था कि-
- एक राज्य को एक से ज्यादा वोट का अधिकार देने पर बीसीसीआई क्यों अड़ी हुई है?
- बीसीसीआई का काम देशभर में क्रिकेट को बढ़ावा देना है।
- मुंबई और गुजरात के अलावा दूसरे राज्य भी क्रिकेट को लेकर क्या कम उत्साहित हैं?
- अफ़सोस की आपने क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए कुछ भी नहीं किया है।
- गोवा को आप 60 करोड़ दे रहे हैं और बिहार को नज़रअंदाज़ करेंगे?
- 'नॉर्थ ईस्ट की नुमाइंदगी कम क्यों है?
- 'बड़े राज्य क्यों हावी हैं छोटे राज्यों पर?
- ग्रामीण क्षेत्रों की अनदेखी क्यों की जा रही है
- आप राज्य संघ को पैसे दे रहे हैं लेकिन उनसे हिसाब नहीं मांग रहे हैं।
- ऐसा लगता है कि आपने आपस में ही फ़ायदे के लिए संस्था बना रखी है
BCCI की पांच साल की रिपोर्ट के हवाले से चीफ जस्टिस ने कहा था कि- बिहार, मणिपुर, मिजोरम और मेघालय को कोई पैसा नहीं दिया गया जबकि छतीसगढ को 2010-11 के बाद पैसा नहीं दिया गया। 11 ऐसे राज्य हैं जो पिछले पांच साल से फंड के लिए भी मांग रहे हैं। मध्य प्रदेश को पिछले पांच साल में एक पैसा भी नहीं दिया गया।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि आप खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों नजरअंदाज कर रहे हैं। जस्टिस लोढ़ा पैनल कोई छोटी कमेटी नहीं है, ये पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के नेतृत्व में बनी है और कोर्ट को इस पैनल पर पूरा विश्वास है। सुप्रीम कोर्ट में बीसीसीआई ने पांच साल की रिपोर्ट सौंपी है।
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