डेविड वीज (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:
पिछले कुछ दिन दक्षिण अफ्रीकी टीम के लिए परेशानी भरे रहे हैं. पहले काइल एबोर्ट और रिली रोसो ने टीम से किनारा किया अब तेज गेंदबाज डेविड वीजे ने भी ससेक्स के साथ करार कर सबको अचंभे में डाल दिया है.
31 साल के वीज़े ने तीन साल के लिए कोल्पेक डील (Kolpak deal) साइन किया है. इस करार के अंतर्गत वीज़े अगले तीन साल तक ससेक्स के लिए पूरे साल खेलेंगे और अपना राष्ट्रीय टीम दक्षिण अफ्रीका के लिए नहीं खेल सकेंगे.
वीज़े नई टीम के लिए जून से खेलेंगे, ऐसे में उनके पास आईपीएल में खेलने का भी मौका होगा. बैंगलोर की टीम ने वीज़े को रिलीज कर चुकी है. वीज़े ने नए करार पर कहा, 'मैं क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका को मुझे मौका देने के लिए धन्यवाद देता हूं. ससेक्स के साथ खेलने को लेकर उत्साहित हूं.' ऑल राउंडर वीज़े ने अफ्रीकी टीम के लिए छह वनडे और 20 T20 मैच खेले चुके हैं लेकिन पिछले एक साल से टीम से बाहर हैं.
इससे पहले एबोर्ट और रोसो ने हैंपशायर के साथ तीन साल का करार कर अफ्रीकी टीम से नाता तोड़ दिया था. दोनों खिलाड़ियों के डील साइन करते के बाद दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट बोर्ड ने खिलाड़ियों के साथ करार रद्द कर दिया. 29 साल के एबोर्ट के कोल्पेक डील साइन करते ही अफ्रीकी बोर्ड ने साफ कर दिया कि जो भी क्रिकेटर देश के लिए खेलने से इनकार करेगा उसका करार तुरंत रद्द कर दिया जाएगा. इन खिलाड़ियों के डील साइन करने के बाद टीम के कोच रसेल डॉमिंगो ने जमकर खरी-खोटी सुनाई.
क्या है कोल्पेक डील और क्यों खिलाड़ी चुनते हैं ये रास्ता?
यूरोपियन यूनियन के देशों में खेलने के लिए एक खिलाड़ी किसी भी काउंटी के लिए क्वालिफाई करता है-यदि उसने अपनी राष्ट्रीय टीम से खेलने से इनकार कर दिया हो. कोल्पेक खिलाड़ी चार साल के बाद इंग्लैंड के लिए खेलने के लिए क्वालिफाई कर जाते हैं.
अक्सर खिलाड़ी मजबूरी में यह रास्ता अपनाते हैं. सबसे पहले अगर क्रिकेटर लंबे समय से अपने देश की टीम से बाहर रहा हो या फिर बढ़ती उम्र की वजह से आने वाले दिनों में उसे किसी बड़ी टीम से करार नहीं मिलने की उम्मीद हो. इससे क्रिकेटर अपने आने वाले दिनों के लिए पैसे बचाकर भविष्य के बारे में सोचता है.
युवा क्रिकेटरों को भी यह रास्ता खूब लुभाता है. एक खिलाड़ी अपने बेहतर भविष्य को देखते हुए एक देश को छोड़कर दूसरे देश से खेलना तय कर सकता है. कभी-कभी खिलाड़ियों और क्रिकेट बोर्ड के बीच में हुई तनातनी की वजह भी एक खिलाड़ी को कोल्पेक डील साइन करने पर मजबूर करती है. केविन पीटरसन और इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) के बीच में हुई तकरार ने केपी के अफ्रीकी टीम से खेलने की खबर को तूल दे दिया था.
इंग्लिश काउंटी में पिछले कुछ सालों से कोल्पेक खिलाड़ियों की संख्या बढ़ी है. हालांकि ईसीबी ने कोल्पेक डील साइन करने वालों की गिनती कम करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं. ईसीबी ने कोल्पेक वाले खिलाड़ी की टीम की फीस काटने का फैसला कर काउंटी टीम को सावधान कर दिया है. वैसे काउंटी टीम को सीज़न के लिए विदेशी खिलाड़ियों को साइन करने की इजाजत है लेकिन कोल्पेक डील साइन करने पर फीस काटने का प्रावधान बनाया है.
31 साल के वीज़े ने तीन साल के लिए कोल्पेक डील (Kolpak deal) साइन किया है. इस करार के अंतर्गत वीज़े अगले तीन साल तक ससेक्स के लिए पूरे साल खेलेंगे और अपना राष्ट्रीय टीम दक्षिण अफ्रीका के लिए नहीं खेल सकेंगे.
वीज़े नई टीम के लिए जून से खेलेंगे, ऐसे में उनके पास आईपीएल में खेलने का भी मौका होगा. बैंगलोर की टीम ने वीज़े को रिलीज कर चुकी है. वीज़े ने नए करार पर कहा, 'मैं क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका को मुझे मौका देने के लिए धन्यवाद देता हूं. ससेक्स के साथ खेलने को लेकर उत्साहित हूं.' ऑल राउंडर वीज़े ने अफ्रीकी टीम के लिए छह वनडे और 20 T20 मैच खेले चुके हैं लेकिन पिछले एक साल से टीम से बाहर हैं.
इससे पहले एबोर्ट और रोसो ने हैंपशायर के साथ तीन साल का करार कर अफ्रीकी टीम से नाता तोड़ दिया था. दोनों खिलाड़ियों के डील साइन करते के बाद दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट बोर्ड ने खिलाड़ियों के साथ करार रद्द कर दिया. 29 साल के एबोर्ट के कोल्पेक डील साइन करते ही अफ्रीकी बोर्ड ने साफ कर दिया कि जो भी क्रिकेटर देश के लिए खेलने से इनकार करेगा उसका करार तुरंत रद्द कर दिया जाएगा. इन खिलाड़ियों के डील साइन करने के बाद टीम के कोच रसेल डॉमिंगो ने जमकर खरी-खोटी सुनाई.
क्या है कोल्पेक डील और क्यों खिलाड़ी चुनते हैं ये रास्ता?
यूरोपियन यूनियन के देशों में खेलने के लिए एक खिलाड़ी किसी भी काउंटी के लिए क्वालिफाई करता है-यदि उसने अपनी राष्ट्रीय टीम से खेलने से इनकार कर दिया हो. कोल्पेक खिलाड़ी चार साल के बाद इंग्लैंड के लिए खेलने के लिए क्वालिफाई कर जाते हैं.
अक्सर खिलाड़ी मजबूरी में यह रास्ता अपनाते हैं. सबसे पहले अगर क्रिकेटर लंबे समय से अपने देश की टीम से बाहर रहा हो या फिर बढ़ती उम्र की वजह से आने वाले दिनों में उसे किसी बड़ी टीम से करार नहीं मिलने की उम्मीद हो. इससे क्रिकेटर अपने आने वाले दिनों के लिए पैसे बचाकर भविष्य के बारे में सोचता है.
युवा क्रिकेटरों को भी यह रास्ता खूब लुभाता है. एक खिलाड़ी अपने बेहतर भविष्य को देखते हुए एक देश को छोड़कर दूसरे देश से खेलना तय कर सकता है. कभी-कभी खिलाड़ियों और क्रिकेट बोर्ड के बीच में हुई तनातनी की वजह भी एक खिलाड़ी को कोल्पेक डील साइन करने पर मजबूर करती है. केविन पीटरसन और इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) के बीच में हुई तकरार ने केपी के अफ्रीकी टीम से खेलने की खबर को तूल दे दिया था.
इंग्लिश काउंटी में पिछले कुछ सालों से कोल्पेक खिलाड़ियों की संख्या बढ़ी है. हालांकि ईसीबी ने कोल्पेक डील साइन करने वालों की गिनती कम करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं. ईसीबी ने कोल्पेक वाले खिलाड़ी की टीम की फीस काटने का फैसला कर काउंटी टीम को सावधान कर दिया है. वैसे काउंटी टीम को सीज़न के लिए विदेशी खिलाड़ियों को साइन करने की इजाजत है लेकिन कोल्पेक डील साइन करने पर फीस काटने का प्रावधान बनाया है.
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