मुंबई:
भारतीय कप्तानों में से सौरव गांगुली वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज ब्रायन लारा के पसंदीदा कप्तान हैं और उनका मानना है कि आस्ट्रेलिया के खिलाफ गांगुली की कप्तानी अद्भुत रही।
लारा ने एक कार्यक्रम में कहा, सौरव मेरे पसंदीदा कप्तान हैं। ऑस्ट्रेलिया में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी कप्तानी अदभुत थी। मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं। उन्होंने कपिल देव और अपने अच्छे दोस्त सचिन तेंदुलकर की कप्तानी की भी तारीफ की।
उन्होंने कहा, 1983 में वेस्टइंडीज का दबदबा था और मुझे लगा कि वह फाइनल में आसानी से पहुंचेगी। मैं बाहर खेलने चला गया और मुझे लौटने पर पता चला कि भारत जीत गया है। कपिल देव ने भारत को वह जीत दिलाई। उन्होंने कहा, फिर मेरे दोस्त सचिन तेंदुलकर हैं। उसने क्रिकेट के लिए जो कुछ किया है, उसे दोहराया नहीं जा सकता। भारतीय और विश्व क्रिकेट में उसका योगदान अतुलनीय है।
भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी के बारे में लारा ने कहा, मैंने ड्वेन ब्रावो से धोनी के बारे में बात की कि वह बतौर कप्तान कैसा है। उसने बताया कि उसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह सबकी सुनता है। ब्रावो ने बताया कि वह कैसे लक्ष्य बनाता है, लेकिन अपने खिलाड़ियों से भी सुझाव लेता है। लारा ने अपने शुरुआती दिनों के बारे में बताते हुए कहा कि कैसे उनका पहला बल्ला नारियल की एक टहनी थी।
लारा ने कहा, मेरा पहला बल्ला मेरे भाई की तोड़ी नारियल की एक टहनी थी। उसके बाद से मैं वेस्टइंडीज के लिए खेलना चाहता था। मैं अहाते में क्रिकेट खेलता और टीम में गोर्डन ग्रीनिज, डेसमंड हैंस, विवियन रिचर्डस और अपने होने की कल्पना करता। शुरुआत से ही मैंने खुद को सिर्फ वेस्टइंडीज के क्रिकेटर के तौर पर ही देखा था। उन्होंने हौसलाअफजाई के लिए अपने पिता को भी धन्यवाद दिया।
उन्होंने कहा, मैं अपने पिता की तारीफ करूंगा। मैंने स्कूल, अंडर 14, अंडर 16 स्तर तक जितने भी मैच खेले, वह हमेशा मौजूद रहे। दुर्भाग्य की बात है कि मैंने जैसे ही वेस्टइंडीज टीम में प्रवेश किया, उनका निधन हो गया। उन्होंने मुझे कभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलते नहीं देखा। उन्होंने यह भी कहा कि उनके साथी खिलाड़ी उनके सबसे बड़े प्रेरणास्रोत रहे। उन्होंने आलोचकों के इन दावों को भी खारिज किया कि वह अपने लिए खेलते थे।
उन्होंने कहा, मीडिया और कई लोग कहते हैं कि मेरी सफलता व्यक्तिगत है। यह सरासर गलत है। मेरी जिंदगी में सबसे बड़े प्रेरणास्रोत मेरे साथी खिलाड़ी रहे। टीम में खेलने से मुझे प्रेरणा मिलती थी। लारा ने कहा, मैंने 400 रन ऐसे समय में बनाए जब इंग्लैंड शृंखला में 3-0 से आगे था और सिर्फ एक टेस्ट बाकी था। उस टेस्ट को ड्रॉ कराना सबसे अहम था। उन्होंने यह भी कहा कि 70 और 80 के दशक की सफल कैरेबियाई टीम का हिस्सा बनने के लिए वह खुशी खुशी अपने सारे रिकॉर्ड छोड़ देंगे।
लारा ने एक कार्यक्रम में कहा, सौरव मेरे पसंदीदा कप्तान हैं। ऑस्ट्रेलिया में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी कप्तानी अदभुत थी। मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं। उन्होंने कपिल देव और अपने अच्छे दोस्त सचिन तेंदुलकर की कप्तानी की भी तारीफ की।
उन्होंने कहा, 1983 में वेस्टइंडीज का दबदबा था और मुझे लगा कि वह फाइनल में आसानी से पहुंचेगी। मैं बाहर खेलने चला गया और मुझे लौटने पर पता चला कि भारत जीत गया है। कपिल देव ने भारत को वह जीत दिलाई। उन्होंने कहा, फिर मेरे दोस्त सचिन तेंदुलकर हैं। उसने क्रिकेट के लिए जो कुछ किया है, उसे दोहराया नहीं जा सकता। भारतीय और विश्व क्रिकेट में उसका योगदान अतुलनीय है।
भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी के बारे में लारा ने कहा, मैंने ड्वेन ब्रावो से धोनी के बारे में बात की कि वह बतौर कप्तान कैसा है। उसने बताया कि उसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह सबकी सुनता है। ब्रावो ने बताया कि वह कैसे लक्ष्य बनाता है, लेकिन अपने खिलाड़ियों से भी सुझाव लेता है। लारा ने अपने शुरुआती दिनों के बारे में बताते हुए कहा कि कैसे उनका पहला बल्ला नारियल की एक टहनी थी।
लारा ने कहा, मेरा पहला बल्ला मेरे भाई की तोड़ी नारियल की एक टहनी थी। उसके बाद से मैं वेस्टइंडीज के लिए खेलना चाहता था। मैं अहाते में क्रिकेट खेलता और टीम में गोर्डन ग्रीनिज, डेसमंड हैंस, विवियन रिचर्डस और अपने होने की कल्पना करता। शुरुआत से ही मैंने खुद को सिर्फ वेस्टइंडीज के क्रिकेटर के तौर पर ही देखा था। उन्होंने हौसलाअफजाई के लिए अपने पिता को भी धन्यवाद दिया।
उन्होंने कहा, मैं अपने पिता की तारीफ करूंगा। मैंने स्कूल, अंडर 14, अंडर 16 स्तर तक जितने भी मैच खेले, वह हमेशा मौजूद रहे। दुर्भाग्य की बात है कि मैंने जैसे ही वेस्टइंडीज टीम में प्रवेश किया, उनका निधन हो गया। उन्होंने मुझे कभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलते नहीं देखा। उन्होंने यह भी कहा कि उनके साथी खिलाड़ी उनके सबसे बड़े प्रेरणास्रोत रहे। उन्होंने आलोचकों के इन दावों को भी खारिज किया कि वह अपने लिए खेलते थे।
उन्होंने कहा, मीडिया और कई लोग कहते हैं कि मेरी सफलता व्यक्तिगत है। यह सरासर गलत है। मेरी जिंदगी में सबसे बड़े प्रेरणास्रोत मेरे साथी खिलाड़ी रहे। टीम में खेलने से मुझे प्रेरणा मिलती थी। लारा ने कहा, मैंने 400 रन ऐसे समय में बनाए जब इंग्लैंड शृंखला में 3-0 से आगे था और सिर्फ एक टेस्ट बाकी था। उस टेस्ट को ड्रॉ कराना सबसे अहम था। उन्होंने यह भी कहा कि 70 और 80 के दशक की सफल कैरेबियाई टीम का हिस्सा बनने के लिए वह खुशी खुशी अपने सारे रिकॉर्ड छोड़ देंगे।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं