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This Article is From Sep 21, 2015

टीम इंडिया से बाहर हुए 'सर' रवींद्र जडेजा, अब धोनी के लिए भी मदद करना हुआ मुश्किल

टीम इंडिया से बाहर हुए 'सर' रवींद्र जडेजा, अब धोनी के लिए भी मदद करना हुआ मुश्किल
रवींद्र जडेजा को टीम इंडिया से बाहर कर दिया गया है (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: रवींद्र जडेजा के लिए साल 2015 अब तक बेहद खराब बीता है। साल की शुरुआत से ही बैट और बॉल दोनों से वे उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाए। क्रिकेट के इस 'रॉकस्टार' की कम होती चमक का अंदाजा आप उनके रिकॉर्ड को देखकर सहज ही लगा सकते हैं। जडेजा ने 11 वनडे मैचों में 5.57 के इकोनॉमी रेट से मात्र 10 विकेट लिए और इस दौरान उनके बल्ले से 14 के औसत से महज 113 रन निकले।

जडेजा के खराब फॉर्म और उनके कम होते प्रभाव से यह संकेत मिलता है कि अब वे टीम इंडिया के लिए ऑलराउंडर के रूप में कुछ साल पहले जितने उपयोगी नहीं रहे। इसी कारण से उन्हें दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चुनी गई वनडे टीम से बाहर कर दिया गया।
  
धोनी के घटते प्रभाव का असर
जडेजा एक बार फिर अपने करियर के दोराहे पर खड़े हैं। एक तरह से उन्हें उस दौर का सामना फिर से करना पड़ रहा है, जिसका सामना उन्होंने 2009-10 में किया था और उनके उस खराब ऑलराउंड प्रदर्शन का खामियाजा टीम इंडिया को भुगतना पड़ रहा था, क्योंकि उस समय उन्हें टीम इंडिया के वनडे और टी-20 कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का जबर्दस्त समर्थन हासिल था। अब जबकि टीम के नए सेटअप के कारण धोनी का प्रभाव भी कम हो रहा है, तो ऐसा लगता है कि जडेजा को टीम में वापसी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। 

 जडेजा के प्रदर्शन में गिरावट कैसे आई?
2013 के सत्र में जडेजा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार टेस्ट मैचों की सीरीज में 24 विकेट लेकर विश्व के शीर्ष गेंदबाजों में जगह बनाई थी। उनके इस प्रदर्शन से भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 4-0 से हराने में सफलता हासिल की थी। इंग्लैंड में साल 2013 की चैंपियन ट्रॉफी में भी उन्होंने 12 से थोड़े अधिक के औसत से 12 विकेट हासिल करके टीम इंडिया के खिताब जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। जडेजा का यह प्रदर्शन अगले सत्र में न्यूजीलैंड के खिलाफ भी जारी रहा, जब उन्होंने फरवरी में ऑकलैंड में 65 रन की नाबाद पारी खेलकर तीसरे वनडे को टाई करवा दिया था।         

कंधे की चोट बनी दुश्मन
इस प्रकार जब तक उन्होंने बैट और बॉल से लगातार अच्छा प्रदर्शन जारी रखा तब तक ऐसा लग रहा था कि उनकी जगह पक्की है। हालांकि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के दौरान उनके कंधे में चोट लग गई और ICC 2015 वर्ल्ड कप की टीम इंडिया में उनके स्थान को लेकर आशंका उत्पन्न होने लगी। फिर भी उन्होंने रिकवरी कर ली और वर्ल्ड कप के आठ मैचों में उन्हें खेलने का मौका मिला।

वर्ल्ड कप में भी उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। उनके प्रदर्शन को देखकर ऐसा लगने लगा कि अब जडेजा पुराने वाले गेंदबाज नहीं रहे। उनकी गेंदबाजी में सटीकता नहीं रही और वे बीच के ओवरों में बल्लेबाजों पर अंकुश लगाने में नाकाम रहने लगे, जैसा कि वे फॉर्म में होने पर करते थे। बॉलिंग के साथ-साथ उनकी बैटिंग भी गिरती चली गई और इस कारण टीम इंडिया का निचला मध्यक्रम धराशायी होने लगा।  जून में बांग्लादेश के खिलाफ जब भी ऐसा लगता कि वे टीम को मुसीबत से निकाल लेंगे, तभी उन्होंने अपना विकेट फेंक दिया।

वापसी के लिए करनी होगी कड़ी मेहनत
बदलाव के दौर से गुजर रही टीम इंडिया में जगह बनाने के लिए जडेजा को अब अपनी बैटिंग और बॉलिंग दोनों से करामात दिखानी होगी और कमियों को दूर करना होगा। चूंकि अक्षर पटेल भी उतना बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए उनके लिए दरवाजे अभी भी थोड़े से खुले हुए हैं, लेकिन दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टीम से बाहर किए जाने के बाद उनके लिए यह स्पष्ट संकेत है कि वे अब चैन से नहीं बैठ सकते और उन्हें वापसी के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।

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