बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष और कद्दावर नेता शरद पवार एक बार फिर से देश में क्रिकेट की बागडोर अपने हाथ में लेने का मन बना रहे हैं। अपने करीबियों से उन्होंने अपनी मंशा जाहिर भी कर दी है। क्रिकेट प्रशासन में पवार के करीबी अब गुणा गणित जुटाने में लग गए हैं, ताकि अगर वो मैदान में उतरें तो सारे एसोसिएशन पवार की बात को मान लें।
सोमवार को मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ उन्होंने घंटों बैठक की, बैठक के बाद उन्होंने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि यह व्यक्तिगत फैसला नहीं होगा, हम साथ बैठकर तय करेंगे। एक्सीडेंट की वजह से मेरी सेहत को लेकर भी कुछ दिक्कतें हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को छह सप्ताह के भीतर चुनाव कराने का आदेश दिया है। लेकिन चुनाव से पहले बोर्ड को सालाना आम बैठक के लिए वर्किंग कमेटी की मीटिंग बुलानी होगी, जिसके लिए सारे एसोसिएशन को 21 दिनों का नोटिस देना भी ज़रूरी है।
ऐसे में माना जा रहा है कि 14 फरवरी को बारामती में शरद पवार के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आने से अगर 10 स्टेट एसोसिएशन के वोट का भरोसा पवार को मिलता है, तो वो चुनाव मैदान में कूदने का औपचारिक ऐलान कर सकते हैं।
बीसीसीआई चुनावों में 30 एसोसिएशन के वोटों में 16 वोट अपने पक्ष में हासिल करने वाला शख्स बोर्ड अध्यक्ष की कुर्सी हासिल कर सकता है। अगर पवार बीजेपी को साध लें, तो फिर उसकी सत्ता वाले 10 वोटों के साथ रेलवे, सर्विसेज़, यूनिवर्सिटी और सीसीसीआई के वोट भी उनके साथ जुड़ सकते हैं। पश्चिम, मध्य ज़ोन के साथ, पूर्व और नॉर्थ ज़ोन से भी उन्हें सकारात्मक संदेश मिले हैं।
शरद पवार इससे पहले 2005 से 2008 तक बीसीसीआई अध्यक्ष और 2010 से 2012 तक आईसीसी चेयरमैन रह चुके हैं। आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से श्रीनिवासन के चुनाव लड़ने पर रोक के बाद अध्यक्ष पद का चुनाव काफी रोमांचक हो गया है, वैसे श्रीनिवासन ने अभी तक हथियार नहीं डाले हैं। आईपीएल में अपनी टीम चेन्नई सुपर किंग्स को उन्होंने बेचने का मन बना लिया है, और उसके लिए प्रक्रिया शुरू भी कर दी है।
बीसीसीआई 10 फरवरी को एजीएम और चुनावों के लिए वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाने का ऐलान कर सकती है।
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