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This Article is From Jan 15, 2013

दूसरा एकदिवसीय : 'शुभ वक्त' में जीत का शुभारम्भ करना चाहेगी टीम इंडिया

कोच्चि: हिंदु संस्कृति के हिसाब से 14 जनवरी के बाद खरमास की समाप्ति हो जाती है और हर किसी के लिए शुभ घड़ी की शुरुआत होती है। ऐसे में भारतीय क्रिकेट टीम मंगलवार को इंग्लैंड के साथ खेलते हुए अपने खराब दौर को पीछे छोड़कर 'शुभ वक्त' में जीत के सफर का शुभारम्भ करना चाहेगी।

भारतीय टीम पांच मैचों की एकदिवसीय शृंखला में 0-1 से पीछे चल रही है। कोच्चि में वह जीत के साथ नई शुरुआत कर पाएगी या नहीं, यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन बीता एक महीना भारत के लिए बेहद खराब रहा है। उसे इंग्लैंड के हाथों टेस्ट शृंखला में हार मिली और फिर पाकिस्तान के हाथों एकदिवसीय शृंखला गंवानी पड़ी।

राजकोट में भारत ने 326 रनों के विशाल लक्ष्य का पीछा करते हुए 316 रन बनाए थे। वह मैच कई लिहाज से अहम था। बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए जीत के इतने करीब पहुंचकर उससे महरूम रह जाना खराब वक्त की ओर इशारा करता है।

अब जबकि खरमास बीत चुका है, भारत के सामने नई चुनौतियां हैं। उसे ऑस्ट्रेलिया के साथ होने वाली घरेलू टेस्ट शृंखला से पहले खुद को सम्भालना होगा और इसके लिए उसे इंग्लिश टीम पर जीत हासिल करनी होगी।

कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को उन गलतियों से बचना होगा, जो उन्होंने राजकोट में की थी। शानदार फार्म में चल रहे चेतेश्वर पुजारा को अंतिम एकादश में शामिल नहीं करना धोनी के लिए आलोचना का कारण बना था।

धोनी रवींद्र जडेजा के स्थान पर पुजारा को टीम में शामिल कर सकते थे लेकिन बीते मैच में पाकिस्तान के खिलाफ हरफनमौला प्रदर्शन करने वाले जडेजा को कप्तान का भरोसा मिला और इस तरह भारत को एक अच्छे फार्म में चल रहे बल्लेबाज के बिना ही मैदान में उतरना पड़ा।

धोनी के लिए यह वक्त खराब है। एक समय था, जब वह जिस चीज को छूते थे, सोना हो जाता था लेकिन आज हालात बदल चुके हैं। एक वक्त ऐसा था, जब धोनी के गलत फैसले भी सही साबित हो जाया करते थे लेकिन आज उनके कई सही फैसले भी गलत साबित हो जाया करते हैं।

ऐसे में धोनी को जानबूझकर कोई जिद या गलती से बचते हुए अपने साथियों को अच्छा खेलने के लिए प्रेरित करना चाहिए। यह टीम के लिए ज्यादा जरूरी है क्योंकि सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग के बगैर टीम वैसे भी कमजोर पड़ती दिखाई दे रही है। और तो और सलामी बल्लेबाज बीते साल से लेकर अब तक एक मौके पर भी अच्छी शुरुआत नहीं दे सके हैं। टीम में प्रदर्शन के संतुलन का अभाव है। यही कारण है जब गेंदबाज अच्छा करते हैं तो बल्लेबाज फ्लॉप हो जाते हैं और जब बल्लेबाज चमकते हैं तो गेंदबाज काम खराब कर देते हैं।

राजकोट में इंग्लैंड के तीन बल्लेबाजों ने 100 से अधिक औसत से रन बनाए थे और भारत के चार बल्लेबाज इससे अधिक औसत से बनाने में सफल रहे थे लेकिन इसके बावजूद टीम हार गई थी। कारण साफ है, भारतीय बल्लेबाजों को कुछ और देर तक विकेट पर टिके रहना होगा।

यही हाल गेंदबाजों का है। इशांत शर्मा ने पाकिस्तान के खिलाफ तीसरे मुकाबले में दिल्ली में शानदार गेंदबाजी की थी लेकिन राजकोट में उनके 10 ओवर के कोटे में 86 रन बने। स्ट्राइक गेंदबाज होने के नाते इशांत को अपने प्रदर्शन में निरंतरता लानी होगी।

दूसरी ओर, इंग्लिश टीम के सामने भारत से काफी कम चिंताएं हैं। उसके बल्लेबाज अच्छी लय में हैं और गेंदबाज बखूबी अपना काम कर रहे हैं। एकदिवसीय शृंखला से पहले दो अभ्यास मैच हारने के बावजूद इंग्लिश टीम ने उसका असर अपने प्रदर्शन पर नहीं आने दिया।

कप्तान एलिस्टर कुक द्वारा इयान बेल को सलामी बल्लेबाज के तौर पर आजमाना टीम के लिए नई ऊर्जा के संचार का कारण बना है। दो अभ्यास मैचों से लेकर अब तक बेल एक शतक और दो अर्द्धशतक लगा चुके हैं।

इयोन मोर्गन, क्रेग कीसवेटर और केविन पीटरसन के रूप में उसके पास अच्छे और फार्म में चल रहे बल्लेबाज हैं, जो बेहद तेज गति से रन बनाने की क्षमता रखते हैं। इन सबने राजकोट में इसे साबित भी किया है।

कोच्चि की पिच क्या गुल खिलाएगी यह कहना मुश्किल है लेकिन इतना जरूर है कि इंग्लिश टीम भारत में बीती दो शृंखलाओं में मिली 5-0, 5-0 की हार का हिसाब बराबर करने को उतारू है और भारत के इन हालातों में उसे रोक पाना बेहद मुश्किल होगा।

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