नई दिल्ली:
संन्यास लेने की सलाह देने वाले आलोचकों को करारा जवाब देते हुए भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने कहा, ‘‘मेरे आलोचकों ने मुझे क्रिकेट नहीं सिखाई।’’ हाल में 100 अंतरराष्ट्रीय शतक जमाने का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले मास्टर बल्लेबाज का मानना है कि जिस दिन उन्हें लगेगा कि भारत के लिए बल्लेबाजी करने के लिए जाते समय उनके अंदर ‘‘क्रिकेट के प्रति जुनून’’ कम हो रहा है तो ‘‘मैं क्रिकेट छोड़ दूंगा।’’ और ‘‘मेरे आलोचकों को यह कहने (संन्यास लेने की सलाह) की जरूरत नहीं पड़ेगी।’’ तेंदुलकर ने कहा कि वे क्रिकेट खेलते हैं क्योंकि उन्हें यह अच्छा लगता है। भारत के लिए खेलने से बेहतर कुछ और नहीं हो सकता ।
एक पत्रिका के ताजा संस्करण को दिए इंटरव्यू में तेंदुलकर ने कहा, ‘‘आज भी जब मैं अपने साथियों के साथ राष्ट्रीय गान के लिए खड़ा होता हूं तो अब भी मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘वे (आलोचना करने वाले) अनेक सवाल उठा सकते हैं लेकिन वे अपने ही खड़े किए गये सवालों का जवाब नहीं दे सकते क्योंकि उनमें से कोई भी मेरी दशा को नहीं समझ पाएगा और यह नामुमकिन है कि वे जान लें कि मैं क्या सोच रहा हूं और कैसा महसूस कर रहा हूं।’’
तेंदुलकर से यह पूछने पर कि 100वां शतक बनाने की बाधा पार करने का समय कठिन था तो उन्होंने कहा, ‘‘इसमें कोई शक नहीं कि यह कठिन समय था। 100वां शतक बनाना काफी कठिन था, लेकिन मुझे खुद नहीं पता कि ऐसा क्यों था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘शायद इसलिए कि यह महाशतक एक राष्ट्रीय जुनून में बदल चुका था और शायद इसलिए कि मैं 100वें अंतरराष्ट्रीय शतक की चर्चाओं से नहीं बच पा रहा था जो कहीं मेरे अवचेतन मन पर असर डाल रही हो या फिर यह भी हो सकता है कि भगवान मुझे कठिन प्रयास कराना चाह रहा हो।’’ यह पूछने पर कि पिछले साल विश्व कप जीतने के बाद क्या कभी भी उनके मन में वनडे से संन्यास लेने की बात आई तो तेंदुलकर ने जवाब दिया, ‘‘ऐसी बात कभी भी मेरे मन में नहीं आई। ’’ तेंदुलकर ने कहा, ‘‘मेरे अनेक दोस्तों ने भी यह पूछा कि विश्व कप जीतने के बाद मैने संन्यास क्यों नहीं लिया। हो सकता है वे सही हों। वह समय भी सही था विश्व कप जीतने के बाद सभी उत्साहित थे और वन डे क्रिकेट छोड़ने का इससे अच्छा समय और क्या हो सकता था लेकिन सच्ची बात कहूं तो मेरे मन में संन्यास लेने का विचार कभी आया ही नहीं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘विश्व कप पूरे देश की जीत थी और मुझे अपने लिए (संन्यास की घोषणा) इसका प्रयोग करने का कोई हक नहीं था। मेरा संन्यास इतना महत्वपूर्ण नहीं था। अगर मैं संन्यास की घोषणा कर देता तो सारा ध्यान विश्व कप की खिताबी जीत से हटकर मेरे संन्यास पर आ जाता और मैं इतना स्वार्थी नहीं हूं क्योंकि विश्व कप की जीत भारत की थी।’’
तेंदुलकर ने कहा कि वह अब भी क्रिकेट का लुत्फ उठा रहे हैं और संन्यास के बारे में अभी सोच भी नहीं रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं क्रिकेट खेलने का मजा ले रहा हूं और जब तक मुझे अच्छा लगेगा खेलता रहूंगा। मुझे अपने संन्यास की बात मीडिया से छुपाने कोई जरूरत नहीं है। वे (मीडिया) मेरे साथ 25 साल से हैं, यकीनन मीडिया को बताऊंगा। फिलहाल संन्यास के बारे में सोच भी नहीं रहा हूं।’’ इस महान बल्लेबाज ने कहा, ‘‘ मैं हमेशा अच्छा बनना चाहता हूं और हमेशा ही उत्कृष्टता हासिल करने का प्रयास करता हूं, लेकिन आप (मीडिया) लोग ‘‘ द ग्रेटस्ट’’ जैसा ठप्पा लगाते हो तो मैं सम्मानित और शर्मिंदा दोनों एक साथ महसूस करता हूं।’’ तेंदुलकर ने कहा, ‘‘सर डॉन ब्रैडमैन और गैरी सोबर्स दो महान क्रिकेटर हुए हैं और मेरे समय के ब्रयान लारा शेन वार्न जैक कालिस रिकी पोंटिंग और राहुल द्रविड़ सभी एक से बढ़कर एक हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरी क्रिकेट यात्रा ने मुझे सिखाया है कि आप कितने ही अच्छे हो या कितने ही प्रतिभाशाली हो आप को कठनाई के समय में पीसने के लिए भी तैयार रहना होगा। आपको कठिन परिश्रम के लिए तैयार रहना होगा और लगातार कठिन परिश्रम करते रहना होगा।’’ 25 साल से क्रिकेट खेल रहे सचिन का कहना है, ‘‘सफलता का कभी कोई शॉर्टकट नहीं होता और यह जानना भी जरूरी है कि सपनों का पीछा करने के लिए जुनून, प्रतिबद्धता और एकाग्रता का होना जरूरी है और मैंने अपने कैरियर के शुरू से ही इन्हीं तीन मूल चीजों पर भरोसा रखा है। ’’
एक पत्रिका के ताजा संस्करण को दिए इंटरव्यू में तेंदुलकर ने कहा, ‘‘आज भी जब मैं अपने साथियों के साथ राष्ट्रीय गान के लिए खड़ा होता हूं तो अब भी मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘वे (आलोचना करने वाले) अनेक सवाल उठा सकते हैं लेकिन वे अपने ही खड़े किए गये सवालों का जवाब नहीं दे सकते क्योंकि उनमें से कोई भी मेरी दशा को नहीं समझ पाएगा और यह नामुमकिन है कि वे जान लें कि मैं क्या सोच रहा हूं और कैसा महसूस कर रहा हूं।’’
तेंदुलकर से यह पूछने पर कि 100वां शतक बनाने की बाधा पार करने का समय कठिन था तो उन्होंने कहा, ‘‘इसमें कोई शक नहीं कि यह कठिन समय था। 100वां शतक बनाना काफी कठिन था, लेकिन मुझे खुद नहीं पता कि ऐसा क्यों था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘शायद इसलिए कि यह महाशतक एक राष्ट्रीय जुनून में बदल चुका था और शायद इसलिए कि मैं 100वें अंतरराष्ट्रीय शतक की चर्चाओं से नहीं बच पा रहा था जो कहीं मेरे अवचेतन मन पर असर डाल रही हो या फिर यह भी हो सकता है कि भगवान मुझे कठिन प्रयास कराना चाह रहा हो।’’ यह पूछने पर कि पिछले साल विश्व कप जीतने के बाद क्या कभी भी उनके मन में वनडे से संन्यास लेने की बात आई तो तेंदुलकर ने जवाब दिया, ‘‘ऐसी बात कभी भी मेरे मन में नहीं आई। ’’ तेंदुलकर ने कहा, ‘‘मेरे अनेक दोस्तों ने भी यह पूछा कि विश्व कप जीतने के बाद मैने संन्यास क्यों नहीं लिया। हो सकता है वे सही हों। वह समय भी सही था विश्व कप जीतने के बाद सभी उत्साहित थे और वन डे क्रिकेट छोड़ने का इससे अच्छा समय और क्या हो सकता था लेकिन सच्ची बात कहूं तो मेरे मन में संन्यास लेने का विचार कभी आया ही नहीं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘विश्व कप पूरे देश की जीत थी और मुझे अपने लिए (संन्यास की घोषणा) इसका प्रयोग करने का कोई हक नहीं था। मेरा संन्यास इतना महत्वपूर्ण नहीं था। अगर मैं संन्यास की घोषणा कर देता तो सारा ध्यान विश्व कप की खिताबी जीत से हटकर मेरे संन्यास पर आ जाता और मैं इतना स्वार्थी नहीं हूं क्योंकि विश्व कप की जीत भारत की थी।’’
तेंदुलकर ने कहा कि वह अब भी क्रिकेट का लुत्फ उठा रहे हैं और संन्यास के बारे में अभी सोच भी नहीं रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं क्रिकेट खेलने का मजा ले रहा हूं और जब तक मुझे अच्छा लगेगा खेलता रहूंगा। मुझे अपने संन्यास की बात मीडिया से छुपाने कोई जरूरत नहीं है। वे (मीडिया) मेरे साथ 25 साल से हैं, यकीनन मीडिया को बताऊंगा। फिलहाल संन्यास के बारे में सोच भी नहीं रहा हूं।’’ इस महान बल्लेबाज ने कहा, ‘‘ मैं हमेशा अच्छा बनना चाहता हूं और हमेशा ही उत्कृष्टता हासिल करने का प्रयास करता हूं, लेकिन आप (मीडिया) लोग ‘‘ द ग्रेटस्ट’’ जैसा ठप्पा लगाते हो तो मैं सम्मानित और शर्मिंदा दोनों एक साथ महसूस करता हूं।’’ तेंदुलकर ने कहा, ‘‘सर डॉन ब्रैडमैन और गैरी सोबर्स दो महान क्रिकेटर हुए हैं और मेरे समय के ब्रयान लारा शेन वार्न जैक कालिस रिकी पोंटिंग और राहुल द्रविड़ सभी एक से बढ़कर एक हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरी क्रिकेट यात्रा ने मुझे सिखाया है कि आप कितने ही अच्छे हो या कितने ही प्रतिभाशाली हो आप को कठनाई के समय में पीसने के लिए भी तैयार रहना होगा। आपको कठिन परिश्रम के लिए तैयार रहना होगा और लगातार कठिन परिश्रम करते रहना होगा।’’ 25 साल से क्रिकेट खेल रहे सचिन का कहना है, ‘‘सफलता का कभी कोई शॉर्टकट नहीं होता और यह जानना भी जरूरी है कि सपनों का पीछा करने के लिए जुनून, प्रतिबद्धता और एकाग्रता का होना जरूरी है और मैंने अपने कैरियर के शुरू से ही इन्हीं तीन मूल चीजों पर भरोसा रखा है। ’’
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