सचिन तेंदुलकर ने अकेले दम पर मुंबई को हरियाणा के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मैच में चार विकेट से जीत दिलाकर घरेलू क्रिकेट को अलविदा कहा। मुंबई को चौथे और आखिरी दिन जीत के लिए 39 रन की जरूरत थी, जबकि उसके चार विकेट शेष थे। तेंदुलकर ने 175 गेंद में नाबाद 79 रन बनाए।
रणजी ट्रॉफी के इतिहास में यह सबसे चर्चित मुकाबलों में से एक था। तेंदुलकर ने अगले महीने वेस्ट इंडीज के खिलाफ अपनी विदाई शृंखला की तैयारी के लिए यह मैच खेला था। तेंदुलकर मुंबई में 14 नवंबर से शुरू हो रहे अपने 200वें टेस्ट के बाद क्रिकेट को अलविदा कह देंगे। पिछले तीन दिन से इस मैच में बराबरी का मुकाबला रहा, लेकिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी के बूते बाजी मुंबई ने मारी।
मुंबई ने सुबह छह विकेट पर 201 रन से आगे खेलना शुरू किया, तब तेंदुलकर का स्कोर 55 रन था। उन्होंने धवल कुलकर्णी (नाबाद 16) के साथ मिलकर टीम को जीत तक पहुंचाया। मैदान पर जमा मेजबान दर्शकों को भी अपनी टीम को हारते देखने के बावजूद कोई मलाल नहीं रहा और तेंदुलकर के सम्मान में उन्होंने जमकर तालियां बजाईं।
जीत के बाद मुंबई के खिलाड़ियों ने तेंदुलकर को कंधे पर बिठा लिया। दर्शकों ने तेंदुलकर के हर रन पर तालियां बजाईं और उनके बल्ले से जब चौका लगा, तो मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इससे पहले, दोनों पारियों में बल्लेबाजी के लिए जब वह मैदान पर उतरे, तो दर्शकों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया। तेंदुलकर ने अपनी पारी में छह चौके लगाए।
यह पारी 22 साल पहले हरियाणा के खिलाफ ही वानखेड़े स्टेडियम पर रणजी फाइनल में खेली गई उस पारी से एकदम जुदा थी, जिसमें उन्होंने कपिल देव एंड कंपनी को मैदान के चारों ओर चौके जड़े थे। उनकी मौजूदा पारी अधिक रक्षात्मक थी। उन्होंने बैकफुट पर खेलते हुए कवर क्षेत्र में अपने कई ट्रेडमार्क शॉट्स लगाए।
उन्होंने अपने रणजी, ईरानी, दलीप और देवधर ट्रॉफी के पहले मैच में शतक जमाए। सचिन तीनों घरेलू फर्स्ट क्लास मैचों में डेब्यू करते हुए शतक लगाने वाले इकलौते खिलाड़ी हैं। फर्स्ट क्लास मैचों में सचिन ने 115 अर्द्धशतक जमाए और इन मैचों में सचिन के नाम 81 शतक हैं।
(इनपुट भाषा से भी)
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