मुम्बई:
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर और उनके बालसखा विनोद कांबली ने 25 वर्ष पहले एक विश्वरिकॉर्ड बनाया था, लेकिन अब उसका कोई दस्तावेजी सबूत नहीं बचा है... मुंबई में 24 फरवरी, 1988 को सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली ने मिलकर हैरिस शील्ड टूर्नामेंट के दौरान 664 रनों की साझेदारी कर सारी दुनिया की नज़रें अपनी ओर खींच ली थीं, क्योंकि वह उस समय किसी भी तरह के क्रिकेट के लिए नया रिकॉर्ड था...
इन रिकॉर्ड्स को संभालकर रखने की जिम्मेदारी मुंबई स्कूल स्पोर्ट्स एसोसिएशन की थी, लेकिन अब उसका कहना है कि वे 25 साल पुराने कागज़ात संभालकर नहीं रख सकती... दरअसल, असलियत यह है कि कुछ साल पहले ही उस मैच के स्कोरकार्ड को सफेद चीटियां खा चुकी हैं... हालांकि सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली का रिकॉर्ड वर्ष 2006 में हैदराबाद के मोहम्मद शाइबाज और मनोज कुमार ने 721 रनों की साझेदारी कर तोड़ दिया था, लेकिन बेहद सम्मानित क्रिकेटर सचिन से जुड़े इस रिकॉर्ड के बारे में जब एनडीटीवी ने मुंबई स्कूल स्पोर्ट्स एसोसिएशन के क्रिकेट सेक्रेटरी एचएस भोर से इस बाबत सवाल किया, तो उन्होंने टका-सा जवाब देते हुए कहा कि इससे पहले दूसरी कमेटी थी, और वैसे भी 25 साल पुराने दस्तावेजों को संभालकर नहीं रखा जा सकता...
उल्लेखनीय है कि मुंबई के मैदानों से हमेशा महान क्रिकेटर निकलते रहे हैं... हैरिस शील्ड और जाइल्स शील्ड जैसे टूर्नामेंट न सिर्फ उदीयमान खिलाड़ियों को नए रिकॉर्ड बनाने का मौका देते रहे हैं, बल्कि यह एक शानदार प्लेटफॉर्म भी उपलब्ध कराते रहे हैं... लेकिन ऐसे रिकॉर्ड्स को सहेजकर रखने में बरती गई लापरवाही दर्शाती है कि इन नन्हे सितारों की अनदेखी की जाती है, भले ही उन्हीं में से कुछ में आगे चलकर सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली बनने का माद्दा होता है...
इन रिकॉर्ड्स को संभालकर रखने की जिम्मेदारी मुंबई स्कूल स्पोर्ट्स एसोसिएशन की थी, लेकिन अब उसका कहना है कि वे 25 साल पुराने कागज़ात संभालकर नहीं रख सकती... दरअसल, असलियत यह है कि कुछ साल पहले ही उस मैच के स्कोरकार्ड को सफेद चीटियां खा चुकी हैं... हालांकि सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली का रिकॉर्ड वर्ष 2006 में हैदराबाद के मोहम्मद शाइबाज और मनोज कुमार ने 721 रनों की साझेदारी कर तोड़ दिया था, लेकिन बेहद सम्मानित क्रिकेटर सचिन से जुड़े इस रिकॉर्ड के बारे में जब एनडीटीवी ने मुंबई स्कूल स्पोर्ट्स एसोसिएशन के क्रिकेट सेक्रेटरी एचएस भोर से इस बाबत सवाल किया, तो उन्होंने टका-सा जवाब देते हुए कहा कि इससे पहले दूसरी कमेटी थी, और वैसे भी 25 साल पुराने दस्तावेजों को संभालकर नहीं रखा जा सकता...
उल्लेखनीय है कि मुंबई के मैदानों से हमेशा महान क्रिकेटर निकलते रहे हैं... हैरिस शील्ड और जाइल्स शील्ड जैसे टूर्नामेंट न सिर्फ उदीयमान खिलाड़ियों को नए रिकॉर्ड बनाने का मौका देते रहे हैं, बल्कि यह एक शानदार प्लेटफॉर्म भी उपलब्ध कराते रहे हैं... लेकिन ऐसे रिकॉर्ड्स को सहेजकर रखने में बरती गई लापरवाही दर्शाती है कि इन नन्हे सितारों की अनदेखी की जाती है, भले ही उन्हीं में से कुछ में आगे चलकर सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली बनने का माद्दा होता है...
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