रवींद्र जडेजा (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
टीम इंडिया के ऑलराउंडर 'सर' रवींद्र जडेजा ने अपने जीवन की दूसरी पारी की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। हर तरफ उनकी शादी की चर्चाएं चल कर रही हैं। गौरतलब है कि जडेजा ने 17 अप्रैल को राजकोट में एक समारोह में मंगेतर रीवा सोलंकी के साथ ब्याह रचा लिया। यदि जडेजा के जीवन की पहली पारी यानी क्रिकेट पर नजर डालें, तो यह संघर्षों से भरी रही है। पूरे करियर में वह टीम से अंदर-बाहर होते रहे, वहीं उन पर बैन भी लग चुका है। आइए हम उनके जीवन और करियर के उतार-चढ़ाव पर नजर डालते हैं-
मां की मौत का सदमा, छोड़ने वाले थे क्रिकेट
रवींद्र जडेजा पिता अनिरुद्ध सिंह जडेजा एक प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी में वॉचमैन थे। जाहिर है उनके परिवार की आय कुछ खास नहीं थी। फिर भी परिवार ने जडेजा के क्रिकेट के शौक को पूरा करने के लिए भरपूर मदद की। उन्होंने क्रिकेटर बनने के सपने को संजोना शुरू ही किया था कि 2005 में उनकी मां लता की एक दुर्घटना में मौत हो गई। इसके बाद वह क्रिकेट छोड़ने पर विचार करने लगे थे। हालांकि बाद में उन्होंने परिवार और दोस्तों की समझाइश के बाद फिर से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया और शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत की ओर से खेलने का गौरव हासिल कर लिया।
दिलीप ट्रॉफी में मिला मौका, अंडर-19 वर्ल्ड कप भी खेले
जडेजा ने 2006-07 में दिलीप ट्रॉफी से अपना प्रथम श्रेणी क्रिकेट करियर की शुरू किया। वह रणजी ट्रॉफी में सौराष्ट्र के लिए खेलते हैं। इसके बाद उन्हें 2006 और 2008 में भारत की ओर से अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्ड कप में खेलने का भी अवसर मिला। उन्होंने बॉलिंग और फील्डिंग से अंडर-19 वर्ल्ड कप 2008 जीतने में अहम भूमिका निभाई।
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आज रिवा सोलंकी संग परिणय सूत्र में बंध जाएंगे 'सर' रवींद्र जडेजा
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आईपीएल-2008 में छोड़ी छाप, बने ‘रॉकस्टार’
जडेजा के करियर में उस समय नया मोड़ आया जब उन्हें आईपीएल के पहले सीजन (2008) में खेलने का मौका मिला। उन्हें राजस्थान रॉयल्स ने खरीदा और उसके कप्तान शेन वॉर्न ने उनकी प्रतिभा को पहचानकर आगे बढ़ाया। वॉर्न ने उन्हें रॉकस्टार का नाम भी दिया। इस सीजन में जडेजा के बल्ले से 14 मैचों में 135 रन निकले और उनका स्ट्राइक रेट 131.06 रहा। इस सीजन के फाइनल में उन्होंने अपनी टीम को जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आईपीएल 2009 में उन्होंने 13 मैचों में 6 विकेट लिए और 295 रन बनाए।
मिला टीम इंडिया का टिकट, प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं हुई पक्की
फरवरी, 2009 में जडेजा को श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो में पहली बार टीम इंडिया की ओर से वनडे में खेलने का मौका मिला। जडेजा को कई मौके मिले, लेकिन फिर भी वह प्लेइंग इलेवन में अपनी जगह पक्की नहीं कर सके। दरअसल उन पर यह तमगा लग गया कि वह लंबे शॉट नहीं खेल पाते।
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बैटिंग में सचिन और गावस्कर भी जो नहीं कर सके, 'सर' रवींद्र जडेजा के नाम दर्ज है वह कारनामा
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लगा एक साल का बैन
आईपीएल में जडेजा के करियर को उस समय तगड़ा झटका लगा, जब उन्हें आईपीएल सीजन-3 (2010) में एक साल के लिए बैन कर दिया गया। दरअसल उन पर नियम तोड़कर दूसरी फ्रेंचाइजी से संपर्क करने का दोषी पाया गया था।
2012 में फिर चमका सितारा
जडेजा लगभग दो साल तक टीम इंडिया से अंदर-बाहर होते रहे, लेकिन बड़ी सफलता नहीं मिली। इस बीच 2012 में धोनी की कप्तानी वाली चेन्नई सुपर किंग्स ने उन पर जबर्दस्त बोली लगाई। डेक्कन चार्जर्स और चेन्नई सुपरकिंग्स के बीच जडेजा को खरीदने के लिए टाई-ब्रेकर हुआ था, बाद में चेन्नई सुपरकिंग्स ने 9.72 करोड़ रुपए की बोली लगाकर उन्हें लिया था।
टेस्ट डेब्यू, जगह की पक्की
जडेजा ने दिसंबर, 2012 में इंग्लैंड के खिलाफ नागपुर में टेस्ट में डेब्यू किया था लेकिन उन्हें वास्तविक पहचान 2013 के ऑस्ट्रेलिया के भारत दौरे में मिली। जडेजा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस सीरीज के 4 टेस्ट मैचों में सिर्फ 17.45 की औसत से 24 विकेट झटके। 58 रन देकर 5 विकेट उनका बेस्ट रहा। यहीं से कप्तान धोनी ने उन्हें 'सर जडेजा' कहना शुरू कर दिया। उन्होंने 16 टेस्ट में अभी तक 68 विकेट लिए हैं और 473 रन बनाए हैं।
14 माह टीम से रहे बाहर
इसके बाद विदेशी धरती पर उनका प्रदर्शन ठीक नहीं रहा और बांग्लादेश के खिलाफ जून, 2015 में वनडे सीरीज के बाद उनको खराब प्रदर्शन के कारण वनडे टीम से बाहर कर दिया गया था। वह लगभग 14 महीने टेस्ट टीम से भी बाहर रहे। उस दौरान कहा जाता था कि वह अपने प्रदर्शन के कारण नहीं बल्कि धोनी के कारण टीम में बने हुए हैं। बात भी सही थी, क्योंकि धोनी के टेस्ट कप्तानी से हटने के बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया।
नहीं लगाया बैट को हाथ
जडेजा ने टीम से बाहर रहने के दौरान न तो बैट को हाथ लगाया और न ही बॉल को। उन्होंने अपना सारा समय दोस्तों और घोड़ों के साथ बिताया। उनका मानना है कि इससे उनमें आत्मविश्वास आया और इसी वजह से वे रणजी में अच्छा प्रदर्शन कर सके और वापसी संभव हुई।
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हुई वापसी
दिसंबर 2015 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया की 3-0 से जीत में आर. अश्विन और रवींद्र जडेजा का बड़ा योगदान रहा। उन्होंने 4 मैचों में 23 विकेट लेकर शानदार वापसी की। इतना ही नहीं दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इस प्रदर्शन के बाद आईसीसी की टेस्ट ऑलराउंडर्स की सूची में उनको पांचवां स्थान मिला था। वहीं आईपीएल 2016 में नई फ्रेंचाइजी के रूप में शामिल हुई राजकोट टीम ने उन्हें 9.5 करोड़ रुपए में खरीदा है।
मां की मौत का सदमा, छोड़ने वाले थे क्रिकेट
रवींद्र जडेजा पिता अनिरुद्ध सिंह जडेजा एक प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी में वॉचमैन थे। जाहिर है उनके परिवार की आय कुछ खास नहीं थी। फिर भी परिवार ने जडेजा के क्रिकेट के शौक को पूरा करने के लिए भरपूर मदद की। उन्होंने क्रिकेटर बनने के सपने को संजोना शुरू ही किया था कि 2005 में उनकी मां लता की एक दुर्घटना में मौत हो गई। इसके बाद वह क्रिकेट छोड़ने पर विचार करने लगे थे। हालांकि बाद में उन्होंने परिवार और दोस्तों की समझाइश के बाद फिर से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया और शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत की ओर से खेलने का गौरव हासिल कर लिया।
दिलीप ट्रॉफी में मिला मौका, अंडर-19 वर्ल्ड कप भी खेले
जडेजा ने 2006-07 में दिलीप ट्रॉफी से अपना प्रथम श्रेणी क्रिकेट करियर की शुरू किया। वह रणजी ट्रॉफी में सौराष्ट्र के लिए खेलते हैं। इसके बाद उन्हें 2006 और 2008 में भारत की ओर से अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्ड कप में खेलने का भी अवसर मिला। उन्होंने बॉलिंग और फील्डिंग से अंडर-19 वर्ल्ड कप 2008 जीतने में अहम भूमिका निभाई।
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आज रिवा सोलंकी संग परिणय सूत्र में बंध जाएंगे 'सर' रवींद्र जडेजा
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आईपीएल-2008 में छोड़ी छाप, बने ‘रॉकस्टार’
जडेजा के करियर में उस समय नया मोड़ आया जब उन्हें आईपीएल के पहले सीजन (2008) में खेलने का मौका मिला। उन्हें राजस्थान रॉयल्स ने खरीदा और उसके कप्तान शेन वॉर्न ने उनकी प्रतिभा को पहचानकर आगे बढ़ाया। वॉर्न ने उन्हें रॉकस्टार का नाम भी दिया। इस सीजन में जडेजा के बल्ले से 14 मैचों में 135 रन निकले और उनका स्ट्राइक रेट 131.06 रहा। इस सीजन के फाइनल में उन्होंने अपनी टीम को जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आईपीएल 2009 में उन्होंने 13 मैचों में 6 विकेट लिए और 295 रन बनाए।
मिला टीम इंडिया का टिकट, प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं हुई पक्की
फरवरी, 2009 में जडेजा को श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो में पहली बार टीम इंडिया की ओर से वनडे में खेलने का मौका मिला। जडेजा को कई मौके मिले, लेकिन फिर भी वह प्लेइंग इलेवन में अपनी जगह पक्की नहीं कर सके। दरअसल उन पर यह तमगा लग गया कि वह लंबे शॉट नहीं खेल पाते।
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बैटिंग में सचिन और गावस्कर भी जो नहीं कर सके, 'सर' रवींद्र जडेजा के नाम दर्ज है वह कारनामा
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लगा एक साल का बैन
आईपीएल में जडेजा के करियर को उस समय तगड़ा झटका लगा, जब उन्हें आईपीएल सीजन-3 (2010) में एक साल के लिए बैन कर दिया गया। दरअसल उन पर नियम तोड़कर दूसरी फ्रेंचाइजी से संपर्क करने का दोषी पाया गया था।
2012 में फिर चमका सितारा
जडेजा लगभग दो साल तक टीम इंडिया से अंदर-बाहर होते रहे, लेकिन बड़ी सफलता नहीं मिली। इस बीच 2012 में धोनी की कप्तानी वाली चेन्नई सुपर किंग्स ने उन पर जबर्दस्त बोली लगाई। डेक्कन चार्जर्स और चेन्नई सुपरकिंग्स के बीच जडेजा को खरीदने के लिए टाई-ब्रेकर हुआ था, बाद में चेन्नई सुपरकिंग्स ने 9.72 करोड़ रुपए की बोली लगाकर उन्हें लिया था।
टेस्ट डेब्यू, जगह की पक्की
जडेजा ने दिसंबर, 2012 में इंग्लैंड के खिलाफ नागपुर में टेस्ट में डेब्यू किया था लेकिन उन्हें वास्तविक पहचान 2013 के ऑस्ट्रेलिया के भारत दौरे में मिली। जडेजा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस सीरीज के 4 टेस्ट मैचों में सिर्फ 17.45 की औसत से 24 विकेट झटके। 58 रन देकर 5 विकेट उनका बेस्ट रहा। यहीं से कप्तान धोनी ने उन्हें 'सर जडेजा' कहना शुरू कर दिया। उन्होंने 16 टेस्ट में अभी तक 68 विकेट लिए हैं और 473 रन बनाए हैं।
14 माह टीम से रहे बाहर
इसके बाद विदेशी धरती पर उनका प्रदर्शन ठीक नहीं रहा और बांग्लादेश के खिलाफ जून, 2015 में वनडे सीरीज के बाद उनको खराब प्रदर्शन के कारण वनडे टीम से बाहर कर दिया गया था। वह लगभग 14 महीने टेस्ट टीम से भी बाहर रहे। उस दौरान कहा जाता था कि वह अपने प्रदर्शन के कारण नहीं बल्कि धोनी के कारण टीम में बने हुए हैं। बात भी सही थी, क्योंकि धोनी के टेस्ट कप्तानी से हटने के बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया।
नहीं लगाया बैट को हाथ
जडेजा ने टीम से बाहर रहने के दौरान न तो बैट को हाथ लगाया और न ही बॉल को। उन्होंने अपना सारा समय दोस्तों और घोड़ों के साथ बिताया। उनका मानना है कि इससे उनमें आत्मविश्वास आया और इसी वजह से वे रणजी में अच्छा प्रदर्शन कर सके और वापसी संभव हुई।
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हुई वापसी
दिसंबर 2015 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया की 3-0 से जीत में आर. अश्विन और रवींद्र जडेजा का बड़ा योगदान रहा। उन्होंने 4 मैचों में 23 विकेट लेकर शानदार वापसी की। इतना ही नहीं दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इस प्रदर्शन के बाद आईसीसी की टेस्ट ऑलराउंडर्स की सूची में उनको पांचवां स्थान मिला था। वहीं आईपीएल 2016 में नई फ्रेंचाइजी के रूप में शामिल हुई राजकोट टीम ने उन्हें 9.5 करोड़ रुपए में खरीदा है।
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