
स्पिनर के रूप में रवींद्र जडेजा बेहद सटीक है (फाइल फोटो)
प्रशंसकों और आलोचकों के मन में में रवींद्र जडेजा की छवि अलग-अलग हैं. जहां प्रशंसक उन्हें बेहद प्रतिभावान ऐसे हरफनमौला के रूप में जानते हैं जो गेंदबाजी में कमाल करने के बावजूद अपनी बल्लेबाजी प्रतिभा से अब तक न्याय नहीं कर पाया है, वहीं आलोचक उन्हें औसत दर्जे का ऐसा खिलाड़ी मानते हैं जिन्हें मीडिया ने बड़ा दर्जा दे दिया है. सोशल मीडिया पर कई ऐसे पोस्ट सामने आ चुके हैं जिसमें जडेजा को कप्तान धोनी की पसंद बताया जाता रहा.यहां तक कहा गया कि धोनी के कारण ही वे टीम इंडिया में जगह बना लेते हैं.
हर बार आलोचना का दिया मुंहतोड़ जवाब
जडेजा की बल्लेबाजी को लेकर की गई यह आलोचना गलत नहीं है. सौराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने वाला यह खिलाड़ी अब तक घरेलू क्रिकेट में तीन शतक (इसमें रणजी ट्रॉफी के शतक शामिल हैं ) बना चुका है लेकिन इंटरनेशनल क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में एक अदद शतक के लिए तरस रहा है. बेशक बल्लेबाजी के लिए 'सर जडेजा' को निशाने पर लिया जाता है, लेकिन उनकी गेंदबाजी पर सवाल नहीं उठाया जा सकता. आलोचक हर बार उनके खेल कौशल पर सवाल उठाते हैं और जडेजा हर बार उन्हें गलत साबित करते हैं. कानपुर टेस्ट में न्यूजीलैंड के पांच विकेट झटकते हुए उन्होंने एक बार फिर आलोचकों को मुंहतोड़ जवाब दिया है. पहली पारी के आधार पर टीम इंडिया को 56 रन की बढ़त दिलाने में जडेजा के उस जादुई ओवर का अहम योगदान रहा जिसमें उन्होंने क्रेग, सोढ़ी और बोल्ट को आउट किया. जडेजा ने अब तक 17 टेस्ट में 23.42 के औसत से 17 टेस्ट में 71 विकेट लिए हैं जबकि 126 वनडे मैचों में 34.55 के औसत से 147 विकेट उनके नाम पर हैं.
गेंदबाजी में 'छुपे रुस्तम' साबित होते हैं जडेजा
दरसल, टेस्ट क्रिकेट में जडेजा को गेंदबाज के रूप में हमेशा बेहद कम आंका जाता रहा. क्रिकेट जगत में यह बात उठती रही कि एक हरफनमौला (?) की हैसियत से जडेजा वनडे केलिए तो ठीक हैं लेकिन टेस्ट में वे उनकी सफलता को लेकर संदेह है. जडेजा ने अब तक मिले मौकों पर इस आलोचना को गलत साबित किया है. गेंदबाजी के एक तरह से वे 'छुपे रुस्तम' साबित होते हैं. जब विपक्षी टीम का पूरा ध्यान रविचंद्रन को सावधानी से खेलने पर केंद्रित होता है तब जडेजा हौले से आकर विपक्षी बल्लेबाजों की 'डिफेंस को भेद' जाते हैं. गेंदबाजों के तौर पर जडेजा की खासियत यह है कि वे बेहद सटीक हैं. आम लेफ्ट आर्म स्पिन गेंदबाजों की तुलना में उनकी गेंदें कुछ ज्यादा गति लिए होती हैं और इसी कारण वे विकेट से भरपूर उछाल पाने में सफल होते हैं.
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ क्लीन स्वीप में रहा अहम योगदान
जडेजा ने दिसंबर, 2012 में इंग्लैंड के खिलाफ नागपुर में टेस्ट में डेब्यू किया था लेकिन उन्हें वास्तविक पहचान 2013 के ऑस्ट्रेलिया के भारत दौरे में मिली. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस सीरीज के 4 टेस्ट मैचों में उन्होंने 17.45 की औसत से 24 विकेट झटके. हालांकि इसके बाद जडेजा के प्रदर्शन में गिरावट आई. उन्हें 2014 में टेस्ट टीम से ड्रॉप भी किया गया, लेकिन इसे चुनौती के रूप में लेते हुए उन्होंने रणजी ट्रॉफी में विकेटों की झड़ी लगा दी. फलस्वरूप दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारतीय मैदान पर होने वाली सीरीज के लिए उन्हें चुन लिया गया. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इस टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया की 3-0 से एकतरफा जीत में अश्विन और रवींद्र जडेजा की जोड़ी का बड़ा योगदान रहा. उन्होंने 4 मैचों में 23 विकेट लेकर मेहमान टीम की बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी.
'उनका सामना करते समय सावधान रहना पड़ता है'
सौराष्ट्र टीम से ही खेलने वाले चेतेश्वर पुजारा गेंदबाज के रूप में जडेजा के काफी ऊंचा 'रेट' करते हैं. पुजारा तो जडेजा को अनिल कुंबले के स्तर का गेंदबाज मानते हैं. पुजारा ने एक बार कहा था, जडेजा को आप अनिल कुंबले की 'परछाई' कह सकते हैं. वे भी कुंबले की तरह गेंद को ज्यादा टर्न नहीं कराते, लेकिन यह तय है कि अगर आप उनका सामना कर रहे हैं तो हर गेंद को सावधानी से खेलना होगा. जडेजा लाइन-लेंथ को बेहद सटीक रखते हैं और इसी कारण विकेट लेने में सफल रहते हैं. बकौल पुजारा, जडेजा का सामना करना विपक्षी बल्लेबाजों के लिए कठिन परीक्षा होती है. फर्क केवल इतना है कि कुंबले दाएं हाथ से लेग स्पिन गेंदबाजी करते थे.
ऑलराउंडर के 'टैग' को सही साबित करना होगा
बहरहाल शनिवार के पांच विकेट के शानदार प्रदर्शन के बावजूद जडेजा के सामने चुनौतियां कम नहीं हैं. अपने साथ लगे आलराउंडर के 'टैग' को सही साबित करते हुए उन्हें बल्लेबाजी में भी टीम के लिए बढ़-चढ़कर योगदान देना होगा. भारतीय स्पिनरों के बारे में आमतौर पर कहा जाता है कि वे भारत और भारतीय उपमहाद्वीप के मददगार विकेट पर ही सफलताएं ले पाते हैं. जडेजा को दिखाना होगा कि विदेशी मैदानों पर भी बल्लेबाजों का शिकार कर सकते हैं..
हर बार आलोचना का दिया मुंहतोड़ जवाब
जडेजा की बल्लेबाजी को लेकर की गई यह आलोचना गलत नहीं है. सौराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने वाला यह खिलाड़ी अब तक घरेलू क्रिकेट में तीन शतक (इसमें रणजी ट्रॉफी के शतक शामिल हैं ) बना चुका है लेकिन इंटरनेशनल क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में एक अदद शतक के लिए तरस रहा है. बेशक बल्लेबाजी के लिए 'सर जडेजा' को निशाने पर लिया जाता है, लेकिन उनकी गेंदबाजी पर सवाल नहीं उठाया जा सकता. आलोचक हर बार उनके खेल कौशल पर सवाल उठाते हैं और जडेजा हर बार उन्हें गलत साबित करते हैं. कानपुर टेस्ट में न्यूजीलैंड के पांच विकेट झटकते हुए उन्होंने एक बार फिर आलोचकों को मुंहतोड़ जवाब दिया है. पहली पारी के आधार पर टीम इंडिया को 56 रन की बढ़त दिलाने में जडेजा के उस जादुई ओवर का अहम योगदान रहा जिसमें उन्होंने क्रेग, सोढ़ी और बोल्ट को आउट किया. जडेजा ने अब तक 17 टेस्ट में 23.42 के औसत से 17 टेस्ट में 71 विकेट लिए हैं जबकि 126 वनडे मैचों में 34.55 के औसत से 147 विकेट उनके नाम पर हैं.
गेंदबाजी में 'छुपे रुस्तम' साबित होते हैं जडेजा
दरसल, टेस्ट क्रिकेट में जडेजा को गेंदबाज के रूप में हमेशा बेहद कम आंका जाता रहा. क्रिकेट जगत में यह बात उठती रही कि एक हरफनमौला (?) की हैसियत से जडेजा वनडे केलिए तो ठीक हैं लेकिन टेस्ट में वे उनकी सफलता को लेकर संदेह है. जडेजा ने अब तक मिले मौकों पर इस आलोचना को गलत साबित किया है. गेंदबाजी के एक तरह से वे 'छुपे रुस्तम' साबित होते हैं. जब विपक्षी टीम का पूरा ध्यान रविचंद्रन को सावधानी से खेलने पर केंद्रित होता है तब जडेजा हौले से आकर विपक्षी बल्लेबाजों की 'डिफेंस को भेद' जाते हैं. गेंदबाजों के तौर पर जडेजा की खासियत यह है कि वे बेहद सटीक हैं. आम लेफ्ट आर्म स्पिन गेंदबाजों की तुलना में उनकी गेंदें कुछ ज्यादा गति लिए होती हैं और इसी कारण वे विकेट से भरपूर उछाल पाने में सफल होते हैं.
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ क्लीन स्वीप में रहा अहम योगदान
जडेजा ने दिसंबर, 2012 में इंग्लैंड के खिलाफ नागपुर में टेस्ट में डेब्यू किया था लेकिन उन्हें वास्तविक पहचान 2013 के ऑस्ट्रेलिया के भारत दौरे में मिली. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस सीरीज के 4 टेस्ट मैचों में उन्होंने 17.45 की औसत से 24 विकेट झटके. हालांकि इसके बाद जडेजा के प्रदर्शन में गिरावट आई. उन्हें 2014 में टेस्ट टीम से ड्रॉप भी किया गया, लेकिन इसे चुनौती के रूप में लेते हुए उन्होंने रणजी ट्रॉफी में विकेटों की झड़ी लगा दी. फलस्वरूप दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारतीय मैदान पर होने वाली सीरीज के लिए उन्हें चुन लिया गया. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इस टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया की 3-0 से एकतरफा जीत में अश्विन और रवींद्र जडेजा की जोड़ी का बड़ा योगदान रहा. उन्होंने 4 मैचों में 23 विकेट लेकर मेहमान टीम की बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी.
'उनका सामना करते समय सावधान रहना पड़ता है'
सौराष्ट्र टीम से ही खेलने वाले चेतेश्वर पुजारा गेंदबाज के रूप में जडेजा के काफी ऊंचा 'रेट' करते हैं. पुजारा तो जडेजा को अनिल कुंबले के स्तर का गेंदबाज मानते हैं. पुजारा ने एक बार कहा था, जडेजा को आप अनिल कुंबले की 'परछाई' कह सकते हैं. वे भी कुंबले की तरह गेंद को ज्यादा टर्न नहीं कराते, लेकिन यह तय है कि अगर आप उनका सामना कर रहे हैं तो हर गेंद को सावधानी से खेलना होगा. जडेजा लाइन-लेंथ को बेहद सटीक रखते हैं और इसी कारण विकेट लेने में सफल रहते हैं. बकौल पुजारा, जडेजा का सामना करना विपक्षी बल्लेबाजों के लिए कठिन परीक्षा होती है. फर्क केवल इतना है कि कुंबले दाएं हाथ से लेग स्पिन गेंदबाजी करते थे.
ऑलराउंडर के 'टैग' को सही साबित करना होगा
बहरहाल शनिवार के पांच विकेट के शानदार प्रदर्शन के बावजूद जडेजा के सामने चुनौतियां कम नहीं हैं. अपने साथ लगे आलराउंडर के 'टैग' को सही साबित करते हुए उन्हें बल्लेबाजी में भी टीम के लिए बढ़-चढ़कर योगदान देना होगा. भारतीय स्पिनरों के बारे में आमतौर पर कहा जाता है कि वे भारत और भारतीय उपमहाद्वीप के मददगार विकेट पर ही सफलताएं ले पाते हैं. जडेजा को दिखाना होगा कि विदेशी मैदानों पर भी बल्लेबाजों का शिकार कर सकते हैं..
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
भारत Vs न्यूजीलैंड, रवींद्र जडेजा, टीम इंडिया, टेस्ट खिलाड़ी, स्पिन गेंदबाज, पहला टेस्ट, India Vs NZ, First Test, Ravindra Jadeja, Team India, Spinner