नई दिल्ली:
गुरुवार शाम छह बजे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी खिलाड़ियों को राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों से सम्मानित करने जा रहे हैं, लेकिन विवाद हैं कि इन पुरस्कारों का पीछा ही नहीं छोड़ रहे हैं।
इस बार फिर राहुल द्रविड़ को लेकर विवादों ने जन्म लिया है। हाल ही में संन्यास लेने वाले क्रिकेटर राहुल द्रविड़ 'राजीव गांधी खेलरत्न' पुरस्कार के सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन अब यह पुरस्कार उन्हें कभी नहीं दिया जा सकेगा।
इस पुरस्कार के लिए द्रविड़ से बेहतर दावेदार को ढूंढना भी मुश्किल माना जा रहा था, लेकिन पूर्व ओलिंपिक पदक विजेता राज्यवर्धन राठौड़ की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने लंदन ओलिंपिक में जीते गए पदकों को अहमियत देते हुए निशानेबाज विजय कुमार और पहलवान योगेश्वर दत्त को लीक से हटकर यह सम्मान देने का फैसला किया। इससे यह भी साफ हो गया कि क्रिकेट से रिटायर हो चुके द्रविड़ को अब आगे खेलरत्न पुरस्कार नहीं दिया जा सकेगा।
हालांकि, बीसीसीआई ने द्रविड़ का नाम पद्मभूषण के लिए भेजने का फैसला किया है, जो देश का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है और अब तक नौ क्रिकेटरों को पद्मभूषण से नवाजा जा चुका है। वैसे विवादों की शुरुआत वर्ष 2005 में ही हो गई थी, जब 2004 के एथेंस ओलिंपिक में रजत पदक जीतने वाले राज्यवर्धन राठौड़ को उसी साल अर्जुन पुरस्कार और अगले साल यानी 2005 में खेलरत्न पुरस्कार दे दिया गया था।
इस बार पुरस्कारों की चयन समिति के अध्यक्ष खुद राठौड़ थे, लेकिन उन्होंने द्रविड़ की बजाय ओलिंपिक पदक विजेताओं को खेलरत्न देने का फैसला किया। इस तरह पुराने नियम भी तोड़े गए और विवादों को भी बुलावा दिया गया।
हालांकि, खेल पुरस्कारों के लिए तय तारीख के बीत जाने के बाद जब खेल मंत्रालय ने क्रिकेटरों के लिए अलग छूट दी, तो लगने लगा था कि अब राहुल द्रविड़ को इस साल खेलरत्न पुरस्कार से जरूर नवाजा जाएगा।
इस पूरे प्रकरण पर पूर्व क्रिकेट कप्तान बिशन सिंह बेदी ने कहा है कि कहीं न कहीं कोई चूक हुई है, क्योंकि राहुल द्रविड़ को किसी भी पुरस्कार के लिए अपनी योग्यता सिद्ध करने की जरूरत नहीं है और वह हमारी जानकारी में बेहतरीन क्रिकेटर हैं।
इसके अलावा, हमेशा की तरह इस बार भी कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जो अर्जुन और दूसरे खेल पुरस्कारों की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। कुछ ने आरटीआई के जरिये सवाल उठाते हुए खेल मंत्रालय से जवाब तलब किया है, जबकि कुछ अदालत जाने की बात कह रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि सौरव गांगुली और अनिल कुंबले से लेकर महेश भूपति जैसे कई ऐसे दिग्गज खिलाड़ी हैं, जो काबिलियत के बावजूद 'राजीव गांधी खेलरत्न' पुरस्कार के हकदार नहीं हो पाए। जाहिर है, ये नाम इस पुरस्कार की चयन समितियों के आगे हमेशा सवाल बनकर खड़े रहेंगे। विवादों में रहना खेल पुरस्कारों की फितरत बन गई है और अगर इस बार यह पुरस्कार द्रविड़ को, और अगली बार ओलिंपिक पदक विजेताओं को दिया जाता, तो न विवाद होते और न ही किसी को ऐतराज होता।
वैसे, राष्ट्रपति भवन में गुरुवार शाम आयोजित होने जा रहे समारोह में निशानेबाज विजय कुमार और पहलवान योगेश्वर दत्त को देश के सबसे बड़े खेल सम्मान 'राजीव गांधी खेलरत्न' से नवाजा जाएगा। इनके अलावा, 25 अन्य खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार दिए जाएंगे, जिनमें क्रिकेटर युवराज सिंह, हॉकी खिलाड़ी सरदार सिंह, महिला पहलवान गीता फोगट, बैडमिंटन खिलाड़ी पी कश्यप और अश्विन पोनप्पा, महिला तीरंदाज दीपिका कुमारी और बोम्बाइला देवी शामिल हैं।
लंदन ओलिंपिक में पदक विजेता सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त के कोच यशवीर सिंह, महिला एथलीट कृष्णा पूनिया के कोच वीरेन्दर सिंह, बॉक्सिंग के कोच बीआई फर्नांडिस और हॉकी कोच हरेन्द्र सिंह सहित आठ कोचों को द्रोणाचार्य पुरस्कार दिए जाएंगे।
इस बार फिर राहुल द्रविड़ को लेकर विवादों ने जन्म लिया है। हाल ही में संन्यास लेने वाले क्रिकेटर राहुल द्रविड़ 'राजीव गांधी खेलरत्न' पुरस्कार के सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन अब यह पुरस्कार उन्हें कभी नहीं दिया जा सकेगा।
इस पुरस्कार के लिए द्रविड़ से बेहतर दावेदार को ढूंढना भी मुश्किल माना जा रहा था, लेकिन पूर्व ओलिंपिक पदक विजेता राज्यवर्धन राठौड़ की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने लंदन ओलिंपिक में जीते गए पदकों को अहमियत देते हुए निशानेबाज विजय कुमार और पहलवान योगेश्वर दत्त को लीक से हटकर यह सम्मान देने का फैसला किया। इससे यह भी साफ हो गया कि क्रिकेट से रिटायर हो चुके द्रविड़ को अब आगे खेलरत्न पुरस्कार नहीं दिया जा सकेगा।
हालांकि, बीसीसीआई ने द्रविड़ का नाम पद्मभूषण के लिए भेजने का फैसला किया है, जो देश का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है और अब तक नौ क्रिकेटरों को पद्मभूषण से नवाजा जा चुका है। वैसे विवादों की शुरुआत वर्ष 2005 में ही हो गई थी, जब 2004 के एथेंस ओलिंपिक में रजत पदक जीतने वाले राज्यवर्धन राठौड़ को उसी साल अर्जुन पुरस्कार और अगले साल यानी 2005 में खेलरत्न पुरस्कार दे दिया गया था।
इस बार पुरस्कारों की चयन समिति के अध्यक्ष खुद राठौड़ थे, लेकिन उन्होंने द्रविड़ की बजाय ओलिंपिक पदक विजेताओं को खेलरत्न देने का फैसला किया। इस तरह पुराने नियम भी तोड़े गए और विवादों को भी बुलावा दिया गया।
हालांकि, खेल पुरस्कारों के लिए तय तारीख के बीत जाने के बाद जब खेल मंत्रालय ने क्रिकेटरों के लिए अलग छूट दी, तो लगने लगा था कि अब राहुल द्रविड़ को इस साल खेलरत्न पुरस्कार से जरूर नवाजा जाएगा।
इस पूरे प्रकरण पर पूर्व क्रिकेट कप्तान बिशन सिंह बेदी ने कहा है कि कहीं न कहीं कोई चूक हुई है, क्योंकि राहुल द्रविड़ को किसी भी पुरस्कार के लिए अपनी योग्यता सिद्ध करने की जरूरत नहीं है और वह हमारी जानकारी में बेहतरीन क्रिकेटर हैं।
इसके अलावा, हमेशा की तरह इस बार भी कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जो अर्जुन और दूसरे खेल पुरस्कारों की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। कुछ ने आरटीआई के जरिये सवाल उठाते हुए खेल मंत्रालय से जवाब तलब किया है, जबकि कुछ अदालत जाने की बात कह रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि सौरव गांगुली और अनिल कुंबले से लेकर महेश भूपति जैसे कई ऐसे दिग्गज खिलाड़ी हैं, जो काबिलियत के बावजूद 'राजीव गांधी खेलरत्न' पुरस्कार के हकदार नहीं हो पाए। जाहिर है, ये नाम इस पुरस्कार की चयन समितियों के आगे हमेशा सवाल बनकर खड़े रहेंगे। विवादों में रहना खेल पुरस्कारों की फितरत बन गई है और अगर इस बार यह पुरस्कार द्रविड़ को, और अगली बार ओलिंपिक पदक विजेताओं को दिया जाता, तो न विवाद होते और न ही किसी को ऐतराज होता।
वैसे, राष्ट्रपति भवन में गुरुवार शाम आयोजित होने जा रहे समारोह में निशानेबाज विजय कुमार और पहलवान योगेश्वर दत्त को देश के सबसे बड़े खेल सम्मान 'राजीव गांधी खेलरत्न' से नवाजा जाएगा। इनके अलावा, 25 अन्य खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार दिए जाएंगे, जिनमें क्रिकेटर युवराज सिंह, हॉकी खिलाड़ी सरदार सिंह, महिला पहलवान गीता फोगट, बैडमिंटन खिलाड़ी पी कश्यप और अश्विन पोनप्पा, महिला तीरंदाज दीपिका कुमारी और बोम्बाइला देवी शामिल हैं।
लंदन ओलिंपिक में पदक विजेता सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त के कोच यशवीर सिंह, महिला एथलीट कृष्णा पूनिया के कोच वीरेन्दर सिंह, बॉक्सिंग के कोच बीआई फर्नांडिस और हॉकी कोच हरेन्द्र सिंह सहित आठ कोचों को द्रोणाचार्य पुरस्कार दिए जाएंगे।
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