प्रवीण कुमार ने वनडे में भारत के लिए कई कामयाबियां हासिल कीं (फाइल फोटो)
उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर को टीम इंडिया को दो आला दर्जे के स्विंग गेंदबाज देने का श्रेय हासिल है. पहले, प्रवीण कुमार ने अपनी स्विंग गेंदबाजी से दुनिया के नामी बल्लेबाजों को मुश्किल में डाला. अब यह काम इसी शहर के एक अन्य गेंदबाज भुवनेश्वर कर रहे हैं. दो अक्टूबर 1986 को जन्मे प्रवीण का क्रिकेट में करियर बनाना किसी अचरज से कम नहीं था. प्रवीण का जन्म पहलवानी से जुड़े परिवार में हुआ था.
बचपन में उनका ज्यादा समय परिवार के सदस्यों को अखाड़े में जोर-आजमाइश करते बीता. लेकिन गली क्रिकेट खेलते हुए उन्होंने गेंद को अपने इशारे पर घुमाने यानी स्विंग कराने की कला सीखी और जल्द ही क्रिकेटर के रूप में स्थापित हो गए. रंजी ट्रॉफी और फिर चैलेंजर ट्रॉफी में अच्छा प्रदर्शन करते हुए जल्द ही टीम इंडिया में जगह बना ली. प्रवीण ने रविवार को अपने 30 वर्ष पूरे किए हैं.
नवंबर 2007 में उन्होंने जयपुर में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे करियर का आगाज किया जबकि उनके टेस्ट करियर की शुरुआत इसके करीब चार वर्ष बाद बाद अगस्त 2011 में इंग्लैंड के खिलाफ बर्मिंघम में हुई. गेंदों में गति अधिक नहीं होने के कारण प्रवीण भारतीय पिचों पर अधिक कामयाब नहीं हुए, लेकिन विदेश की मददगार पिचों पर उन्होंने नामी बल्लेबाजेां को भी अपने गेंदबाजी कौशल से आउट किया.
खेलप्रेमियों को अभी भी तीन देशों की कॉमनवेल्थ सीरीज के अंतर्गत भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए फाइनल मैच की याद ताजा होगी. इन दो फाइनल में प्रवीण ने टीम इंडिया के स्ट्राइक बॉलर की भूमिका निभाते हुए भारत को ऑस्ट्रेलिया को उसके घरू मैदान में हराने में अहम योगदान दिया था.
कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज के सिडनी में हुए पहले फाइनल में भारत के लिए प्रवीण ने कमाल की गेंदबाजी की थी. गिलक्रिस्ट, हेडन, पोंटिंग, माइकल क्लार्क, साइमंड्स और हसी जैसे खिलाड़ियों की मौजूदगी वाली कंगारू टीम को उन्होंने शुरुआत से ही दबाव में रखा. गिलक्रिस्ट और पोंटिंग के विकेट झटकते हुए उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को हाथ खोलने के ज्यादा मौके नहीं दिए थे. ऑस्ट्रेलियाई टीम को 50 ओवर में 239 के स्कोर तक सीमित करने में नवोदित प्रवीण के योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता. प्रवीण ने इस मैच में गेंदबाजी की शुरुआत करते हुए अपने 10 ओवर में 49 रन देकर दो विकेट लिए थे और सचिन तेंदुलकर के शतक की मदद से भारत ने यह मैच बेहद आसानी से 6 विकेट से जीता था.
टूर्नामेंट के दूसरे फाइनल में तो प्रवीण का प्रदर्शन और निखरकर सामने आया था. ब्रिसबेन में हुए इस मुकाबले में भारत ने पहले बैटिंग करते हुए 258 रन बनाए थे. विकेट के मिजाज को भांपते हुए कप्तान एमएस धोनी ने शुरुआत में ही प्रवीण को गेंद थमा दी और उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई टीम के टॉप आर्डर को पैवेलियन लौटा दिया था. मैच में प्रवीण की स्विंग गेंदबाजी के आगे गिलक्रिस्ट और पोंटिंग जैसे बल्लेबाजों को संघर्ष करते हुए देखना बेहतरीन था. प्रवीण ने इस मैच में गिलक्रिस्ट, पोटिंग, माइकल क्लार्क के अलावा निचले क्रम के ब्रेट ली को भी आउट किया था. भारत ने इस मैच में ऑस्ट्रेलिया को 9 रन से हराते हुए कॉमनवेल्थ बैंक त्रिकोणीय टूर्नामेंट जीत लिया था. 10 ओवर में 46 रन देकर चार विकेट लेने वाले प्रवीण को 'मैन ऑफ द मैच' घोषित किया गया था.
वनडे मैचों में प्रवीण कई मौकों पर अपनी गेंदबाजी से भारत के लिए उपयोगी साबित हुए हैं. मैच में चार विकेट लेने का कारनामा उन्होंने तीन बार किया है. उन्होंने 68 वनडे में 36.02 के औसत से 77 विकेट लिए और श्रीलंका के खिलाफ 4/31 उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा. दुर्भाग्य से प्रवीण को टेस्ट खेलने के ज्यादा मौके नहीं मिल पाए. उन्होंने छह टेस्ट खेले और 25.81 के बेहतरीन औसत से 27 विकेट लिए. इस दौरान 5/106 उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा जो उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ लार्ड्स के मैदान में दर्ज किया था.
इसके बाद चोटों और प्रदर्शन में आई गिरावट के कारण टीम इंडिया से बाहर हो गए. करियर के इस दौर में वे मैदान पर गेंदबाजी से कहीं अधिक, तैश में आने की अपनी आदत के कारण चर्चा में रहे. 'देसी' अंदाज वाले प्रवीण आईपीएल में गुजरात लायंस, किंग्स इलेवन पंजाब, रॉयल चैंलेंजर्स बेंगलुरू और सनराइजर्स हैदराबाद की ओर से खेल चुके हैं.हाल ही में प्रवीण ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन करके अपनी नई पारी शुरू की है. उम्मीद है कि अपने इस सफर में भी वे कामयाबी के नए रिकॉर्ड बनाएंगे....
बचपन में उनका ज्यादा समय परिवार के सदस्यों को अखाड़े में जोर-आजमाइश करते बीता. लेकिन गली क्रिकेट खेलते हुए उन्होंने गेंद को अपने इशारे पर घुमाने यानी स्विंग कराने की कला सीखी और जल्द ही क्रिकेटर के रूप में स्थापित हो गए. रंजी ट्रॉफी और फिर चैलेंजर ट्रॉफी में अच्छा प्रदर्शन करते हुए जल्द ही टीम इंडिया में जगह बना ली. प्रवीण ने रविवार को अपने 30 वर्ष पूरे किए हैं.
नवंबर 2007 में उन्होंने जयपुर में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे करियर का आगाज किया जबकि उनके टेस्ट करियर की शुरुआत इसके करीब चार वर्ष बाद बाद अगस्त 2011 में इंग्लैंड के खिलाफ बर्मिंघम में हुई. गेंदों में गति अधिक नहीं होने के कारण प्रवीण भारतीय पिचों पर अधिक कामयाब नहीं हुए, लेकिन विदेश की मददगार पिचों पर उन्होंने नामी बल्लेबाजेां को भी अपने गेंदबाजी कौशल से आउट किया.
खेलप्रेमियों को अभी भी तीन देशों की कॉमनवेल्थ सीरीज के अंतर्गत भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए फाइनल मैच की याद ताजा होगी. इन दो फाइनल में प्रवीण ने टीम इंडिया के स्ट्राइक बॉलर की भूमिका निभाते हुए भारत को ऑस्ट्रेलिया को उसके घरू मैदान में हराने में अहम योगदान दिया था.
कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज के सिडनी में हुए पहले फाइनल में भारत के लिए प्रवीण ने कमाल की गेंदबाजी की थी. गिलक्रिस्ट, हेडन, पोंटिंग, माइकल क्लार्क, साइमंड्स और हसी जैसे खिलाड़ियों की मौजूदगी वाली कंगारू टीम को उन्होंने शुरुआत से ही दबाव में रखा. गिलक्रिस्ट और पोंटिंग के विकेट झटकते हुए उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को हाथ खोलने के ज्यादा मौके नहीं दिए थे. ऑस्ट्रेलियाई टीम को 50 ओवर में 239 के स्कोर तक सीमित करने में नवोदित प्रवीण के योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता. प्रवीण ने इस मैच में गेंदबाजी की शुरुआत करते हुए अपने 10 ओवर में 49 रन देकर दो विकेट लिए थे और सचिन तेंदुलकर के शतक की मदद से भारत ने यह मैच बेहद आसानी से 6 विकेट से जीता था.
टूर्नामेंट के दूसरे फाइनल में तो प्रवीण का प्रदर्शन और निखरकर सामने आया था. ब्रिसबेन में हुए इस मुकाबले में भारत ने पहले बैटिंग करते हुए 258 रन बनाए थे. विकेट के मिजाज को भांपते हुए कप्तान एमएस धोनी ने शुरुआत में ही प्रवीण को गेंद थमा दी और उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई टीम के टॉप आर्डर को पैवेलियन लौटा दिया था. मैच में प्रवीण की स्विंग गेंदबाजी के आगे गिलक्रिस्ट और पोंटिंग जैसे बल्लेबाजों को संघर्ष करते हुए देखना बेहतरीन था. प्रवीण ने इस मैच में गिलक्रिस्ट, पोटिंग, माइकल क्लार्क के अलावा निचले क्रम के ब्रेट ली को भी आउट किया था. भारत ने इस मैच में ऑस्ट्रेलिया को 9 रन से हराते हुए कॉमनवेल्थ बैंक त्रिकोणीय टूर्नामेंट जीत लिया था. 10 ओवर में 46 रन देकर चार विकेट लेने वाले प्रवीण को 'मैन ऑफ द मैच' घोषित किया गया था.
वनडे मैचों में प्रवीण कई मौकों पर अपनी गेंदबाजी से भारत के लिए उपयोगी साबित हुए हैं. मैच में चार विकेट लेने का कारनामा उन्होंने तीन बार किया है. उन्होंने 68 वनडे में 36.02 के औसत से 77 विकेट लिए और श्रीलंका के खिलाफ 4/31 उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा. दुर्भाग्य से प्रवीण को टेस्ट खेलने के ज्यादा मौके नहीं मिल पाए. उन्होंने छह टेस्ट खेले और 25.81 के बेहतरीन औसत से 27 विकेट लिए. इस दौरान 5/106 उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा जो उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ लार्ड्स के मैदान में दर्ज किया था.
इसके बाद चोटों और प्रदर्शन में आई गिरावट के कारण टीम इंडिया से बाहर हो गए. करियर के इस दौर में वे मैदान पर गेंदबाजी से कहीं अधिक, तैश में आने की अपनी आदत के कारण चर्चा में रहे. 'देसी' अंदाज वाले प्रवीण आईपीएल में गुजरात लायंस, किंग्स इलेवन पंजाब, रॉयल चैंलेंजर्स बेंगलुरू और सनराइजर्स हैदराबाद की ओर से खेल चुके हैं.हाल ही में प्रवीण ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन करके अपनी नई पारी शुरू की है. उम्मीद है कि अपने इस सफर में भी वे कामयाबी के नए रिकॉर्ड बनाएंगे....
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