युवराज सिंह
नई दिल्ली:
कोलकाता नाइटराइडर्स के खिलाफ युवराज जिस तरीके से रन आउट हुए उससे सब हैरान रह गए। पीयूष चावला की गेंद युवराज सिंह के पैड पर लगी और रॉबिन उथप्पा के पास गई।
युवराज तब अपनी क्रीज के बाहर थे। अगर युवी चाहते तो जल्दी से क्रीज में वापस आकर अपना विकेट बचा सकते थे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पहली बार चूकने वाले उथप्पा दूसरी बार नहीं चूके और युवराज सिंह आउट हो गए। वैसे यह पहली बार नहीं है कि युवराज सिंह मैदान पर खोए-खोए नज़र आए हों।
फील्डिंग के दौरान भी युवराज सिंह मानो अपनी ही दुनिया में खोए रहते हैं। ये भी हो सकता है कि टीम मैनेजमेंट उनसे न तो कोई सलाह लेना चाहती है और न ही बड़े फैसलों या रणनीति बनाने में युवराज सिंह को शामिल किया जाता है।
अभी तक पांच मैच खेल चुकी दिल्ली की पूरी कमान कप्तान जेपी ड्युमिनी के हाथों में है, लेकिन मैदान पर उनके और युवराज सिंह के बीच वह तालमेल नजर नहीं आता, जो कि होना चाहिए। युवराज सिंह इस टीम के सबसे महंगे खिलाड़ी तो हैं ही, लेकिन सबसे अनुभवी और सबसे कामयाब भी। ऐसे में समझ नहीं आता कि दिल्ली की टीम में उनके अनुभव का इस्तेमाल क्यों नहीं होता?
इतना ही नहीं अपने घर में जब कोई टीम खेलती है तो अपनी ताकत के हिसाब से पिच तैयार करती है। दिल्ली की टीम में अमित मिश्रा और इमरान ताहिर के रूप में दो बेहतरीन लेग स्पिनर हैं। ड्युमिनी और युवराज खुद स्पिन गेंदबाज़ी कर सकते हैं, ऐसे में यह बात समझ के परे है कि कोलकाता के खिलाफ एक हरी पिच क्यों बनाई गई, जिसने विरोधी टीम के गेंदबाज़ों को मदद की।
इन पूरी बातों से यह तो तय हो गया है कि दिल्ली टीम के कोच-कप्तान की जोड़ी, युवराज सिंह समेत बाकी सीनियर खिलाड़ी और दिल्ली डेयरडेविल्स के अधिकारियों के बीच कोई भी तालमेल नहीं है और नतीजा सबके सामने हैं। दिल्ली की टीम अपने घर में न तो डेयर' ही कर पाई है और न ही 'डेविल' की तरह खेल पा रहे हैं।
युवराज तब अपनी क्रीज के बाहर थे। अगर युवी चाहते तो जल्दी से क्रीज में वापस आकर अपना विकेट बचा सकते थे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पहली बार चूकने वाले उथप्पा दूसरी बार नहीं चूके और युवराज सिंह आउट हो गए। वैसे यह पहली बार नहीं है कि युवराज सिंह मैदान पर खोए-खोए नज़र आए हों।
फील्डिंग के दौरान भी युवराज सिंह मानो अपनी ही दुनिया में खोए रहते हैं। ये भी हो सकता है कि टीम मैनेजमेंट उनसे न तो कोई सलाह लेना चाहती है और न ही बड़े फैसलों या रणनीति बनाने में युवराज सिंह को शामिल किया जाता है।
अभी तक पांच मैच खेल चुकी दिल्ली की पूरी कमान कप्तान जेपी ड्युमिनी के हाथों में है, लेकिन मैदान पर उनके और युवराज सिंह के बीच वह तालमेल नजर नहीं आता, जो कि होना चाहिए। युवराज सिंह इस टीम के सबसे महंगे खिलाड़ी तो हैं ही, लेकिन सबसे अनुभवी और सबसे कामयाब भी। ऐसे में समझ नहीं आता कि दिल्ली की टीम में उनके अनुभव का इस्तेमाल क्यों नहीं होता?
इतना ही नहीं अपने घर में जब कोई टीम खेलती है तो अपनी ताकत के हिसाब से पिच तैयार करती है। दिल्ली की टीम में अमित मिश्रा और इमरान ताहिर के रूप में दो बेहतरीन लेग स्पिनर हैं। ड्युमिनी और युवराज खुद स्पिन गेंदबाज़ी कर सकते हैं, ऐसे में यह बात समझ के परे है कि कोलकाता के खिलाफ एक हरी पिच क्यों बनाई गई, जिसने विरोधी टीम के गेंदबाज़ों को मदद की।
इन पूरी बातों से यह तो तय हो गया है कि दिल्ली टीम के कोच-कप्तान की जोड़ी, युवराज सिंह समेत बाकी सीनियर खिलाड़ी और दिल्ली डेयरडेविल्स के अधिकारियों के बीच कोई भी तालमेल नहीं है और नतीजा सबके सामने हैं। दिल्ली की टीम अपने घर में न तो डेयर' ही कर पाई है और न ही 'डेविल' की तरह खेल पा रहे हैं।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
दिल्ली डेयरडेविल्स, कोलकाता नाइटराइडर्स, आईपीएल-8, युवराज सिंह, Yuvraj Singh, IPL8, Delhi Daredevils, Kolkata Knight Riders