नागपुर टेस्ट : विराट कोहली की कप्तानी में पहली होम सीरीज जीतने के 5 कारण

नागपुर टेस्ट : विराट कोहली की कप्तानी में पहली होम सीरीज जीतने के 5 कारण

अश्विन और जडेजा टीम इंडिया की जीत के हीरो रहे (फाइल फोटो)

वर्ल्ड नंबर वन टीम दक्षिण अफ्रीका को टीम इंडिया ने नागपुर टेस्ट में करारी मात दी। इस प्रकार उसने विदेशी धरती पर दक्षिण अफ्रीका के 9 साल से अविजित रहने के रिकॉर्ड को थाम लिया। कप्तान विराट कोहली के लिए भी यह पहली होम सीरीज जीत है। इतना ही नहीं टीम इंडिया 11 साल बाद दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ कोई सीरीज जीतने में कामयाब हुई। नागपुर टेस्ट से पहले दक्षिण अफ्रीकी टीम आखिरी बार साल 2006 में श्रीलंका की धरती पर 2-0 से टेस्ट सीरीज हारी थी।

हालांकि हमारा उद्देश्य टीम इंडिया से जीत का श्रेय छीनना नहीं है, लेकिन उसकी इस सीरीज जीत में जितना टीम के प्लेयर्स का योगदान है, उतना ही योगदान वर्ल्ड की नंबर टीम के खराब प्रदर्शन का भी है -

आर अश्विन की करिश्माई बॉलिंग
श्रीलंका के खिलाफ हाल ही में संपन्न हुई टेस्ट सीरीज में 3 मैचों में 21 विकेट लेकर शानदार प्रदर्शन के बाद आर अश्विन ने अपना फॉर्म बरकरार रखा। उन्होंने इस सीरीज में 24 विकेट झटक लिए हैं। नागपुर टेस्ट की पहली पारी में 5 विकेट लेने के बाद अश्विन ने दूसरी पारी में 7 विकेट झटके। इस प्रकार उन्होंने इस मैच में कुल 12 विकेट हासिल किए। अश्विन ने 15वीं बार एक पारी में 5 विकेट लिया। इससे पहले बारिश के कारण ड्रॉ रहे बेंगलुरू टेस्ट में भी उन्होंने पहली पारी में 4 विकेट लेकर दक्षिण अफ्रीकी टीम की कमर तोड़ दी थी। वहीं मोहाली टेस्ट में उन्होंने कुल 8 विकेट झटके थे।

नंबर वन टीम की घटिया बल्लेबाजी
हालांकि स्पिन विकेट पर टीम इंडिया के बल्लेबाज भी कुछ खास नहीं कर सके, लेकिन 9 साल से विदेशी धरती पर एक भी सीरीज नहीं हारने वाली वर्ल्ड नंबर वन टीम दक्षिण अफ्रीका की बैटिंग उनकी प्रतिष्ठा के अनुरूप बिल्कुल भी नहीं रही। यह वही दक्षिण अफ्रीकी टीम है, जिसमें गैरी कर्स्टन, जैक कलिस, हर्शल गिब्स, ग्रीम स्मिथ जैसे बल्लेबाज रहे हैं जो स्पिन विकेट पर भी सधी हुई बल्लेबाजी करते थे। दक्षिण अफ्रीकी टीम विदेशी धरती पर 9 साल अजेय रही, क्योंकि वह न केवल गेंदबाजी में बल्कि बल्लेबाजी में भी दम रखती थी। पर इस बार बिल्कुल भी ऐसा नहीं रहा। गेंदबाजों ने तो अपना काम किया, लेकिन बल्लेबाजों की तकनीक कहीं से भी स्पिन खेलने लायक नहीं दिखी और यही उनकी असफलता का कारण रहा।

ऑलराउंडर 'सर' रवींद्र जडेजा और अमित मिश्रा
बाएं हाथ के गेंदबाज रवींद्र जडेजा ने इस सीरीज में अपनी वापसी को सही साबित किया। टीम इंडिया की सीरीज जीत में जडेजा का योगदान अश्विन से कहीं भी कम नहीं है। उन्होंने विकेट झटकने के साथ ही बैटिंग में भी कुछ रन बनाए और अहम साझेदारियां की। नागपुर टेस्ट में उन्होंने पहली पारी में 4 विकेट लिए और 34 रन बनाए। इससे पहले मोहली टेस्ट में भी उन्होंने ऑलराउंड खेल दिखाया था और कुल 8 विकेट लिए थे। बारिश के कारण ड्रॉ हुए बेंगलुरू टेस्ट में भी उन्होंने 4 विकेट लिए थे। नागपुर टेस्ट में अमित मिश्रा ने भी 3 विकेट लिए।

स्पिन फ्रेंडली विकेट का फायदा नहीं उठा पाना
वर्ल्ड नंबर टीम को वर्ल्ड क्लास स्पिनर की कमी खली। लेग स्पिनर इमरान ताहिर से उनको उम्मीद थी, लेकिन वे टेस्ट मैचों में कमाल नहीं दिखा सके। हालांकि उन्होंने नागपुर टेस्ट की दूसरी पारी में 5 विकेट हासिल किए, पर पहली पारी में उन्हें मात्र एक विकेट मिला। साइमन हार्मर ने पहली पारी में 4 विकेट तो लिए, लेकिन 78 रन दे डाले। इससे एक समय 150 रन के अंदर सिमटती दिख रही टीम इंडिया 200 से ऊपर का स्कोर बनाने में सफल हो गई, जो इस टर्निंग ट्रैक पर विनिंग टोटल हो गया। वैसे भी टीम इंडिया के बल्लेबाजों को ऑफ स्पिनर को खेलने में ज्यादा दिक्कत होती है। ऐसा नहीं है कि दक्षिण अफ्रीकी स्पिनरों ने विकेट नहीं लिए, उन्होंने विकेट तो लिए लेकिन रन भी लुटा दिए। वे सही लाइन-लेंथ से गेंदबाजी नहीं कर पाए। उन्हें टर्निंग ट्रैक पर बॉलिंग सीखनी होगी।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

बैटिंग तकनीक है दक्षिण अफ्रीका की बड़ी कमी
सीरीज के तीनों टेस्ट में टीम इंडिया को मन मुताबिक स्पिनरों को मदद देने वाली पिच उपलब्ध कराई गई और टीम के स्पिनरों ने इसका भरपूर फायदा उठाया। नागपुर टेस्ट में तो पहले ही घंटे से घूल उड़ती दिखाई दी। ऐसे में बल्लेबाजों के लिए इस पर जमकर खेलना मुश्किल हो गया। ऐसी पिचों पर खेलने के लिए सही तकनीक की जरूरत होती है, जो दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों में बिल्कुल भी नहीं दिखी। पूर्व कप्तान और दिग्गज क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने स्पिन पिच की आलोचना पर कहा भी कि पिच को दोष न दें, बल्लेबाजी की तकनीक सीखें। एक बल्लेबाज को हर तरह के विकेट पर खेलना आना चाहिए।