
वेस्टइंडीज के पूर्व दिग्गज माइकल होल्डिंग का मानना है कि कोविड-19 महामारी के कारण गेंद से छेड़छाड़ के लिए कृत्रिम पदार्थ का इस्तेमाल को वैध बनाना ‘विरोधाभासी' है, जबकि दक्षिण अफ्रीका के पूर्व महान गेंदबाज एलन डोनाल्ड ने इस पहल का समर्थन किया. पाकिस्तान के गेंदबाजी कोच और पूर्व दिग्गज वकार युनूस ने कहा कि गेंद को चमकाने के लिए लार और पसीने का विकल्प कुछ और नहीं हो सकता. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) कोविड-19 महामारी के बाद वायरस को फैलने से रोकने के लिये गेंद पर लार की जगह कृत्रिम पदार्थ के इस्तेमाल को वैध करने पर विचार कर रही है.
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— Saj Sadiq (@Saj_PakPassion) April 17, 2020
होल्डिंग ने कहा, ‘मैंने पढ़ा है कि आईसीसी कोविड-19 की वजह से गेंद पर लार का इस्तेमाल करने से रोकने पर विचार कर रही है और खिलाड़ियों से गेंद पर चमक बनाए रखने के लिए अंपायर के सामने कृत्रिम पदार्थों का उपयोग करने की अनुमति देने की सोच रही है. मैं इसके पीछे के तर्क को नहीं समझ पा रहा हूं.' वेस्टइंडीज के इस पूर्व दिग्गज ने कहा,‘‘आईसीसी को ऐसी स्थिति का सामना करने की जगह क्रिकेट को तभी शुरू करना चाहिए, जब माहौल पूरी तरह से सही हो.'
होल्डिंग के कहा कि आईसीसी के मुताबिक क्रिकेट शुरू होने सेपहले खिलाड़ियों को 14 दिनों तक पृथक रहना होगा. उन्होंने सवाल उठाया जब खिलाड़ी इसे पूरा कर लेंगे तब लार का इस्तेमाल क्यों नहीं कर सकते. उन्होंने कहा, ‘अगर दो सप्ताह अलग रहने के बाद भी किसी के स्वास्थ्य पर सवाल उठता है तो आप ऐसी स्थिति में क्रिकेट कैसे खेलेंगे इसका यह मतलब होगा कि आप सबको खतरे में डाल रहे है.'
वहीं, पाकिस्तान के दिग्गज वकार ने स्पष्ट किया कि लार का उपयोग बहुत जरूरी है और प्रतिस्पर्धी क्रिकेट के फिर से शुरू होने पर इसे हटाया नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘एक तेज गेंदबाज के रूप में मैं इसे अस्वीकार करता हूं, क्योंकि यह (लार और पसीने का उपयोग करना) एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. एक गेंद पूरे दिन एक हाथ से दूसरे हाथ जाती है. पसीने और लार का इस्तेमाल नैसर्गिक है. यह आदत की तरह है आप इस पर नियंत्रण नहीं कर सकते.'' आप गेंदबाज को बाहरी चीज लगाने के लिए दे सकते है लेकिन खेल के दौरान उसे लार और पसीने का इस्तेमाल करने से रोकाना संभव नहीं होगा.
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डोनाल्ड हालांकि इस विचार के पक्ष में है. उन्होंने कहा, ‘‘ मैं गेंद से छेड़छाड़ को वैध बनाने से बिल्कुल सहमत हूं. मैंने 2000 के दशक में किसी लेख में ऐसा कहा था. यह वैसे भी होता है. हम देखते हैं कि लोग जमीन पर गेंद फेंकते हैं और अंपायर ऐसा करने से माना करते है. यह स्पष्ट है कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं. अगर इस पर अच्छी तरह से नजर रखी है तो यह काम कर सकता है.'
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