नई दिल्ली:
सचिन तेंदुलकर को खेलना जारी रखना चाहिए या संन्यास ले लेना चाहिए, इस चर्चा में न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान और दिग्गज बल्लेबाज मार्टिन क्रो ने खुद को शामिल करते हुए कहा कि भारत के इस स्टार बल्लेबाज की उम्र का असर शरीर पर पड़ने लगा है। उम्मीद है कि वह इन समस्याओं से उबरने में सफल रहेंगे।
न्यूजीलैंड के बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक, ‘‘हाथ और आखों का समन्वय तेंदुलकर की समस्या नहीं है। इसमें वह 1992 की तुलना में शायद बेहतर और तेज है। लेकिन एक चीज से वह नहीं बच सकते कि उनकी उम्र का असर शरीर पर पड़ रहा है।’’
क्रो ने ईएसपीएन क्रिकइन्फो में अपने कॉलम में लिखा है, ‘‘पीठ और मांसपेशियों में लचीलापन दस प्रतिशत कम हो सकता है तथा उनकी चपलता और तेजी भी दस प्रतिशत कम हो सकती है। तेंदुलकर को भी लग जाएगा कि वह पहले की तरह तेज नहीं हैं। विशेषकर तेज गेंदबाजों के खिलाफ उनके पांव और शरीर को तेजी से अपनी पोजीशन पर आने में मुश्किल होगी।’’
न्यूजीलैंड की तरफ से 77 टेस्ट मैच में 5444 रन बनाने वाले क्रो ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतक लगाने वाले तेंदुलकर को स्पिनरों का सामना करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। उन्होंने कहा, ‘‘स्पिनरों के खिलाफ वह दुनिया के किसी भी बल्लेबाज की तरह बेहतरीन हैं। लेकिन साल के शुरू में ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाजों के खिलाफ बेहतरीन बल्लेबाजी करने के बावजूद उनके आउट होने के तरीकों के एक पैटर्न उभरने लगा था जैसे कि पगबाधा, क्लीन बोल्ड आउट होना।’’
उन्होंने कहा कि तेंदुलकर अपने समकालीन क्रिकेटरों की तुलना में लंबे समय तक इसलिए खेल पाए क्योंकि उनका इस खेल के लिए कभी कम नहीं होने वाला प्यार रहा है। क्रो ने लिखा है, ‘‘उनकी भारत के लिए रन बनाने की भूख बरकरार है। अब भी प्रत्येक की तरह अभ्यास करने की इच्छा उनमें है। अपनी मानसिक मजबूती से वह अपेक्षाओं के बोझ भी सह लेते हैं। ये सभी अभूतपूर्व विशेषताएं हैं।’’
न्यूजीलैंड के बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक, ‘‘हाथ और आखों का समन्वय तेंदुलकर की समस्या नहीं है। इसमें वह 1992 की तुलना में शायद बेहतर और तेज है। लेकिन एक चीज से वह नहीं बच सकते कि उनकी उम्र का असर शरीर पर पड़ रहा है।’’
क्रो ने ईएसपीएन क्रिकइन्फो में अपने कॉलम में लिखा है, ‘‘पीठ और मांसपेशियों में लचीलापन दस प्रतिशत कम हो सकता है तथा उनकी चपलता और तेजी भी दस प्रतिशत कम हो सकती है। तेंदुलकर को भी लग जाएगा कि वह पहले की तरह तेज नहीं हैं। विशेषकर तेज गेंदबाजों के खिलाफ उनके पांव और शरीर को तेजी से अपनी पोजीशन पर आने में मुश्किल होगी।’’
न्यूजीलैंड की तरफ से 77 टेस्ट मैच में 5444 रन बनाने वाले क्रो ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतक लगाने वाले तेंदुलकर को स्पिनरों का सामना करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। उन्होंने कहा, ‘‘स्पिनरों के खिलाफ वह दुनिया के किसी भी बल्लेबाज की तरह बेहतरीन हैं। लेकिन साल के शुरू में ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाजों के खिलाफ बेहतरीन बल्लेबाजी करने के बावजूद उनके आउट होने के तरीकों के एक पैटर्न उभरने लगा था जैसे कि पगबाधा, क्लीन बोल्ड आउट होना।’’
उन्होंने कहा कि तेंदुलकर अपने समकालीन क्रिकेटरों की तुलना में लंबे समय तक इसलिए खेल पाए क्योंकि उनका इस खेल के लिए कभी कम नहीं होने वाला प्यार रहा है। क्रो ने लिखा है, ‘‘उनकी भारत के लिए रन बनाने की भूख बरकरार है। अब भी प्रत्येक की तरह अभ्यास करने की इच्छा उनमें है। अपनी मानसिक मजबूती से वह अपेक्षाओं के बोझ भी सह लेते हैं। ये सभी अभूतपूर्व विशेषताएं हैं।’’
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