नई दिल्ली:
सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का कोहिनूर और विलक्षण प्रतिभा का धनी बताते हुए पाकिस्तान के महान स्पिनर अब्दुल कादिर ने कहा है कि उन पर संन्यास लेने का दबाव बनाना गलत है और उन्हें खुद यह फैसला लेने का अधिकार देना चाहिए।
न्यूजीलैंड के खिलाफ हालिया टेस्ट शृंखला में नाकामी के बाद एक बार फिर तेंदुलकर को कई पूर्व क्रिकेटरों ने संन्यास लेने की सलाह दे डाली है, जिनमें पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इमरान खान शामिल हैं।
कादिर ने कहा, इमरान खान ने कहा है कि खिलाड़ी को शिखर पर पहुंचकर संन्यास ले लेना चाहिए, जो गलत नहीं है। लेकिन सचिन एक खास खिलाड़ी हैं और उनका दर्जा बहुत ऊंचा है। वह भारत ही नहीं, बल्कि विश्व क्रिकेट के कोहिनूर है और उन्हें खुद फैसला लेने की सहूलियत होनी चाहिए कि उन्हें कब तक खेलना है।
कराची में 1989 में अपने करियर की शुरुआत करने वाले सचिन को पहले मैच में गेंदबाजी कर चुके कादिर ने कहा, सचिन ने क्रिकेट को बहुत कुछ दिया है। कुदरत ने उन्हें खास हुनर से नवाजा है और ऐसा खिलाड़ी एक युग में एक ही होता है। वह वतनपरस्त भी हैं और जिस दिन उन्हें लगेगा कि वह भारतीय क्रिकेट को कुछ दे नहीं पा रहे, वह खुद खेल को अलविदा कह देंगे।
उन्होंने कहा, सचिन की आलोचना करने वालों से मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि पिछले 20 साल में उनकी उपलब्धियों को, उनके रिकॉर्ड को देखें। पाकिस्तान के पूर्व मुख्य चयनकर्ता कादिर ने कहा, मैंने 18 साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेली है और मैं अच्छे प्रदर्शन का दबाव समझ सकता हूं। एक या दो मैच या एक शृंखला में खराब प्रदर्शन के बाद इस तरह का दबाव बनाया जाना सरासर गलत है। हर मैच में कोई शतक नहीं जमा सकता।
पाकिस्तान के लिए 67 टेस्ट में 236 और 104 वन-डे में 132 विकेट ले चुके इस लेग स्पिनर ने कहा कि पहले मैच से ही उन्हें अनुमान हो गया था कि सचिन कुछ खास हैं। उन्होंने कहा, कराची में 1989 में वकार यूनुस जैसे तेज गेंदबाज की खतरनाक आउटस्विंग पर 16 साल के सचिन ने पैर आगे निकालकर ड्राइव लगाया। ऐसी गेंद पर कोई मंझा हुआ बल्लेबाज भी आगे बढ़कर खेलने के बारे में सौ बार सोचेगा। मैंने तभी जान लिया था कि यह लड़का कुछ खास है।
उसी दौरे पर पेशावर में एक नुमाइशी टी-20 मैच में तेंदुलकर ने 18 गेंद में 53 रन बनाए थे, जिसमें कादिर के एक ओवर में 27 रन शामिल थे। कादिर ने पुरानी यादें ताजा करते हुए कहा, मुझे याद है कि उस ओवर से ठीक पहले मैंने भारत के तत्कालीन कप्तान और आक्रामक बल्लेबाज कृष्णामाचारी श्रीकांत को मैडन ओवर फेंका था। उसके बाद सचिन ने मेरी पहली, दूसरी और चौथी गेंद पर छक्का लगा दिया। अगले ओवर में मुश्ताक अहमद को चार छक्के लगाए।
उन्होंने कहा, यह क्रिकेट के इतिहास के एक नए दौर की इब्तिदा थी। इसका महानायक सचिन था, जिसकी चमक आज भी कम नहीं हुई है। उन्होंने क्रिकेट प्रेमियों को इतनी खूबसूरत यादें दी हैं, तो उन्हें अपनी मर्जी से खेल को छोड़ने का अधिकार भी होना चाहिए।
न्यूजीलैंड के खिलाफ हालिया टेस्ट शृंखला में नाकामी के बाद एक बार फिर तेंदुलकर को कई पूर्व क्रिकेटरों ने संन्यास लेने की सलाह दे डाली है, जिनमें पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इमरान खान शामिल हैं।
कादिर ने कहा, इमरान खान ने कहा है कि खिलाड़ी को शिखर पर पहुंचकर संन्यास ले लेना चाहिए, जो गलत नहीं है। लेकिन सचिन एक खास खिलाड़ी हैं और उनका दर्जा बहुत ऊंचा है। वह भारत ही नहीं, बल्कि विश्व क्रिकेट के कोहिनूर है और उन्हें खुद फैसला लेने की सहूलियत होनी चाहिए कि उन्हें कब तक खेलना है।
कराची में 1989 में अपने करियर की शुरुआत करने वाले सचिन को पहले मैच में गेंदबाजी कर चुके कादिर ने कहा, सचिन ने क्रिकेट को बहुत कुछ दिया है। कुदरत ने उन्हें खास हुनर से नवाजा है और ऐसा खिलाड़ी एक युग में एक ही होता है। वह वतनपरस्त भी हैं और जिस दिन उन्हें लगेगा कि वह भारतीय क्रिकेट को कुछ दे नहीं पा रहे, वह खुद खेल को अलविदा कह देंगे।
उन्होंने कहा, सचिन की आलोचना करने वालों से मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि पिछले 20 साल में उनकी उपलब्धियों को, उनके रिकॉर्ड को देखें। पाकिस्तान के पूर्व मुख्य चयनकर्ता कादिर ने कहा, मैंने 18 साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेली है और मैं अच्छे प्रदर्शन का दबाव समझ सकता हूं। एक या दो मैच या एक शृंखला में खराब प्रदर्शन के बाद इस तरह का दबाव बनाया जाना सरासर गलत है। हर मैच में कोई शतक नहीं जमा सकता।
पाकिस्तान के लिए 67 टेस्ट में 236 और 104 वन-डे में 132 विकेट ले चुके इस लेग स्पिनर ने कहा कि पहले मैच से ही उन्हें अनुमान हो गया था कि सचिन कुछ खास हैं। उन्होंने कहा, कराची में 1989 में वकार यूनुस जैसे तेज गेंदबाज की खतरनाक आउटस्विंग पर 16 साल के सचिन ने पैर आगे निकालकर ड्राइव लगाया। ऐसी गेंद पर कोई मंझा हुआ बल्लेबाज भी आगे बढ़कर खेलने के बारे में सौ बार सोचेगा। मैंने तभी जान लिया था कि यह लड़का कुछ खास है।
उसी दौरे पर पेशावर में एक नुमाइशी टी-20 मैच में तेंदुलकर ने 18 गेंद में 53 रन बनाए थे, जिसमें कादिर के एक ओवर में 27 रन शामिल थे। कादिर ने पुरानी यादें ताजा करते हुए कहा, मुझे याद है कि उस ओवर से ठीक पहले मैंने भारत के तत्कालीन कप्तान और आक्रामक बल्लेबाज कृष्णामाचारी श्रीकांत को मैडन ओवर फेंका था। उसके बाद सचिन ने मेरी पहली, दूसरी और चौथी गेंद पर छक्का लगा दिया। अगले ओवर में मुश्ताक अहमद को चार छक्के लगाए।
उन्होंने कहा, यह क्रिकेट के इतिहास के एक नए दौर की इब्तिदा थी। इसका महानायक सचिन था, जिसकी चमक आज भी कम नहीं हुई है। उन्होंने क्रिकेट प्रेमियों को इतनी खूबसूरत यादें दी हैं, तो उन्हें अपनी मर्जी से खेल को छोड़ने का अधिकार भी होना चाहिए।
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