जयंत यादव ने विराट कोहली के साथ 241 रन जोड़े थे (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
रविचंद्रन अश्विन और जयंत यादव जैसे निचले क्रम के बल्लेबाज इस समय टीम इंडिया की बल्लेबाजी की अहम कड़ी बने हुए हैं और अंतिम समय में की गईं साझेदारियों की वजह से ही टीम कई मौकों पर विरोधी टीम के सामने बड़ा स्कोर खड़ा कर पाई है. इन गेंदबाजों ने तो कई नियमित बल्लेबाजों को भी पीछे छोड़ दिया है. खासतौर से जयंत यादव ने इंग्लैंड के खिलाफ चौथे टेस्ट में जिस तरह का खेल दिखाया, उससे सब उनके कसीदे पढ़ने लगे. इस दौरान उन्होंने भारतीय बल्लेबाज के रूप में एक रिकॉर्ड भी बना दिया. वह नौवें नंबर आकर शतक बनाने वाले पहले भारतीय बन गए. फिर भी उन्हें चेन्नई टेस्ट में विराट कोहली ने मौका नहीं दिया. हालांकि क्रिकेट में ऐसे बहुत कम मौके आए हैं, जब नौवें नंबर पर किसी बल्लेबाज ने शतक बनाया हो. हम आपको जयंत के अलावा वर्ल्ड क्रिकेट के ऐसे ही चार गेंदबाजों से मिलवाने जा रहे हैं, जिन्होंने इस क्रम पर शतक लगाया और उनकी टीम ने जीत हासिल कर ली...
टेस्ट क्रिकेट के इतिहास पर नजर डालें, तो नौवें और या इससे नीचे के क्रम पर अब तक 20 शतक लगे हैं. इनमें से केवल आठ बार ही शतकीय साझेदारी के बाद संबंधित टीम को जीत मिली है. एक और बात इन साझेदारियों के दौरान केवल तीन खिलाड़ी ही बल्लेबाज (क्लेम हिल, रेही डफ और जॉन मरे- विकेटकीपर) थे, बाकी सब गेंदबाज थे.
सबसे पहले बात ऑफ स्पिनर जयंत यादव की करते हैं, जिन्होंने इंग्लैंड के साथ वर्तमान टेस्ट सीरीज में मुंबई में खेले गए चौथे टेस्ट में कप्तान विराट कोहली के साथ 200 से अधिक रनों की साझेदारी करके न केवल आठवें विकेट के लिए रिकॉर्ड बना दिया, बल्कि टीम इंडिया को निर्णायक स्कोर तक भी पहुंचा दिया. साथ ही नौवें क्रम पर पहला शतक लगाने वाले भारतीय होने कागौरव भी हासिल कर लिया. जयंत जब बल्लेबाजी करने आए थे, तो भारत का स्कोर 364 रन पर 7 विकेट था. टीम इंडिया इंग्लैंड से पीछे थी. उन्होंने विराट के साथ 241 रन जोड़े. अंत में टीम इंडिया यह मैच पारी और 36 रन से जीत गई.
ऑस्ट्रेलिया के जैक ग्रेगरी
वनडे और टेस्ट क्रिकेट में राज करने वाली ऑस्ट्रेलियाी टीम की सफलता में पुछल्ले बल्लेबाजों का हमेशा रोल रहा है. कई बार तो उसके ये बल्लेबाज विरोधी टीम के लिए सिरदर्द बन जाते थे और मुख्य बल्लेबाजों के आउट हो जाने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया टीम सुरक्षित स्कोर तक पहुंच जाती थी. साल 1921 में खेले गए ऐसे ही एक मैच में लिए इंग्लैंड के खिलाफ उसके गेंदबाज जैक ग्रेगरी ने 100 रनों की पारी खेली थी. मेलबर्न के ऐतिहासिक मैदान पर ग्रेगरी ने निप पिल्यू के साथ आठवें विकेट के लिए 173 रन जोड़े थे. ग्रेगरी ने मैच में सात विकेट भी लिए थे और अंत में ऑस्ट्रेलियाई टीम पारी और 91 रन से जीत गई.
दक्षिण अफ्रीका के लान्स क्लूजनर
क्लूजनर दक्षिण अफ्रीका के अच्छे ऑलराउंडर माने जाते थे और कई मौकों पर विस्फोटक पारियों से टीम को जीत भी दिलाई थी. जयंत की तरह उन्होंने भी नौवें नंबर पर आकर ताबड़तोड़ शतक जड़ा था. उनका शतक 1997 में केपटाउन में खेले गए मैच में आया था. उन्होंने इस मैच में 102 रनों की नाबाद पारी खेली थी. मैच में दक्षिण अफ्रीका के एक समय 382 रन पर ही सात विकेट लौट गए थे, लेकिन क्लूजनर के दम पर उसने 529 रन बना लिए. उन्होंने यह पारी ब्रायन मैकमिलन (103) के साथ खेली थी. अंत में उनकी टीम भारत से 282 रनों से जीत गई.
दक्षिण अफ्रीका के ही शॉन पोलाक
1997 के चार साल बाद दक्षिण अफ्रीका के ही एक अन्य ऑलराउंडर ने नौवें नंबर पर आकर क्लूजनर वाला कारनामा दोहरा दिया. हम बात कर रहे हैं तेज गेंदबाज शॉन पोलाक की. उन्होंने साल 2001 में सेंचुरियन टेस्ट में श्रीलंका के शतक ठोका था. उन्होंने तूफानी अंदाज में बैटिंग करते हुए 106 गेंदों में 111 रन ठोके थे, जिनमें 16 चौके और तीन छक्के शामिल थे. पोलाक ने आठवें विकेट के लिए नियमित बल्लेबाज नील मैकेंजी के साथ 150 रनों की साझेदारी करके टीम को सुरक्षित स्कोर तक पहुंचा दिया था, जबकि वह संघर्ष कर रही थी, क्योंकि उसके सात विकेट 204 रन पर ही गिर गए थे. अंत में उनकी टीम पारी और सात रनों से मैच जीत गई.
इंग्लैंड के स्टुअर्ट ब्रॉड
युवराज सिंह के हाथों टी-20 वर्ल्ड कप में एक ओवर में छह छक्के खाने वाले इंग्लैंड के तेज गेंदबाज स्टु्अर्ट ब्रॉड वर्तमान सीरीज में भी इंग्लैंड टीम का हिस्सा हैं. हालांकि फिलहाल हम बात उनके छह साल पहले के प्रदर्शन की कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने गेंद के साथ-साथ बल्ले से भी कमाल किया था. उन्होंने साल 2010 में क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लार्ड्स में पाकिस्तान के खिलाफ 169 रनों की बड़ी पारी खेली थी, जो नौवें नंबर किसी भी गेंदबाज का बल्ले से सबसे बड़ा स्कोर है. हालांकि ओवरऑल देखें, तो इस क्रम का सबसे बड़ा स्कोर न्यूजीलैंड के विकेटकीपर बल्लेबाज इयान स्मिथ का है. जब ब्रॉड बल्लेबाजी के लिए आए, तो इंग्लैंड टीम की हालत खस्ता थी और उसके 102 रन पर 7 विकेट गिर गए थे. फिर ब्रॉड ने जोनैथन ट्रॉट (184 रन) के साथ 300 से अधिक की साझेदारी की. अंत में इंग्लैंड ने पाक को पारी और 225 रन से हरा दिया और ऐसा केवल ब्रॉड की पारी की वजह से ही हो पाया, अन्यथा ट्रॉट क्या कर पाते.
टेस्ट क्रिकेट के इतिहास पर नजर डालें, तो नौवें और या इससे नीचे के क्रम पर अब तक 20 शतक लगे हैं. इनमें से केवल आठ बार ही शतकीय साझेदारी के बाद संबंधित टीम को जीत मिली है. एक और बात इन साझेदारियों के दौरान केवल तीन खिलाड़ी ही बल्लेबाज (क्लेम हिल, रेही डफ और जॉन मरे- विकेटकीपर) थे, बाकी सब गेंदबाज थे.
सबसे पहले बात ऑफ स्पिनर जयंत यादव की करते हैं, जिन्होंने इंग्लैंड के साथ वर्तमान टेस्ट सीरीज में मुंबई में खेले गए चौथे टेस्ट में कप्तान विराट कोहली के साथ 200 से अधिक रनों की साझेदारी करके न केवल आठवें विकेट के लिए रिकॉर्ड बना दिया, बल्कि टीम इंडिया को निर्णायक स्कोर तक भी पहुंचा दिया. साथ ही नौवें क्रम पर पहला शतक लगाने वाले भारतीय होने कागौरव भी हासिल कर लिया. जयंत जब बल्लेबाजी करने आए थे, तो भारत का स्कोर 364 रन पर 7 विकेट था. टीम इंडिया इंग्लैंड से पीछे थी. उन्होंने विराट के साथ 241 रन जोड़े. अंत में टीम इंडिया यह मैच पारी और 36 रन से जीत गई.
ऑस्ट्रेलिया के जैक ग्रेगरी
वनडे और टेस्ट क्रिकेट में राज करने वाली ऑस्ट्रेलियाी टीम की सफलता में पुछल्ले बल्लेबाजों का हमेशा रोल रहा है. कई बार तो उसके ये बल्लेबाज विरोधी टीम के लिए सिरदर्द बन जाते थे और मुख्य बल्लेबाजों के आउट हो जाने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया टीम सुरक्षित स्कोर तक पहुंच जाती थी. साल 1921 में खेले गए ऐसे ही एक मैच में लिए इंग्लैंड के खिलाफ उसके गेंदबाज जैक ग्रेगरी ने 100 रनों की पारी खेली थी. मेलबर्न के ऐतिहासिक मैदान पर ग्रेगरी ने निप पिल्यू के साथ आठवें विकेट के लिए 173 रन जोड़े थे. ग्रेगरी ने मैच में सात विकेट भी लिए थे और अंत में ऑस्ट्रेलियाई टीम पारी और 91 रन से जीत गई.
दक्षिण अफ्रीका के लान्स क्लूजनर
क्लूजनर दक्षिण अफ्रीका के अच्छे ऑलराउंडर माने जाते थे और कई मौकों पर विस्फोटक पारियों से टीम को जीत भी दिलाई थी. जयंत की तरह उन्होंने भी नौवें नंबर पर आकर ताबड़तोड़ शतक जड़ा था. उनका शतक 1997 में केपटाउन में खेले गए मैच में आया था. उन्होंने इस मैच में 102 रनों की नाबाद पारी खेली थी. मैच में दक्षिण अफ्रीका के एक समय 382 रन पर ही सात विकेट लौट गए थे, लेकिन क्लूजनर के दम पर उसने 529 रन बना लिए. उन्होंने यह पारी ब्रायन मैकमिलन (103) के साथ खेली थी. अंत में उनकी टीम भारत से 282 रनों से जीत गई.
दक्षिण अफ्रीका के ही शॉन पोलाक
1997 के चार साल बाद दक्षिण अफ्रीका के ही एक अन्य ऑलराउंडर ने नौवें नंबर पर आकर क्लूजनर वाला कारनामा दोहरा दिया. हम बात कर रहे हैं तेज गेंदबाज शॉन पोलाक की. उन्होंने साल 2001 में सेंचुरियन टेस्ट में श्रीलंका के शतक ठोका था. उन्होंने तूफानी अंदाज में बैटिंग करते हुए 106 गेंदों में 111 रन ठोके थे, जिनमें 16 चौके और तीन छक्के शामिल थे. पोलाक ने आठवें विकेट के लिए नियमित बल्लेबाज नील मैकेंजी के साथ 150 रनों की साझेदारी करके टीम को सुरक्षित स्कोर तक पहुंचा दिया था, जबकि वह संघर्ष कर रही थी, क्योंकि उसके सात विकेट 204 रन पर ही गिर गए थे. अंत में उनकी टीम पारी और सात रनों से मैच जीत गई.
इंग्लैंड के स्टुअर्ट ब्रॉड
युवराज सिंह के हाथों टी-20 वर्ल्ड कप में एक ओवर में छह छक्के खाने वाले इंग्लैंड के तेज गेंदबाज स्टु्अर्ट ब्रॉड वर्तमान सीरीज में भी इंग्लैंड टीम का हिस्सा हैं. हालांकि फिलहाल हम बात उनके छह साल पहले के प्रदर्शन की कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने गेंद के साथ-साथ बल्ले से भी कमाल किया था. उन्होंने साल 2010 में क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लार्ड्स में पाकिस्तान के खिलाफ 169 रनों की बड़ी पारी खेली थी, जो नौवें नंबर किसी भी गेंदबाज का बल्ले से सबसे बड़ा स्कोर है. हालांकि ओवरऑल देखें, तो इस क्रम का सबसे बड़ा स्कोर न्यूजीलैंड के विकेटकीपर बल्लेबाज इयान स्मिथ का है. जब ब्रॉड बल्लेबाजी के लिए आए, तो इंग्लैंड टीम की हालत खस्ता थी और उसके 102 रन पर 7 विकेट गिर गए थे. फिर ब्रॉड ने जोनैथन ट्रॉट (184 रन) के साथ 300 से अधिक की साझेदारी की. अंत में इंग्लैंड ने पाक को पारी और 225 रन से हरा दिया और ऐसा केवल ब्रॉड की पारी की वजह से ही हो पाया, अन्यथा ट्रॉट क्या कर पाते.
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