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This Article is From Mar 03, 2017

INDvsAUS: बेंगलुरू में वापसी करनी है तो टीम इंडिया को इन 7 बातों पर देना होगा खास ध्‍यान..

INDvsAUS: बेंगलुरू में वापसी करनी है तो टीम इंडिया को इन 7 बातों पर देना होगा खास ध्‍यान..
टीम इंडिया के सामने बेंगलुरू टेस्‍ट में अच्‍छा प्रदर्शन करने की चुनौती है (फाइल फोटो)
पुणे टेस्‍ट मैच में टीम इंडिया को मिली हार एक तरह से आंखें खोल देने वाली है. चार टेस्‍ट की सीरीज में ऑस्‍ट्रेलिया टीम इस समय 1-0 की बढ़त पर है. ऐसे में बेंगलुरू में शनिवार से शुरू होने वाला दूसरा टेस्‍ट टीम इंडिया के लिए बेहद महत्‍वपूर्ण बन गया है. इस टेस्‍ट में किया गया बेहतर प्रदर्शन खिलाड़ि‍यों के मनोबल को सातवें आसमान पर पहुंचा सकता है और अगर टीम इस मैच को जीतने में सफल रही तो सीरीज 1-1 से बराबरी पर आ जाएगी.  ऐसे में रांची और धर्मशाला में भी होने वाले अगले मैचों में उसके पास बॉर्डर-गावस्‍कर ट्रॉफी जीतने का मौका होगा. वैसे विराट कोहली के नेतृत्‍व वाली टीम इंडिया ने पिछले एक साल में जिस तरह का प्रदर्शन किया है, उस लिहाज से उसमें 'बाउंस बैक' करने की जबर्दस्‍त क्षमता है. बेंगलुरू टेस्‍ट में अच्‍छे प्रदर्शन (जीत?) के लिए विराट ब्रिगेड को खेल के इन पहलुओं पर ध्‍यान देना होगा..

ओपनरों को देनी होगी ठोस शुरुआत
पहले विकेट के लिए बड़ी साझेदारी नहीं होना इस समय भारतीय टीम की बड़ी समस्‍या होती है. ओपनर बल्‍लेबाज यदि बड़ी साझेदारी करने में कामयाब होते हैं तो आगे के बल्‍लेबाज इस नींव के आधार पर बड़े स्‍कोर की इमारत खड़ी कर सकते हैं. दुर्भाग्‍य से चोट अथवा अन्‍य कारणों से पिछले एक साल में टीम इंडिया की ओपनिंग जोड़ी लगातार बदलती रही है. शिखर धवन, गौतम गंभीर, पार्थिव पटेल जैसे खिलाड़ी भी पारी की शुरुआत कर चुके हैं. बेंगलुरू में मुरली विजय और लोकेश राहुल की जोड़ी को टीम के लिए बड़ी साझेदारी करनी होगी ताकि आगे के बल्‍लेबाज स्‍कोर को ऊंचाई पर पहुंचा सकें और विपक्षी टीम पर दबाव बनाया जा सके.

जयंत यादव की बजाय करुण नायर को स्‍थान दें
पुणे टेस्‍ट में बल्‍लेबाजी भारत के लिए कमजोर कड़ी साबित हुई. बेंगलुरू में इस क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए तिहरा शतक बनाने वाले कर्नाटक के बल्‍लेबाज करुण नायर को प्‍लेइंग इलेवन में स्‍थान देना होगा. कोच अनिल कुंबले स्‍पष्‍ट कर चुके हैं कि अजिंक्‍य रहाणे निश्चित रूप से प्‍लेइंग इलेवन का हिस्‍सा होंगे, ऐसे में हरफनमौला जयंत यादव के स्‍थान पर करुण को जगह दी जा सकती है. तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा के स्‍थान पर भुवनेश्‍वर कुमार को भी स्‍थान दिया जा सकता है. पुणे में ईशांत अच्‍छा प्रदर्शन नहीं कर पाए थे. बेंगलुरू में गेंद को स्विंग कराने वाले भुवी को आजमाया जा सकता है.

किस्‍मत भी रहे साथ, जीतना होगा टॉस
भारतीय मैदानों पर टॉस की अहम भूमिका होती है क्‍योंकि शुरुआती दो या तीन दिन के बाद विकेट गेंदबाजों विशेषकर स्पिन गेंदबाजों के लिए मददगार होने लगता है.चौथी पारी में बल्‍लेबाजी करने वाली टीम को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता है. बेंगलुरू में हमें यह भी उम्‍मीद करनी होगी कि विराट कोहली टॉस जीतें. यदि वे इसमें सफल रहते हैं तो बल्‍लेबाजों को अच्‍छा प्रदर्शन करते हुए टीम को विशाल स्‍कोर तक पहुंचाना होगा ताकि गेंदबाज विपक्षी टीम पर दबाव बना सकें.

मध्‍य क्रम में कम से कम एक बल्‍लेबाज से चाहिए बड़ी पारी
पुणे टेस्‍ट में भारतीय मध्‍य क्रम उम्‍मीदों पर खरा नहीं उतर पाया था. बेंगलुरू टेस्‍ट में मध्‍य क्रम के बल्‍लेबाजों में कम से कम एक को बड़ी पारी खेलनी होगी. यदि दो बल्‍लेबाज ऐसा करने में सफल रहे फिर तो और भी अच्‍छा होगा. अजिंक्‍य रहाणे, विराट कोहली, चेतेश्‍वर पुजारा या फिर करुण नायर (मौका मिलने पर) में से किसी को शतकीय पारी खेलकर भारत को बड़े स्‍कोर तक पहुंचाना होगा. अजिंक्‍य रहाणे का बल्‍ला पिछले कुछ मैचों से खामोश है. उन्‍हें अपने बल्‍ले से आलोचकों का मुंह बंद करना होगा.

निचला क्रम और गेंदबाज भी करें अच्‍छा प्रदर्शन
न्‍यूजीलैंड और इंग्‍लैंड के खिलाफ सीरीज में अश्विन, रवींद्र जडेजा और जयंत यादव जैसे निचले क्रम के खिलाड़ि‍यों ने बल्‍ले से अच्‍छा योगदान दिया था. पुणे टेस्‍ट में तो दोनों पारियों में टीम इंडिया की बल्‍लेबाजी ताश के पत्‍तों की तरह ढह गई. निचले क्रम को बेंगलुरू में बल्‍ले से भी अच्‍छा प्रदर्शन करना होगा ताकि ऑस्‍ट्रेलिया को दबाव में लाया जा सके. गेंदबाज के रूप में उमेश यादव के अलावा अश्विन और जडेजा की स्पिन जोड़ी पर भी बड़ी जिम्‍मेदारी होगी.

DRS का करें चतुराई से उपयोग
इंग्‍लैंड के खिलाफ टेस्‍ट सीरीज में टीम इंडिया ने डिसीजन रिव्‍यू सिस्‍टम (DRS) को स्‍वीकार किया था. DRS मामले में टीम को प्रदर्शन अब तक खराब ही रहा है. अब तक सात टेस्‍ट में टीम इंडिया ने बैटिंग या बॉलिंग करते हुए 55 बार इस सिस्‍टम की मदद ली जिसमें से केवल 17 बार उसके पक्ष में फैसला हुआ. जाहिर है टीम इंडिया को DRS के उपयोग में ज्‍यादा चतुराई दिखानी होगी.

कैच छोड़ने की कमजोरी समय रहते दूर करें
पुणे टेस्‍ट में टीम इंडिया की खराब फील्डिंग भी हार का कारण बनी. मैच में टीम इंडिया की फील्डिंग अपेक्षा के अनुरूप नहीं रही. ऑस्‍ट्रेलिया की दूसरी पारी में शतक बनाने वाले स्‍टीव स्मिथ को भारतीय फील्‍डरों ने तीन जीवनदान दिए. ग्राउंड फील्डिंगे तो ठीक है लेकिन स्लिप पर फील्डिंग को कसने की जरूरत है. गेंदबाजों को भी नो बॉल फेंकने से बचना होगा. पुणे टेस्‍ट में जयंत यादव की नो बॉल पर डेविड वॉर्नर बोल्‍ड हो गए थे. सौभाग्‍य से वॉर्नर इसके बाद ज्‍यादा देर नहीं टिक पाए और उमेश यादव की गेंद पर बोल्‍ड हो गए. विपक्षी टीम के प्रमुख खिलाड़ी को ऐसा 'मौका' देना भविष्‍य में भारी पड़ सकता है.

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