टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
ज़िम्बाब्वे दौरे पर टीम इंडिया अपना पहला मैच खेल रही है। इस सीरीज़ में टीम इंडिया को युवा खिलाड़ियों का दमखम परखने का मौका मिल रहा है। वनडे मैचों की सीरीज़ शुरू हो गई है और सबकी नज़रें टीम इंडिया की युवा ब्रिगेड पर है। इस मैच से करुण नायर और यजुवेंद्र चहल का वनडे डेब्यू हो रहा है। पिछले 4 साल में तीसरी बार टीम इंडिया ज़िम्बाब्वे दौरा कर रही है।
लेकिन युवा खिलाड़ियों के लिए ये दौरा किसी दोधारी तलवार की तरह साबित होता है। अच्छे प्रदर्शन के बावजूद टीम में जगह पक्की होना तय नहीं, लेकिन खराब प्रदर्शन पर आलोचना का शिकार होना पड़ सकता है। टीम अगर ज़िम्बाब्वे का सफ़ाया भी कर देती है तो भी उसे सिर्फ़ 1 ही अंक मिलेगा और उसकी रैंकिंग पर कोई असर नहीं पड़ेगा। युवा खिलाड़ियों के लिए ये ज़रूर बड़ा मौक़ा है कि उन्हें टीम इंडिया की नुमाइंदगी का मौक़ा मिल रहा है। लेकिन वो खिलाड़ी जो पहले भी टीम इंडिया का हिस्सा रह चुके हैं वो मानते हैं कि विपक्षी टीम कोई भी हो अच्छे प्रदर्शन का कोई विकल्प नहीं है।
सबसे बड़ा इम्तिहान यहां कप्तान एमएस धोनी के लिए ही है। उन्होंने खुद कहा है कि अभी उन्होंने रिटायरमेंट के बारे में नहीं सोचा है। लेकिन आलोचक धोनी की हर पारी पर पैनी निगाहें रखते हैं। इसलिए हर सीरीज़ के बाद उनके भविष्य पर चर्चा होती ही रहेगी। ख़ास बात ये है कि माही के पास जितना अनुभव है उतना अनुभव पूरी टीम के पास नहीं है। इसलिए देखना दिलचस्प रहेगा कि ज़िम्बाब्वे की कमज़ोर चुनौती के सामने भारत के युवा खिलाड़ी हाथ में आये मौक़े का कितना फायदा उठाते हैं।
लेकिन युवा खिलाड़ियों के लिए ये दौरा किसी दोधारी तलवार की तरह साबित होता है। अच्छे प्रदर्शन के बावजूद टीम में जगह पक्की होना तय नहीं, लेकिन खराब प्रदर्शन पर आलोचना का शिकार होना पड़ सकता है। टीम अगर ज़िम्बाब्वे का सफ़ाया भी कर देती है तो भी उसे सिर्फ़ 1 ही अंक मिलेगा और उसकी रैंकिंग पर कोई असर नहीं पड़ेगा। युवा खिलाड़ियों के लिए ये ज़रूर बड़ा मौक़ा है कि उन्हें टीम इंडिया की नुमाइंदगी का मौक़ा मिल रहा है। लेकिन वो खिलाड़ी जो पहले भी टीम इंडिया का हिस्सा रह चुके हैं वो मानते हैं कि विपक्षी टीम कोई भी हो अच्छे प्रदर्शन का कोई विकल्प नहीं है।
सबसे बड़ा इम्तिहान यहां कप्तान एमएस धोनी के लिए ही है। उन्होंने खुद कहा है कि अभी उन्होंने रिटायरमेंट के बारे में नहीं सोचा है। लेकिन आलोचक धोनी की हर पारी पर पैनी निगाहें रखते हैं। इसलिए हर सीरीज़ के बाद उनके भविष्य पर चर्चा होती ही रहेगी। ख़ास बात ये है कि माही के पास जितना अनुभव है उतना अनुभव पूरी टीम के पास नहीं है। इसलिए देखना दिलचस्प रहेगा कि ज़िम्बाब्वे की कमज़ोर चुनौती के सामने भारत के युवा खिलाड़ी हाथ में आये मौक़े का कितना फायदा उठाते हैं।
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