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This Article is From Mar 26, 2015

वर्ल्डकप 2015 सेमीफाइनल : टीम इंडिया और ऑस्‍ट्रेलिया की भिड़ंत, 'फाइनल' से कम नहीं होगी ये जंग

सिडनी : वर्ल्‍ड कप जीतने से दो जीत दूर खड़ी भारतीय क्रिकेट टीम के अश्वमेधी अभियान में गुरुवार को सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के रूप में अब तक की सबसे कठिन चुनौती होगी और उसे हर विभाग में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा।

छह सप्ताह पहले ही दोनों टीमें टेस्ट और त्रिकोणीय वनडे श्रृंखला में एक दूसरे से खेल चुकी हैं जिसमें माइकल क्लार्क की टीम का पलड़ा भारी रहा था।

क्रिकेट के इतिहास में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच एशेज प्रतिद्वंद्विता और भारत-पाकिस्तान मुकाबलों के अलावा पिछले कुछ साल में भारत और ऑस्ट्रेलिया के मैच भी कम प्रतिस्पर्धी नहीं हुए हैं।

यह मुकाबला डेविड वार्नर की बल्लेबाजी और मोहम्मद शमी की गेंदबाजी का भी होगा, मिशेल स्टार्क की कहर बरपाती गेंदों और रनों के रूप में शरारे उगलते विराट कोहली के बल्ले का भी होगा, आर अश्विन की कैरम बाल और ग्लेन मैक्सवेल की आक्रामक बल्लेबाजी का भी होगा।

सभी की नजरें कोहली पर होंगी जो पहले मैच में पाकिस्तान के खिलाफ शतक बनाने के बाद से एक अर्धशतक भी नहीं बना सके हैं। कोहली हालांकि दबाव में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में माहिर हैं और उनके पास यह सबसे बड़ा मौका है।

सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर दोनों टीमें गुरुवार को एक दूसरे के आमने सामने होंगी तो यह मुकाबला कमोबेश बराबरी का होगा जिसमें पिछले प्रदर्शन मायने नहीं रखेंगे।

मौजूदा फॉर्म के आधार पर देखें तो भारत ने टूर्नामेंट में लगातार सात जीत दर्ज की है लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दोनों प्रारूपों में वह पिछले पांच मैचों  (दो टेस्ट, दो वनडे और एक अभ्‍यास मैच) में जीत दर्ज नहीं कर सका है जिसमें विश्व कप का एक अभ्‍यास मैच शामिल है।

ऑस्ट्रेलिया दौरे के उस शर्मनाक प्रदर्शन का गम भारत ने वर्ल्‍ड कप में शानदार खेल दिखाकर दूर कर दिया। वर्ल्‍ड कप से पहले दिशाहीन लग रही टीम इंडिया का अचानक मानो कायाकल्प हो गया और उसके प्रदर्शन ने विरोधियों को भी चकित कर डाला। आम तौर पर भारत की कमजोर कड़ी मानी जाने वाली गेंदबाजी उसकी ताकत साबित हुई है। मोहम्मद शमी (17 विकेट), उमेश यादव (14) और मोहित शर्मा (11) मिलकर 70 में से 42 विकेट ले चुके हैं। भारतीय गेंदबाजों ने सात मैचों में पूरे 70 विकेट चटकाये हैं।

ऑस्ट्रेलिया के लिये सबसे बड़ी चुनौती सिडनी की पिच होगी जो उसे रास नहीं आती। इस धीमी पिच पर दक्षिण अफ्रीका ने क्वार्टर फाइनल में श्रीलंका को हराया था जिसमें इमरान ताहिर ने चार और जेपी डुमिनी ने तीन विकेट लिये थे।

ऐसे में भारत के अश्विन और रविंद्र जडेजा उन पर भारी पड़ सकते हैं। अश्विन 12 विकेट ले चुके हैं और अपनी गेंदों से ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के लिये परेशानी का सबब बन सकते हैं। दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया को टीम में एक अच्छे स्पिनर की कमी खलेगी। उसके पास धीमे गेंदबाज के रूप में सिर्फ स्टीवन स्मिथ हैं।

इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वान समेत अधिकांश विशेषज्ञों की राय है कि टॉस जीतने वाली टीम को पहले बल्लेबाजी चुननी चाहिये।

भारतीय बल्लेबाजों ने अभी तक उम्दा प्रदर्शन किया है। शिखर धवन 367 रन बना चुके हैं लेकिन उनके लिये यह पिच आसान नहीं होगी क्योंकि ऑफ स्टम्प पर पड़ती उछालभरी गेंदों ने उन्हें अक्सर परेशान किया है। स्टार्क और जॉनसन उनकी इस कमजोरी का पूरा फायदा उठाना चाहेंगे।

रोहित शर्मा का बल्ला क्वार्टर फाइनल तक खोमोश था लेकिन बांग्लादेश के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में उन्होंने 137 रन बनाए। ऑस्ट्रेलिया को याद होगा कि एमसीजी पर त्रिकोणीय श्रृंखला के पहले मैच में रोहित ने उनके खिलाफ 138 रन बनाए थे जिसके बाद वह हैमस्ट्रिंग चोट का शिकार हो गए थे। ऑस्ट्रेलिया के लिये ग्लेन मैक्सवेल मैच विनर साबित हो सकते हैं जिन्हें आईपीएल की वजह से भारतीय गेंदबाजों के खिलाफ खेलने का खासा अनुभव है।

मिशेल स्टार्क गेंदबाजी में और डेविड वार्नर बल्लेबाजी में खतरनाक साबित हो सकते हैं जबकि शेन वाटसन भी फार्म में लौट चुके हैं।

टूर्नामेंट के अब सिर्फ दो मैच बाकी हैं और ऐसे में दोनों कप्तानों के लिये भी बहुत कुछ दाव पर लगा है। माइकल क्लार्क वनडे टीम में उनकी उपयोगिता को लेकर सवाल उठा रहे आलोचकों को खामोश कर सकते हैं या महेंद्र सिंह धोनी लगातार दो वर्ल्‍ड कप जिताकर भारतीय क्रिकेट के इतिहास में अपना नाम अमर कर सकते हैं।

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