
ऑस्ट्रेलियाई टीम ने मेलबर्न क्रिकेट मैदान (एमसीजी) पर जारी बॉक्सिंग डे टेस्ट में पहले दिन शुक्रवार का खेल खत्म होने तक अपनी पहली पारी में पांच विकेट पर 259 रन बना लिए। कप्तान स्टीवन स्मिथ (नाबाद 72), क्रिस रोजर्स (57) और शेन वॉटसन (52) के रूप में तीन विपक्षी बल्लेबाजों के अर्धशतक के बावजूद भारतीय टीम हालांकि शक्ति का संतुलन बनाए रखने में सफल रही।
कप्तान स्मिथ के साथ विकेटकीपर बल्लेबाज ब्रैड हेडिन 23 रन बनाकर नाबाद हैं। दोनों के बीच छठे विकेट के लिए 43 रनों की साझेदारी हुई है। स्मिथ ने अपनी 158 गेंदों की पारी में चार चौके और एक छक्का लगाया है जबकि हेडिन ने 53 गेंदों पर एक चौका और एक छक्का लगाया है। भारत की ओर से मोहम्मद समी और उमेश यादव ने दो-दो विकेट लिए हैं। रविचंद्रन अश्विन ने भी एक विकेट लिया है। पहले दिन पूरे 90 ओवरों का खेल हुआ और इसे देखने के लिए आधिकारिक तौर पर 69,993 लोग एमसीजी पहुंचे।
पहला सत्र टॉस जीतकर बल्लेबाजी करने उतरी आस्ट्रेलियाई टीम के नाम रहा था क्योंकि इसमें उसने डेविड वार्नर का विकेट गंवाने के बाद 92 रन बनाए। दूसरे सत्र में हालांकि भारत ने वापसी की और वॉटसन तथा रोजर्स को आउट कर संतुलन बनाया। दूसरे सत्र में ऑस्ट्रेलिया ने 82 रनों पर दो विकेट गंवाए।
तीसरे सत्र में भारत ने दो विकेट हासिल किए। इस सत्र में ऑस्ट्रेलिया ने दो विकेट गंवाकर 85 रन बनाए। भारत के लिए अच्छी बात यह रही कि उसने दूसरे और तीसरे सत्र में वॉटसन, रोजर्स और शॉन मार्श जैसे पैर जमा चुके बल्लेबाजों को आउट करके रन रेट पर लगाम लगाया। यही कारण है कि ऑस्ट्रेलिया पहले सत्र वाली स्थिति नहीं बनाए रख सका।
पहले सत्र में ऑस्ट्रेलिया ने सवा तीन के औसत से रन बटोरे थे, लेकिन दूसरे सत्र में भारतीय गेंदबाजों ने कसी हुई गेंदबाजी की और सिर्फ पौने तीन के औसत से रन दिए। अब तक इस सीरीज में भारतीय गेंदबाजों का सबसे किफायती प्रदर्शन है। चायकाल तक आस्ट्रेलिया का रन रेट घटकर 2.94 रह गया और फिर अंतिम सत्र की समाप्ति तक यह 2.87 पर आकर ठहर गया।
इससे पहले, तेज गेंदबाज यादव ने ऑस्ट्रेलिया का खाता खुलने से पहले ही भारत का खाता खोलते हुए बेहतरीन फार्म में चल रहे वार्नर को चलता किया था। एडिलेड टेस्ट की दोनों पारियों में शतक लगाने वाले वार्नर खाता तक नहीं खोल सके और स्लिप में शिखर धवन द्वारा बेहतरीन तरीके से लपके गए।
इसके बाद हालांकि अगले दो घंटे भारत के लिए अच्छे नहीं रहे। वॉटसन और रोजर्स ने संयम के साथ खेलते हुए न सिर्फ अपनी टीम को शुरुआती नुकसान से उबारा बल्कि उसे अच्छी स्थिति में भी पहुंचाने का काम किया।
वॉटसन को हालांकि भोजनकाल से ठीक पहले मोहम्मद समी की गेंद पर एक जीवनदान मिला। बीती चार पारियों में बल्ले के साथ नाकाम रहे वॉटसन ने भोजनकाल के बाद अपना अर्धशतक पूरा किया। यह इस सीरीज में उनका पहला अर्धशतक है। वॉटसन के अलावा भोजनकाल के ठीक बाद रोजर्स ने भी अर्धशतक पूरा किया।
रोजर्स 115 के कुल योग पर मोहम्मद समी की गेंद पर विकेट के पीछे कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के हाथों लपके गए। ब्रिस्बेन टेस्ट की दोनों पारियों में अर्धशतक लगाने वाले रोजर्स ने 126 गेंदों का सामना कर पांच चौके लगाए।
रोजर्स का विकेट ऑस्ट्रेलियाई पारी के 37वें ओवर की दूसरी गेंद पर गिरा। अगले ही ओवर में रविचंद्रन अश्विन ने वॉटसन को पगबाघा आउट करके आस्ट्रेलिया को तीसरा झटका दिया। वॉटसन ने 89 गेंदों का सामना कर चार चौके लगाए। वॉटसन ने टेस्ट क्रिकेट में सबसे अधिक 22 बार पगबाधा आउट होने का रिकार्ड कायम किया।
चायकाल तक स्मिथ और शॉन मार्श (32) नाबाद लौटे थे। चायकाल के बाद आस्ट्रेलिया के कुल योग में 10 रन ही जुड़े थे कि समी ने मार्श को विकेट के पीछे कैच कराया। मार्श ने 83 गेंदों पर चार चौके और एक छक्का लगाया। मार्श ने कप्तान के साथ चौथे विकेट के लिए 69 रन जोड़े।
मार्श का स्थान लेने आए अपना पहला टेस्ट खेल रहे जोए बर्न्स। बर्न्स ने कुछ अच्छे शॉट्स लगाए लेकिन कप्तान के साथ 32 रनों की साझेदारी के बाद यादव की गेंद पर धौनी के हाथों लपके गए। बर्न्स ने 27 गेंदों पर दो चौके लगाए।
मौजूदा सीरीज में 0-2 से पीछे चल रही भारतीय टीम ने इस मैच के लिए दो बदलाव किए। रोहित शर्मा के स्थान पर कर्नाटक के बल्लेबाज लोकेश राहुल को टेस्ट पदार्पण करने का मौका मिला जबकि वरुण एरॉन के स्थान पर मोहम्मद समी टीम ने वापसी की। समी एडिलेड टेस्ट में खेले थे।
मेजबान टीम दो बदलाव के साथ खेल रही है। जोए बर्न्स ने पर्दापण किया। उनके लिए छठे क्रम पर बल्लेबाजी तय की गई है। साथ ही चोटिल तेज गेंदबाज मिशेल स्टार्क के स्थान पर रायन हैरिस की वापसी हुई है।
ऑस्ट्रेलिया में क्रिकेट का गढ़ माने जाने वाले एमसीजी पर भारत ने 1948 के बाद से कुल 11 टेस्ट खेले हैं। इनमें से आठ में उसे हार मिली है जबकि दो में जीत हासिल हुई है। एक मैच ड्रॉ रहा है। भारत बीते 33 साल से इस मैदान पर कोई टेस्ट नहीं जीत सका है। इस मैदान पर भारत अंतिम बार साल 1981 में जीता है।
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