विंडीज के खिलाफ पहले वनडे में जीत दर्ज करने और तीन मैचों की सीरीज में 1-0 की बढ़त लेने के बाद जहां चर्चे मैन ऑफ द मैच रवि बिश्नोई और सूर्यकुमार यादव सहित वेंकटेश अय्यर हैं, तो अब चर्चे पूर्व कप्तान विराट कोहली को लेकर भी होने शुरू हो गए हैं. और इस चर्चा का सुर लगाया है रणजी ट्रॉफी में विराट के सीनियर रहे और दिग्गज कमेंटेटर आकाश चोपड़ा ने. भारत ईडेन में बुधवार को पहले मुकाबले में छह विकेट से जीता था और कोहली इस मैच में 17 रन बनाकर ऐसे आउट हुए, जो उनके स्तर का तो नहीं था, यो जो आउट होना बहुत ही कम विराट के साथ देखा गया. चोपड़ा ने अपने यू-ट्यूब चैनल पर इसी प्वाइंट पर कहा कि विराट ने एक बार फिर से रन नहीं बनाए. और जिस तरह वह आउट हो रहे हैं, वह विराट का अंदाज नहीं है. हम लोग विराट को लेकर बहुत ही कम बातचीत कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम सब इन दिनों विराट के बारे में बात नहीं कर रहे हैं, जैसा कि पहले होता था. उन्हें सुर्खियां नहीं मिल रही हैं, जो मुझे आहत कर रहा है. और जिसे कोहली भी आहत हो रहे होंगे..
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पूर्व ओपनर ने कहा कि एक अच्छे खिलाड़ी की पहचान यह है कि उसका नाम किसी भी स्कोरकार्ड पर शानदार तरीके से लिखा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि विराट की यह कहानी आज भी जारी है कि जब विराट 40 रन बनाकर भी आउट होते हैं, तो यह विफलता माना जाता है. वैसे सीरीज की शुरुआत से पहले विराट को नए कप्तान रोहित और बैटिंग कोच विक्रम राठौर का खासा समर्थन मिला था. प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी रोहित ने विराट की विफलता को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि अगर मीडिया बातें बनाना बंद कर देगा, तो अपने आप सब सही हो जाएगा.
लेकिन चोपड़ा ने विराट के इन दिनों जोखिम लेने पर रोशनी डालते हुए कहा कि विराट के साथ पहले यह बात नहीं थी. लेकिन कप्तानी हटने के बाद से उन्होंने हालिया समय में ज्यादा जोखिम लेना शुरू कर दिया है. और कोहली की यह एप्रोच चिंता का सबब है. आकाश ने कहा कि अगर विराट ब्रह्मांड के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज हैं, तो इसके पीछे क्रीज पर अनुशासन का बड़ा अहम रोल रहा है. उन्होंने कहा कि अगर विराट का शॉट छक्के में भी तब्दील हो जाता, तो क्या होता? कुछ भी नहीं होता क्योंकि छक्का होने पर भी आप मैच नहीं जीतते.
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चोपड़ा ने कहा कि विराट पहले कभी भी इस अंदाज में बैटिंग नहीं करते थे. अगर छक्के की जरूरत नहीं होती थी, तो वह बड़ा शॉट नहीं खेलते थे. वह सिंगल-डबल्स और जमीनी बाउंड्रियों पर ज्यादा ध्यान देते थे. वह जोखिम लेने के विपरीत बल्लेबाजी करते थे, लेकिन वह अब अपनी चिर-परिचित शैली के उलट बैटिंग कर रहे हैं और यह थोड़ी चिंता की बात है.
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