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Ind vs Nz Final: गौतम के इन 3 बड़े "गंभीर" फैसलों ने कर दिया कमाल, नहीं की चीफ सेलेक्टर की भी परवाह

Gautam Gambhir's big decision: गौतम को कुछ फैसले को लेकर बहुत खरी-खोटी सुननी पड़ी. अगरकर से भी मतभेद की खबरें आईं लेकिन उन्होंने आखिर तक अपने फैसले नहीं बदले

Ind vs Nz Final: गौतम के इन 3 बड़े "गंभीर" फैसलों ने कर दिया कमाल, नहीं की चीफ सेलेक्टर की भी परवाह
ICC Champions Trophy 2025:
नई दिल्ली:

रविवार को टीम इंडिया ने न्यूजीलैंड (Ind vs Nz Final) को दुबई के दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में चार विकेट से हराकर करीब 12 साल बाद  चैंपियंस ट्रॉफी जीतने का गौरव हासिल किया. निश्चित तौर पर इस जीत में कप्तान रोहित शर्मा (Rohit Sharma), पूर्व कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli), वरुण चक्रवर्ती सहित कई और खिलाड़ियों का योगदान रहा, लेकिन इस जीत में हेड कोच गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) की रणनीति, सकारात्मक जिद या कहें कुछ बड़े फैसलों का भी योगदान रहा, जो टूर्नामेंट की शुरुआत से आखिर तक बने रहे. इसको लेकर गंभीर की चौतरफा आलोचना हुई और यहां तक  कि चीफ सेलेक्टर अजित अगरकर से भी मतभेद की खबरें आई, लेकिन गंभीर अपने फैसलों से जड़ रहे. और आखिर में गंभीर के3 बड़े फैसलों ने टीम इंडिया को चैंपियन बनाने में बहुत ही अहम भूमिका निभाई. चलिए बारी-बारी से इन तीनों फैसलों के बारे में जान लें


1. अक्षर पटेल को नंबर पांच पर खिलाना

गंभीर ने लीग राउंड में बांग्लादेश के खिलाफ पहले ही मुकाबले में जब अक्षर पटेल को नंबर पांच पर बैटिंग के लिए उतारा, तो बहुत लोगों को यह फैसला पसंद नहीं आया. कई पंडितों ने सवाल उठाया कि केएल राहुल से पहले अक्षर को क्यों बैटिंग कराई जा रही है, लेकिन गौतम ने इस आलोचना को दर किनार रखते हुए फाइनल तक अक्षर को इसी नंबर पर खिलाना जारी रखा. नतीजा यह रहा कि अक्षर ने पांच मैचों में 27.25 के औसत से 109 रन बनाए. हालांकि, यह प्रदर्शन असाधारण तो नहीं रहा, लेकिन हालात को देखते हुए यह कई मैचों में बहुत ही उपयोगी  साबित हुआ. 

2. पंत पर केएल को वरीयता

यह ऐसा फैसला रहा, जिस पर आखिर तक चर्चा होती रही. और एक तरह से गौतम के चीफ सेलेक्टर से मतभेद सामने आ गए. चयन समिति ने ऋषभ पंत को पहली पसंद के विकेटकीपर के रूप में टीम में चुना था, लेकिन गौतम गंभीर ने केएल राहुल को इलेवन में खिलाया. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में जब केएल राहुल ने दो कैच टपकाए, तो केएल बहुतों की आंखों में चुभ रहे थे. बहरहार, गंभीर ने आखिर तक अपनी रणनीति नहीं बदली. ऋषभ पंत पूरे टूर्नामेंट में इलेवन से बाहर बैठे रहे. यह गौतम का एक और बड़ा फैसला रहा, जिसने खिताब जीतने में बड़ा रोल निभाया. 

3. वरुण चक्रवर्ती पर बड़ा दांव

सभी जानते हैं कि जब भारत की मूल टीम घोषित हुई थी,तो उसमें वरुण चक्रवर्ती नहीं चुने गए थे. जब आईसीसी की डेड लाइन से पहले टीम में बदलाव करने का विकल्प मिला, तो तीसरे ओपनर यशस्वी जायसवाल को बाहर कर वरुण चक्रवर्ती को टीम में जगह दी गई. एक वर्ग को यह भी फैसला पसंद नहीं आया था, लेकिन आखिर में टूर्नामेंट खत्म होते-होते यही फैसला गंभीर का ट्रंपकार्ड बन गया. वरुण चैंपियंस ट्रॉफी में न्यूजीलैंड के मैट हेनरी के बाद दूसरे सबसे सफल गेंदबाज साबित हुए. हेनरी ने दस विकेट लिए, तो वहीं वरुण ने नौ विकेट चटकाकर साबित कर दिया कि गौतम की नजर कितनी गंभीर थी. 

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