
आशीष नेहरा ने चार साल बाद टीम इंडिया में वापसी की है (फोटो : AFP)
नई दिल्ली:
ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए शनिवार को चुनी गई टीम इंडिया में वैसे तो कई नई बाते हैं, लेकिन एक चयन आपके लिए बेहद चौंकाने वाला हो सकता है। हो भी क्यों न, इस उम्रदराज खिलाड़ी का चयन ऐसे फॉर्मेट (टी-20) की टीम में हुआ है, जिसे आमतौर पर युवाओं का खेल माना जाता है, क्योंकि क्रिकेट के इस फॉर्मेट में सबकुछ फटाफट होता है और इसमें अत्यधिक चपलता दिखानी होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि एक गलती से भी मैच पलभर में विरोधी टीम के पक्ष में चला जाता है। यहां हम टीम इंडिया की टी-20 टीम में चुने गए बाएं हाथ के तेज गेंदबाज 36 साल के आशीष नेहरा की बात कर रहे हैं।
इस उम्र में संन्यास के बारे में सोचते हैं खिलाड़ी
अप्रैल, 2016 में 37 साल के होने जा रहे आशीष नेहरा की उम्र तक आते-आते अधिकांश खिलाड़ी संन्यास के बारे में सोचने लगते हैं या संन्यास ले लेते हैं, क्योंकि उनके रिफ्लेक्सेस कमजोर होने लगते हैं और वे आउट ऑफ फॉर्म हो जाते हैं। खासतौर से तेज गेंदबाजों के लिए तो यह और भी मुश्किल हो जाता है, लेकिन नेहरा ने पॉजिटिव एप्रोच अपनाई। उन्होंने हौसला बनाए रखा और अपने शानदार प्रदर्शन से चयनकर्ताओं को उन्हें टीम में रखने पर मजबूर कर दिया।
आईपीएल में जबर्दस्त प्रदर्शन
आईपीएल 2015 में आशीष नेहरा चेन्नई सुपर किंग्स की ओर से उतरे। कप्तान एमएस धोनी ने भी नेहरा पर भरोसा किया और उनके पुराने प्रदर्शन और काबिलियत के आधार उन्हें तेज गेंदबाजी की कमान सौंप दी। फिर क्या था उन्होंने पूरे लीग के दौरान 22 विकेट झटके। उन्हें तीन बार 'मैन ऑफ द मैच' का खिताब भी मिला। उन्होंने न केवल नई बॉल से कमाल किया, बल्कि डेथ ओवर्स में भी बल्लेबाजों को जमकर परेशान किया और उन्हें खुलकर नहीं खेलने दिया। आईपीएल 2015 में वे सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाजों की सूची में चौथे नंबर पर रहे। उनके आईपीएल रिकॉर्ड पर नजर डालें, तो उन्होंने 74 मैच में 84 विकेट लिए हैं।
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चोट से रहे परेशान, फिर भी हार नहीं मानी
नेहरा का प्रदर्शन हमेशा ही अच्छा रहा है। वे ज्यादातर चोट की वजह से बाहर हुए हैं और फिर किसी अन्य ने उनकी जगह ले ली। उनकी कमर, एंकल, अंगुली, हाथ, पसलियों सभी जगह चोट लग चुकी है। उन्होंने अपना अंतिम वनडे 2011 वर्ल्ड कप के सेमाफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ मोहाली में खेला था और उसमें कमाल की गेंदबाजी की थी। उस अतिमहत्वपूर्ण मैच में उन्होंने 10 ओवर में 33 रन देकर 2 विकेट लिए थे और टीम इंडिया को फाइनल में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी। हालांकि इस दौरान वे चोटिल हो गए और मुंबई में हुए फाइनल में नहीं खेल पाए। इसके बाद उनकी वापसी कठिन हो गई। वे इंतजार करते रहे, लेकिन चयनकर्ताओं ने उन पर ध्यान नहीं दिया। फिर भी नेहरा ने सोच को पॉजिटिव रखा और कोशिश जारी रखी। 2011 के बाद से चयनकर्ताओं ने नेहरा को छोड़कर वनडे और टी-20 में लगभग 19 गेंदबाजों को आजमाया। नेहरा ने कुछ मौकों पर कहा भी कि पता नहीं क्यों चयनकर्ता उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं, जबकि अन्य गेंदबाजों की तुलना में उनका रिकॉर्ड बेहतर है।
रिकॉर्ड भी समर्थन में- जहीर और भज्जी भी पीछे रहे
आशीष नेहरा के बेहतर रिकॉर्ड के दावे की पुष्टि के लिए हमने उनके रिकॉरड पर नजर दौड़ाई, तो पता चला कि जून 2009 से मार्च 2011 तक उन्होंने 48 वनडे खेले और 65 विकेट झटके, जिसमें उनका औसत 32.64 रहा और इकोनॉमी रेट 5.85 का था, जो आधुनिक वनडे के हिसाब से काफी बेहतर है। इंटरनेशनल क्रिकेट के अन्य खिलाड़ियों की तुलना में उपरोक्त अवधि के दौरान केवल बांग्लादेश के शाकिब अल हसन ही उनसे अधिक 69 विकेट ले पाए थे। उस समय के टीम इंडिया के बेहतरीन गेंदबाज हरभजन सिंह 47, तो जहीर खान 46 विकेट पर ही थे। ऐसे में नेहरा इन सबसे बेहतर कर रहे थे, फिर भी 4 साल बाद अब जाकर चयनकर्ताओं का दिल जीत पाए।
आशीष नेहरा ने वापसी करके युवाओं को संदेश दिया है कि यदि आपमें लगन हो, हौसला हो तो उम्र आपके प्रदर्शन के आड़े नहीं आ सकती। बस हमें धैर्य के साथ कोशिश करते रहना चाहिए।
इस उम्र में संन्यास के बारे में सोचते हैं खिलाड़ी
अप्रैल, 2016 में 37 साल के होने जा रहे आशीष नेहरा की उम्र तक आते-आते अधिकांश खिलाड़ी संन्यास के बारे में सोचने लगते हैं या संन्यास ले लेते हैं, क्योंकि उनके रिफ्लेक्सेस कमजोर होने लगते हैं और वे आउट ऑफ फॉर्म हो जाते हैं। खासतौर से तेज गेंदबाजों के लिए तो यह और भी मुश्किल हो जाता है, लेकिन नेहरा ने पॉजिटिव एप्रोच अपनाई। उन्होंने हौसला बनाए रखा और अपने शानदार प्रदर्शन से चयनकर्ताओं को उन्हें टीम में रखने पर मजबूर कर दिया।
आईपीएल में जबर्दस्त प्रदर्शन
आईपीएल 2015 में आशीष नेहरा चेन्नई सुपर किंग्स की ओर से उतरे। कप्तान एमएस धोनी ने भी नेहरा पर भरोसा किया और उनके पुराने प्रदर्शन और काबिलियत के आधार उन्हें तेज गेंदबाजी की कमान सौंप दी। फिर क्या था उन्होंने पूरे लीग के दौरान 22 विकेट झटके। उन्हें तीन बार 'मैन ऑफ द मैच' का खिताब भी मिला। उन्होंने न केवल नई बॉल से कमाल किया, बल्कि डेथ ओवर्स में भी बल्लेबाजों को जमकर परेशान किया और उन्हें खुलकर नहीं खेलने दिया। आईपीएल 2015 में वे सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाजों की सूची में चौथे नंबर पर रहे। उनके आईपीएल रिकॉर्ड पर नजर डालें, तो उन्होंने 74 मैच में 84 विकेट लिए हैं।
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36 साल के आशीष नेहरा ने आईपीएल 2015 में जबर्दस्त प्रदर्शन किया था। वे हर मैच में जोश से लबरेज नजर आए (फाइल फोटो: BCCI)
चोट से रहे परेशान, फिर भी हार नहीं मानी
नेहरा का प्रदर्शन हमेशा ही अच्छा रहा है। वे ज्यादातर चोट की वजह से बाहर हुए हैं और फिर किसी अन्य ने उनकी जगह ले ली। उनकी कमर, एंकल, अंगुली, हाथ, पसलियों सभी जगह चोट लग चुकी है। उन्होंने अपना अंतिम वनडे 2011 वर्ल्ड कप के सेमाफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ मोहाली में खेला था और उसमें कमाल की गेंदबाजी की थी। उस अतिमहत्वपूर्ण मैच में उन्होंने 10 ओवर में 33 रन देकर 2 विकेट लिए थे और टीम इंडिया को फाइनल में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी। हालांकि इस दौरान वे चोटिल हो गए और मुंबई में हुए फाइनल में नहीं खेल पाए। इसके बाद उनकी वापसी कठिन हो गई। वे इंतजार करते रहे, लेकिन चयनकर्ताओं ने उन पर ध्यान नहीं दिया। फिर भी नेहरा ने सोच को पॉजिटिव रखा और कोशिश जारी रखी। 2011 के बाद से चयनकर्ताओं ने नेहरा को छोड़कर वनडे और टी-20 में लगभग 19 गेंदबाजों को आजमाया। नेहरा ने कुछ मौकों पर कहा भी कि पता नहीं क्यों चयनकर्ता उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं, जबकि अन्य गेंदबाजों की तुलना में उनका रिकॉर्ड बेहतर है।
रिकॉर्ड भी समर्थन में- जहीर और भज्जी भी पीछे रहे
आशीष नेहरा के बेहतर रिकॉर्ड के दावे की पुष्टि के लिए हमने उनके रिकॉरड पर नजर दौड़ाई, तो पता चला कि जून 2009 से मार्च 2011 तक उन्होंने 48 वनडे खेले और 65 विकेट झटके, जिसमें उनका औसत 32.64 रहा और इकोनॉमी रेट 5.85 का था, जो आधुनिक वनडे के हिसाब से काफी बेहतर है। इंटरनेशनल क्रिकेट के अन्य खिलाड़ियों की तुलना में उपरोक्त अवधि के दौरान केवल बांग्लादेश के शाकिब अल हसन ही उनसे अधिक 69 विकेट ले पाए थे। उस समय के टीम इंडिया के बेहतरीन गेंदबाज हरभजन सिंह 47, तो जहीर खान 46 विकेट पर ही थे। ऐसे में नेहरा इन सबसे बेहतर कर रहे थे, फिर भी 4 साल बाद अब जाकर चयनकर्ताओं का दिल जीत पाए।
आशीष नेहरा ने वापसी करके युवाओं को संदेश दिया है कि यदि आपमें लगन हो, हौसला हो तो उम्र आपके प्रदर्शन के आड़े नहीं आ सकती। बस हमें धैर्य के साथ कोशिश करते रहना चाहिए।
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