वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर का फाइल फोटो
नई दिल्ली:
टीम इंडिया में हरभजन सिंह की वापसी हो गई है। वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर या फिर युवराज सिंह की वापसी क्यों नहीं हुई? हरभजन सिंह के चुनाव पर बीसीसीआई के सचिव अनुराग ठाकुर ने कहा कि कप्तान विराट कोहली ने भज्जी को अपनी टीम में शामिल करने की सिफ़ारिश की थी।
वहीं वनडे टीम में युवराज सिंह को शामिल करने के लिए कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने बीसीसीआई से कोई गुज़ारिश नहीं की। हरभजन सिंह की वापसी पर कई जानकारों ने सवाल उठाए हैं। ये सच है कि आईपीएल में भज्जी का प्रदर्शन अच्छा रहा है लेकिन रणजी ट्रॉफ़ी में उनका प्रदर्शन कुछ ख़ास नहीं रहा है।
पिछले दो साल से टेस्ट टीम से बाहर रहे हरभजन ने 2014-15 रणजी सीज़न के 3 मैचों में 87.4 ओवर डालते हुए 255 रन दिए और सिर्फ़ 6 विकेट लिए। हालांकि 2013-14 सीज़न के 5 मैच में उन्होंने 22 विकेट ज़रूर लिए हैं। वीरेंद्र सहवाग ने भी अपना आख़िरी टेस्ट 2013 में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ खेला था लेकिन उनकी वापसी पर अब भी सवाल बरक़रार है।
सहवाग कई बार इशारा कर चुके हैं कि वो टीम में वापसी करना चाहते हैं लेकिन उनके बल्ले से रन नहीं निकल रहे हैं। गौतम गंभीर को इंग्लैंड जैसे मुश्किल दौरे पर मौक़ा दिया गया जहां दिल्ली का ये खिलाड़ी बाक़ी बल्लेबाज़ों की तरह रन बनाने के लिए संघर्ष करता दिखा।
घरेलू मैदान पर गंभीर ने रन बनाए लेकिन टीम में उनकी वापसी नहीं हुई। युवराज सिंह के साथ भी कभी हां कभी ना का खेल चल रहा है। युवी ने रणजी में अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन वर्ल्ड कप में उनकी वापसी नहीं हुई।
बांग्लादेश दौरे के लिए टीम चुनने से पहले काफ़ी अफ़वाहें उड़ीं कि बीसीसीआई सहवाग, गंभीर, युवराज, हरभजन और ज़हीर ख़ान को फ़ेयरवेल सीरीज़ के लिए टीम में चुन सकती है। बुधवार को टीम के चयन से इस पर विराम ज़रूर लग गया हो लेकिन कई सवाल ज़रूर सामने आ गए हैं। वैसे आने वाले साल में टीम इंडिया का कैलेंडर भरा हुआ है।
टीम अगले महीने बांग्लादेश के दौरे पर जा रही है उसके बाद टीम का ज़िंबाब्वे दौरा जुलाई में होगा। अगस्त में भारत और श्रीलंका के बीच तीन टेस्ट की सीरीज़ खेली जाएगी। सितंबर में दक्षिण अफ़्रीका की टीम भारत आएगी।
इन सब सीरीज़ के बाद दिसंबर में भारत और पाकिस्तान के बीच सीरीज़ करवाने के लिए पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की कोशिश जारी है। अगर इन सभी सीरीज़ पर गौर करें तो अफ़्रीकी टीम को छोड़कर कोई भी सीरीज़ बराबरी की दिखाई नहीं देती।
ऐसे में उम्मीद है प्रदर्शन को चयन का पैमाना नहीं मानते हुए बीसीसीआई ने जो टीम चुनी है वो आगे भी देखने को मिलती रहेगी। और सीनियर खिलाड़ियों को इज़्ज़त से क्रिकेट को अलविदा कहने का मौक़ा मिलेगा।
वहीं वनडे टीम में युवराज सिंह को शामिल करने के लिए कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने बीसीसीआई से कोई गुज़ारिश नहीं की। हरभजन सिंह की वापसी पर कई जानकारों ने सवाल उठाए हैं। ये सच है कि आईपीएल में भज्जी का प्रदर्शन अच्छा रहा है लेकिन रणजी ट्रॉफ़ी में उनका प्रदर्शन कुछ ख़ास नहीं रहा है।
पिछले दो साल से टेस्ट टीम से बाहर रहे हरभजन ने 2014-15 रणजी सीज़न के 3 मैचों में 87.4 ओवर डालते हुए 255 रन दिए और सिर्फ़ 6 विकेट लिए। हालांकि 2013-14 सीज़न के 5 मैच में उन्होंने 22 विकेट ज़रूर लिए हैं। वीरेंद्र सहवाग ने भी अपना आख़िरी टेस्ट 2013 में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ खेला था लेकिन उनकी वापसी पर अब भी सवाल बरक़रार है।
सहवाग कई बार इशारा कर चुके हैं कि वो टीम में वापसी करना चाहते हैं लेकिन उनके बल्ले से रन नहीं निकल रहे हैं। गौतम गंभीर को इंग्लैंड जैसे मुश्किल दौरे पर मौक़ा दिया गया जहां दिल्ली का ये खिलाड़ी बाक़ी बल्लेबाज़ों की तरह रन बनाने के लिए संघर्ष करता दिखा।
घरेलू मैदान पर गंभीर ने रन बनाए लेकिन टीम में उनकी वापसी नहीं हुई। युवराज सिंह के साथ भी कभी हां कभी ना का खेल चल रहा है। युवी ने रणजी में अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन वर्ल्ड कप में उनकी वापसी नहीं हुई।
बांग्लादेश दौरे के लिए टीम चुनने से पहले काफ़ी अफ़वाहें उड़ीं कि बीसीसीआई सहवाग, गंभीर, युवराज, हरभजन और ज़हीर ख़ान को फ़ेयरवेल सीरीज़ के लिए टीम में चुन सकती है। बुधवार को टीम के चयन से इस पर विराम ज़रूर लग गया हो लेकिन कई सवाल ज़रूर सामने आ गए हैं। वैसे आने वाले साल में टीम इंडिया का कैलेंडर भरा हुआ है।
टीम अगले महीने बांग्लादेश के दौरे पर जा रही है उसके बाद टीम का ज़िंबाब्वे दौरा जुलाई में होगा। अगस्त में भारत और श्रीलंका के बीच तीन टेस्ट की सीरीज़ खेली जाएगी। सितंबर में दक्षिण अफ़्रीका की टीम भारत आएगी।
इन सब सीरीज़ के बाद दिसंबर में भारत और पाकिस्तान के बीच सीरीज़ करवाने के लिए पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की कोशिश जारी है। अगर इन सभी सीरीज़ पर गौर करें तो अफ़्रीकी टीम को छोड़कर कोई भी सीरीज़ बराबरी की दिखाई नहीं देती।
ऐसे में उम्मीद है प्रदर्शन को चयन का पैमाना नहीं मानते हुए बीसीसीआई ने जो टीम चुनी है वो आगे भी देखने को मिलती रहेगी। और सीनियर खिलाड़ियों को इज़्ज़त से क्रिकेट को अलविदा कहने का मौक़ा मिलेगा।
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