सौरभ गांगुली (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
भारतीय क्रिकेट को अपनी कप्तानी के दौर में नए मुकाम तक पहुंचाने वाले सौरव गांगुली का आज जन्मदिन है। आइये जानते हैं, इनके बारे में कुछ सुनी-अनसुनी बातें।
1) सौरव गांगुली ने बचपन में दाएं हाथ से बल्लेबाज़ी करते थे, लेकिन उनके बड़े भाई स्नेहाशीश बाएं हाथ के बल्लेबाज़ थे। इसलिए अपने बड़े भाई का समान इस्तेमाल करने के लिए गांगुली ने बाएं हाथ से बल्लेबाज़ी शुरू की। भारत की ओर से बाएं हाथ से बल्लेबाज़ी और दाएं हाथ से गेंदबाज़ी करने वाले वह पहले खिलाड़ी बने।
2) बचपन में सौरव गांगुली का सबसे पसंदीदा खेल क्रिकेट नहीं बल्कि फ़ुटबॉल था। वह हमेशा ब्राज़ील के खिलाड़ी पेले के बहुत बड़े फैन रहे हैं और पेले की तरह ही वह स्ट्राइकर की पोज़िशन पर अपनी स्कूल टीम से खेलते थे। आज भी गांगुली कहते हैं कि वह क्रिकेट से ज़्यादा फ़ुटबॉल देखना पसंद करते हैं। जब भारत में फुटबॉल की इंडियन सुपर लीग शुरू हुई तो गांगुली ने अपनी एक टीम एटलेटिको डी कोलकाता खड़ी की।
3) हर कोई जानता है कि ऑस्ट्रेलिया की टीम में मार्क वो को जगह तब मिली जब उनके बड़े भाई स्टीव वॉ को ड्रॉप किया गया। बंगाल की टीम में भी कुछ ऐसा ही हुआ। सौरव गांगुली को टीम में शामिल करने के लिए उनके बडे भाई स्नेहाशीष को टीम से ड्रॉप किया गया। छोटे गांगुली के पक्ष में यह बात रही कि वह गेंदबाज़ी भी कर सकते थे।
4) गांगुली 1996 में सुर्खियों में आए, लेकिन वह 1992 में टीम इंडिया का हिस्सा थे, जो ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर थी। अपने पहले वनडे में गांगुली ने सिर्फ़ 3 रन बनाए और इस खराब प्रदर्शन के चलते उन्हें दौरे पर दूसरा मौक़ा नहीं मिला और फ़िर टीम से बाहर कर दिया गया। खबरें ये भी आईं कि गांगुली ने अपने सीनियर खिलाड़ियों के प्रति सम्मान नहीं दिखाया और मैदान पर ड्रिंक्स ले जाने से मना कर दिया हालांकि आज तक गांगुली इस बात का खंडन करते हैं।
5) चार साल टीम से बाहर रहने के बाद गांगुली ने 1996 में इंग्लैंड के दौरे पर अपनी वापसी की और अपने पहले ही टेस्ट मैच में शतक जड़ा। उन्होंने अपनी दूसरी पारी में भी शतक बनाया और अपनी डेब्यू सीरीज़ में मैन ऑफ़ द सीरीज़ का पुरस्कार जीता। ऑफ़ स्टंप के बाहर उनके बेहतरीन शॉट्स को देखते हुए राहुल दविड़ ने बयान दिया कि ऑफ़ स्टंप के बाहर सबसे शानदार भगवान के बाद गांगुली खेलते हैं।
6) इंग्लैंड के कामयाब दौरे के बाद सौरव गांगुली अपनी बचपन की गर्लफ्रैंड डोना के साथ घर से भाग गए। उन्होंने चुपके से शादी भी कर ली। दोनों परिवारों ने पहले तो इस शादी का विरोध किया, लेकिन बाद में सहमत होकर 21 फरवरी 1997 में दोनों की शादी करवा दी।
7) सचिन तेंदुलकर के साथ मिलकर सौरव गांगुली ने एक ऐसी सलामी जोड़ी बनाई, जिसने भारतीय क्रिकेट की सूरत बदलकर रख दी। दोनों ने वनडे में 6609 रन जोड़े। 49.32 की औसत से और भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे कामयाब वनडे जोड़ियों में इसे गिना जाता है।
8) लॉर्ड्स मैदान की बालकनी पर सौरव गांगुली का टी-शर्ट निकालकर नैटवैस्ट ट्रॉफी की जीत का जश्न मनाना भारतीय क्रिकेट के सबसे सुनहरे लम्हों में से है। दरअसल, कुछ महीने पहले भारत में हुई वनडे सीरीज़ जीतने के बाद इंग्लैंड के एन्ड्र्यू फ़्लिंटॉफ़ ने कुछ ऐसा ही जश्न मनाया था। गांगुली ने लॉर्ड्स में इसका जवाब दे दिया। बतौर कप्तान गांगुली ने भारतीय क्रिकेट की सोच को बदला और विरोधियों की आंख में आंख डालकर हर बात का जवाब दिया।
9) 2005 में सौरव गांगुली और ग्रेग चैपल के बीच जैसा विवाद भारतीय क्रिकेट ने पहले कभी नहीं देखा था। ग्रेग चैपल को कोच बनाने में सौरव गांगुली की ही बड़ी भूमिका थी, लेकिन चैपल के सबसे पहले निशाने पर सौरव गांगुली ही आए। चैपल ने बतौर कप्तान और खिलाड़ी गांगुली को अनफिट करार दिया था। दादा बीच दौरे पर ही टीम छोड़ने वाले थे, लेकिन सचिन समेत टीम के बाकी खिलाड़ियों ने गांगुली को ऐसा करने से रोका।
10) आज गांगुली क्रिकेट कमेंट्री करते हैं और यहां भी उनका दबदबा है। विश्व क्रिकेट में गांगुली की बात को आज भी गंभीरता से लिया जाता है और बहुत कम लोग गांगुली से ज़्यादा बेबाक तरीके से अपनी राय रख पाते हैं। उन्होंने बंगाली भाषा में एक शो भी किया था- 'दादागिरी' जो कि बेहद कामयाब रहा।
1) सौरव गांगुली ने बचपन में दाएं हाथ से बल्लेबाज़ी करते थे, लेकिन उनके बड़े भाई स्नेहाशीश बाएं हाथ के बल्लेबाज़ थे। इसलिए अपने बड़े भाई का समान इस्तेमाल करने के लिए गांगुली ने बाएं हाथ से बल्लेबाज़ी शुरू की। भारत की ओर से बाएं हाथ से बल्लेबाज़ी और दाएं हाथ से गेंदबाज़ी करने वाले वह पहले खिलाड़ी बने।
2) बचपन में सौरव गांगुली का सबसे पसंदीदा खेल क्रिकेट नहीं बल्कि फ़ुटबॉल था। वह हमेशा ब्राज़ील के खिलाड़ी पेले के बहुत बड़े फैन रहे हैं और पेले की तरह ही वह स्ट्राइकर की पोज़िशन पर अपनी स्कूल टीम से खेलते थे। आज भी गांगुली कहते हैं कि वह क्रिकेट से ज़्यादा फ़ुटबॉल देखना पसंद करते हैं। जब भारत में फुटबॉल की इंडियन सुपर लीग शुरू हुई तो गांगुली ने अपनी एक टीम एटलेटिको डी कोलकाता खड़ी की।
3) हर कोई जानता है कि ऑस्ट्रेलिया की टीम में मार्क वो को जगह तब मिली जब उनके बड़े भाई स्टीव वॉ को ड्रॉप किया गया। बंगाल की टीम में भी कुछ ऐसा ही हुआ। सौरव गांगुली को टीम में शामिल करने के लिए उनके बडे भाई स्नेहाशीष को टीम से ड्रॉप किया गया। छोटे गांगुली के पक्ष में यह बात रही कि वह गेंदबाज़ी भी कर सकते थे।
4) गांगुली 1996 में सुर्खियों में आए, लेकिन वह 1992 में टीम इंडिया का हिस्सा थे, जो ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर थी। अपने पहले वनडे में गांगुली ने सिर्फ़ 3 रन बनाए और इस खराब प्रदर्शन के चलते उन्हें दौरे पर दूसरा मौक़ा नहीं मिला और फ़िर टीम से बाहर कर दिया गया। खबरें ये भी आईं कि गांगुली ने अपने सीनियर खिलाड़ियों के प्रति सम्मान नहीं दिखाया और मैदान पर ड्रिंक्स ले जाने से मना कर दिया हालांकि आज तक गांगुली इस बात का खंडन करते हैं।
5) चार साल टीम से बाहर रहने के बाद गांगुली ने 1996 में इंग्लैंड के दौरे पर अपनी वापसी की और अपने पहले ही टेस्ट मैच में शतक जड़ा। उन्होंने अपनी दूसरी पारी में भी शतक बनाया और अपनी डेब्यू सीरीज़ में मैन ऑफ़ द सीरीज़ का पुरस्कार जीता। ऑफ़ स्टंप के बाहर उनके बेहतरीन शॉट्स को देखते हुए राहुल दविड़ ने बयान दिया कि ऑफ़ स्टंप के बाहर सबसे शानदार भगवान के बाद गांगुली खेलते हैं।
6) इंग्लैंड के कामयाब दौरे के बाद सौरव गांगुली अपनी बचपन की गर्लफ्रैंड डोना के साथ घर से भाग गए। उन्होंने चुपके से शादी भी कर ली। दोनों परिवारों ने पहले तो इस शादी का विरोध किया, लेकिन बाद में सहमत होकर 21 फरवरी 1997 में दोनों की शादी करवा दी।
7) सचिन तेंदुलकर के साथ मिलकर सौरव गांगुली ने एक ऐसी सलामी जोड़ी बनाई, जिसने भारतीय क्रिकेट की सूरत बदलकर रख दी। दोनों ने वनडे में 6609 रन जोड़े। 49.32 की औसत से और भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे कामयाब वनडे जोड़ियों में इसे गिना जाता है।
8) लॉर्ड्स मैदान की बालकनी पर सौरव गांगुली का टी-शर्ट निकालकर नैटवैस्ट ट्रॉफी की जीत का जश्न मनाना भारतीय क्रिकेट के सबसे सुनहरे लम्हों में से है। दरअसल, कुछ महीने पहले भारत में हुई वनडे सीरीज़ जीतने के बाद इंग्लैंड के एन्ड्र्यू फ़्लिंटॉफ़ ने कुछ ऐसा ही जश्न मनाया था। गांगुली ने लॉर्ड्स में इसका जवाब दे दिया। बतौर कप्तान गांगुली ने भारतीय क्रिकेट की सोच को बदला और विरोधियों की आंख में आंख डालकर हर बात का जवाब दिया।
9) 2005 में सौरव गांगुली और ग्रेग चैपल के बीच जैसा विवाद भारतीय क्रिकेट ने पहले कभी नहीं देखा था। ग्रेग चैपल को कोच बनाने में सौरव गांगुली की ही बड़ी भूमिका थी, लेकिन चैपल के सबसे पहले निशाने पर सौरव गांगुली ही आए। चैपल ने बतौर कप्तान और खिलाड़ी गांगुली को अनफिट करार दिया था। दादा बीच दौरे पर ही टीम छोड़ने वाले थे, लेकिन सचिन समेत टीम के बाकी खिलाड़ियों ने गांगुली को ऐसा करने से रोका।
10) आज गांगुली क्रिकेट कमेंट्री करते हैं और यहां भी उनका दबदबा है। विश्व क्रिकेट में गांगुली की बात को आज भी गंभीरता से लिया जाता है और बहुत कम लोग गांगुली से ज़्यादा बेबाक तरीके से अपनी राय रख पाते हैं। उन्होंने बंगाली भाषा में एक शो भी किया था- 'दादागिरी' जो कि बेहद कामयाब रहा।
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