यह ख़बर 17 दिसंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

प्रदीप कुमार की कलम से : अगर एक रन और बना लेते मुरली विजय, तो बन जाता रिकॉर्ड...

गाबा में शतक बनाने के बाद दर्शकों का अभिवादन करते मुरली विजय

नई दिल्ली:

मुरली विजय एडिलेड टेस्ट में महज एक रन से शतक से चूक गए थे, और अब ब्रिस्बेन टेस्ट में भी वह सिर्फ एक रन के अंतर से इस मैदान पर किसी भी भारतीय की सबसे बड़ी पारी का रिकॉर्ड अपने नाम नहीं कर पाए। वर्ष 2003-04 में सौरव गांगुली ने ब्रिस्बेन के मैदान पर 144 रन बनाए थे, और बुधवार को मुरली विजय भी इसी स्कोर पर आउट हो गए।

हालांकि मुरली विजय ब्रिस्बेन के गाबा मैदान में एमएल जयसिम्हा, सुनील गावस्कर और सौरव गांगुली के बाद शतक बनाने वाले महज चौथे बल्लेबाज़ बन गए हैं, और हां, इसी पारी के दौरान मुरली विजय ने टेस्ट क्रिकेट में अपने 2,000 रन भी पूरे कर लिए हैं।

उल्लेखनीय है कि मुरली विजय एडिलेड टेस्ट की दूसरी पारी में महज एक रन से शतक से चूक गए थे, और उनके आउट होने के साथ ही जीत की ओर बढ़ रही भारतीय पारी लड़खड़ा गई थी, सो, ब्रिस्बेन टेस्ट के दौरान शायद मुरली को अपनी उस चूक का एहसास था, इसलिए उन्होंने पारी की शुरुआत से ही विकेट पर टिकने को लक्ष्य बनाया। हालांकि इस दौरान किस्मत ने भी उनका बखूबी साथ दिया, लेकिन मुरली का इरादा विकेट पर टिकने का बना रहा और इसी की बदौलत मुरली ने अपने टेस्ट करियर का पांचवां शतक पूरा किया।

एक बल्लेबाज़ के तौर पर मुरली विजय की बल्लेबाज़ी की शैली बहुत आकर्षक नहीं है, लेकिन विकेट पर टिकने और रन बनाने की काबिलियत उनमें है। शॉर्ट पिच गेंदों को खेलने में उनकी मुश्किल भी रह-रहकर सामने आ जाती है, लेकिन मुरली की बल्लेबाज़ी की बड़ी खासियत है कि वह विकेट पर टिके हों, तो रन अपने आप आते हैं। टीम इंडिया को टेस्ट मैचों में इसी तरह के सलामी बल्लेबाज की जरूरत है, क्योंकि टेस्ट में ऐसे बल्लेबाज़ की अपनी अहमियत ही होती है, और यही वजह है कि बढ़ती उम्र के बावजूद मुरली विजय टेस्ट टीम में नियमित तौर पर बने हुए हैं।

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कुछ महीने पहले जब इंग्लैंड में भारत के दिग्गज बल्लेबाज़ चलताऊ अंदाज में सिमट रहे थे, तब मुरली विजय ने नॉटिंघम में एक जोरदार शतक बनाया था। इससे पहले उनके तीनों टेस्ट शतक ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ही बने थे, लेकिन घरेलू मैदान पर। लेकिन इस ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर वह टीम इंडिया की ओर से अब तक खासे कामयाब साबित हुए हैं। एडिलेड की दोनों पारियों में अर्द्धशतक बनाने के बाद ब्रिस्बेन में उनका शतक बताता है कि इस सीरीज़ में टीम इंडिया को ओपनिंग को लेकर चिंता नहीं करनी होगी।