विज्ञापन
This Article is From Nov 05, 2014

सचिन तेंदुलकर की आत्मकथा 'प्लेइंग इट माइ वे' के अंश...

सचिन तेंदुलकर की आत्मकथा के लॉन्च के मौके का दृश्य

मुंबई:

'मंकी गेट' प्रकरण पर सचिन
यह तब शुरू हुआ था, जब भज्जी (हरभजन सिंह) ने अपना अर्द्धशतक पूरा किया। भज्जी मुझे बता रहे थे कि एंड्रयू सायमंड्स उन्हें चिढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। मैंने उन्हें सलाह दी कि मामले को तूल मत दो, बल्लेबाज़ी करते रहो। मुझे पता था कि पलटकर जवाब देना ऑस्ट्रेलियाई टीम के जाल में फंसना है। ऐसी चीज़ों से बचने का सबसे अच्छा उपाय है, इन्हें नजरअंदाज़ करना। यह कहना तो आसान है, लेकिन दबाव में अपने-आपको शांत रखना आसान नहीं होता।

भज्जी संयम बनाए रखने की पूरी कोशिश कर रहे थे। जब हंगामा बढ़ गया, तब भी वह ब्रेट ली जैसे खिलाड़ियों से सभ्यता से पेश आ रहे थे। भज्जी ने खेल−खेल में ब्रेट ली की पीठ थपथपाई। मिड ऑफ पर खड़े सायमंड्स को यह नागवार गुज़रा। उन्हें यह मंज़ूर नहीं था कि विरोधी टीम का खिलाड़ी उनके खिलाड़ी ब्रेट ली के साथ मेलजोल बढ़ा रहा है। उन्होंने भज्जी को भला-बुरा कहना शुरू कर दिया। भज्जी भावुक और आवेश में आने वाले इंसान हैं। वह किसी भी समय अपना आपा खो सकते थे। यह जल्दी ही हो गया।
यहीं से सारा विवाद शुरू हुआ। पूरी सीरीज़ खटाई में पड़ती नज़र आई। मैं यहां साफ−साफ कह देना चाहता हूं कि यह सारा विवाद इसलिए खड़ा हुआ कि एंड्रयू सायमंड्स भज्जी को लगातार उकसा रहे थे। एक सीमा के बाद दोनों में टकराव होना ही था। जब मैं भज्जी को शांत कराने के लिए उनके पास जा रहा था, तो मैंने उन्हें 'तेरी मां की...' कहते हुए सुना। उत्तर भारत में गुस्सा आने पर अक्सर लोग ऐसी गाली देते हैं। मैं हैरान हुआ कि अंपायर मार्क बेन्सन ने इस पर भज्जी से बात की। जब वह भज्जी से बात कर रहे थे, तब कुछ ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी उन्हें भयंकर नतीजों की धमकी दे रहे थे। वे भज्जी को मानसिक रूप से परेशान करना और उनकी एकाग्रता तोड़ना चाहते थे। उनकी योजना कामयाब रही। भज्जी थोड़ी देर बाद 63 रन पर आउट हो गए।

जब छिन गई कप्तानी
दिसंबर, 1997 में शारजाह में हुए चार देशों के टूर्नामेंट में हार के बाद हमने श्रीलंका के साथ घरेलू सीरीज़ बराबरी पर खेली। सीरीज़ के बाद मुझे अचानक कप्तानी से बर्खास्त कर दिया गया। हटाने से पहले मुझे बीसीसीआई से किसी का फोन नहीं आया। मुझे मीडिया से किसी ने फोन किया। उस समय साहित्य सहवास में अपने दोस्तों के साथ बैठा था। मैंने बहुत अपमानित महसूस किया, लेकिन जिस तरह से यह सब हुआ, मुझमें आने वाले समय में खुद को बेहतर क्रिकेटर साबित करने की इच्छा और भी मजबूत होती गई। मैंने खुद से कहा कि बीसीसीआई के आका मुझसे कप्तानी छीन सकते हैं, लेकिन मेरी क्रिकेट को कोई छीन नहीं सकता। लेकिन अंदर अपमान का दुख तो था ही। जब मैं कप्तान था तो साथी खिलाड़ी मुझे स्किप पुकारते थे।

ढाका में अगली सीरीज़ में जब किसी ने स्किपर पुकारा तो आदतन मैंने पीछे मुड़कर देखा। लेकिन मैं कप्तानी से हटाया जा चुका था। तब मुझे बहुत बुरा लगा था।

कोच कपिल देव से हुए निराश
दूसरी बार जब मैं कप्तान बना तो कोच थे कपिल देव। भारत की ओर से खेलने वाले बेहतरीन क्रिकेटरों में से एक हैं। साथ ही अब तक के दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडरों में भी शामिल हैं।

ऑस्ट्रेलिया दौरे पर मुझे उनसे बड़ी उम्मीदें थीं। मेरा हमेशा से मानना है कि टीम में कोच की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। टीम के लिए रणनीति बनाने में उसकी भूमिका अहम होती है। ऑस्ट्रेलिया जैसे कठिन दौरे पर कपिल देव से बेहतर मुझे कौन सलाह दे सकता था, लेकिन टीम की सोच में उनकी भागीदारी कम रही। उनकी सोच थी कि हर निर्णय कप्तान को लेना चाहिए। लिहाज़ा उन्होंने रणनीति बनाने से खुद को अलग रखा।

कुछ सवाल-जवाब...
ग्रेग चैपल द्वारा आरोपों को नकारे जाने पर...
- मैं बस इतना कह सकता हूं कि एक और शख्स इस बातचीत में शामिल था। आप अंजलि से पूछ सकते हैं, उसने सब सुना था।

आपने तब द्रविड़ को क्यों नहीं बताया...?
- क्योंकि मेरे लिए बात वहीं खत्म हो गई थी। चैपल ने मुझसे पूछा कि मैं कप्तान बनना चाहता हूं या नहीं, और मैंने कहा 'नहीं'। बस बात खत्म हो गई।

संकट के समय सचिन खामोश क्यों...?
- जब तक मैं किसी मुद्दे पर सौ फीसदी जानकारी नहीं रखता, मैं कभी नहीं बोलता। कोई बयान देने से पहले मुझे ठोस सबूत चाहिए होते हैं। अनुमानों पर बात करना मेरी आदत नहीं है। शायद इसलिए आपको लगता हो कि खेलते हुए मैंने अहम मुद्दों पर कुछ नहीं कहा।

सचिन के कप्तान रहते खिलाड़ियों ने खराब प्रदर्शन किया, लेकिन किताब में ज़िक्र नहीं...
- हम क्यों हार रहे थे, यह सबको नज़र आ रहा था। अगर आप स्कोरबोर्ड देखें तो आप जान जाएंगे कि हम कोई मैच क्यों हारे। हम जीतने की हालत में होते थे, लेकिन हार जाते थे। लेकिन मेरा काम किसी खास खिलाड़ी की ओर इशारा करना नहीं है कि उसने अच्छा नहीं खेला। यह मेरी आदत नहीं है।

'आईना देखें सचिन' वाली इयान चैपल की सलाह पर...
- 2008 में मैंने उसे आईने का आकार दिखाया था, जब हम ऑस्ट्रेलिया गए थे। तब उसे महसूस हुआ होगा कि जिस शख़्स को वह आईने के सामने खड़ा होने को कह रहा है, उसने उससे ज़्यादा क्रिकेट खेली है।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
सचिन तेंदुलकर, सचिन तेंदुलकर की आत्मकथा, प्लेइंग इट माइ वे, Autobiography Of Sachin Tendulkar, Sachin Tendulkar, Playing It My Way
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com