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This Article is From Sep 11, 2017

अभी से हार्दिक पंड्या की तुलना महान कपिल देव से न करें

आज की तारीख में टीम इंडिया के ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या हर जगह छाए हुए हैं.अख़बारों में लगातार उनकी तारीफों के पुल बांधे जा रहे हैं, और कहीं-कहीं तो उन्हें 'भविष्य का कपिल देव' बताया जा रहा है.

अभी से हार्दिक पंड्या की तुलना महान कपिल देव से न करें
हार्दिक पंड्या बैटिंग ऑलराउंडर हैं जबकि कपिल देव बॉलिंग ऑलराउंडर थे (फाइल फोटो)
नई दिल्‍ली: आज की तारीख में टीम इंडिया के ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या हर जगह छाए हुए हैं, और उनके शानदार खेल की वजह से उनके चाहने वालों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है. अख़बारों में लगातार उनकी तारीफों के पुल बांधे जा रहे हैं, और कहीं-कहीं तो उन्हें 'भविष्य का कपिल देव' बताया जा रहा है. निश्चित रूप से हार्दिक पंड्या ने सही मौकों पर सटीक खेल दिखाया है, और बल्ले और बॉल, दोनों से ही टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई है, लेकिन हमारे विचार से हार्दिक की तुलना कपिल देव से करना काफी जल्दबाज़ी है, क्योंकि कोई भी उस ऊंचाई तक रातोंरात नहीं पहुंच सकता, और उसके लिए सालों तक शानदार खेल दिखाते रहना ज़रूरी होता है.

हम मानते हैं कि हार्दिक निश्चित रूप से बेहद 'प्रॉमिसिंग' क्रिकेटर है, और हम चाहेंगे कि वह भी कपिल देव की ऊंचाइयों को छू पाए, लेकिन दोनों खिलाड़ियों के बीच सबसे बड़ा फर्क यही है कि हार्दिक बैटिंग ऑलराउंडर हैं, जबकि कपिल देव बॉलिंग ऑलराउंडर थे. हार्दिक ने फिलहाल कुल तीन टेस्ट मैच खेले हैं, और तीन टेस्ट मैचों की तीन पारियों में एक शतक तथा एक अर्द्धशतक की मदद से 59.33 के औसत से 178 रन बनाए हैं, और कुल चार विकेट भी चटकाए हैं.

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उधर, भले ही कपिल देव के नाम ज़्यादा विश्वरिकॉर्ड न बचे हों, लेकिन वह सही मायनों में क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ी हैं, और हमारी मानें तो क्रिकेट के इतिहास के सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर भी हैं, और हमारी समझ से आज भारत में क्रिकेट का जो क्रेज़ मौजूद है, उसके पीछे कपिल देव के कुशल नेतृत्व के योगदान को कतई नकारा नहीं जा सकता. भारत में क्रिकेट का खेल हमेशा से पसंद किया जाता रहा है, लेकिन उसमें जितना पैसा और 'पब्लिक का पागलपन' आज दिखाई देता है, उसकी सबसे बड़ी वजह थी, वर्ष 1983 की वर्ल्डकप जीत.

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यकीन मानिए, उस टूर्नामेंट के फाइनल में 'अजेय' कहलाने वाली वेस्ट इंडीज़ की टीम के खिलाफ जीत के पीछे सिर्फ कपिल देव की कप्तानी ने ही चमत्कार नहीं किया था, बल्कि टूर्नामेंट के लीग दौर में जिम्बाब्वे के खिलाफ खेले गए मैच में कपिल देव की तत्कालीन विश्वरिकॉर्ड 175 रनों की पारी की बदौलत ही हम वह विश्वकप जीत पाए थे. यह जगज़ाहिर है कि उस वर्ल्डकप को जीतने के बाद ही देश में क्रिकेट की लोकप्रियता ने नए आयाम स्थापित किए थे. सो, क्रिकेट की लोकप्रियता को आसमान की बुलंदियों तक पहुंचाने में कपिल देव का योगदान कोई भी नकार ही नहीं सकता.

खुद शानदार प्रदर्शन करने के बाद टीम से बेहतरीन प्रदर्शन करवाना ही कप्तान का दायित्व होता है, सो, उस लिहाज़ से वह बेहतरीन कप्तान रहे. इसलिए आसानी से कहा जा सकता है कि उस दौर में टीम से शानदार प्रदर्शन करवाकर कपिल देव ने ही बीसीसीआई को आज इस मुकाम तक पहुंचाया है, जहां उसे दुनिया की सबसे रईस खेल संस्था कहा जाने लगा है, और यहां तक कहा जाने लगा है कि क्रिकेट से जुड़े मामलों में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) से ज़्यादा भारतीय बोर्ड की चलती है.

हमने शुरू में ही लिखा था कि कपिल देव क्रिकेट के इतिहास के सर्वश्रेष्ठ सर्वकालिक ऑल-राउंडर हैं, सो, एक खिलाड़ी के रूप में भी उनका आकलन, तथा अन्य खिलाड़ियों से आंकड़ों के आधार पर उनकी तुलना करना ज़रूरी हो जाता है. ध्यान दें कि कपिल देव ने रिटायर होते वक्त 434 टेस्ट विकेट का आंकड़ा अपने पीछे छोड़ा था, जो कई साल तक विश्वरिकॉर्ड बना रहा. भले ही आज सबसे ज़्यादा टेस्ट विकेट चटकाने वालों की सूची में उनसे आगे छह खिलाड़ी हैं, लेकिन वे सभी खालिस गेंदबाज हैं, और एक भी ऑल-राउंडर नहीं है. कपिल देव आज भी दुनिया के एकमात्र ऑल-राउंडर क्रिकेटर हैं, जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 400 विकेट के आंकड़े को पार करने के अलावा 5,000 से अधिक रन भी बनाए.

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दुनिया के सर्वश्रेष्ठ सर्वकालिक ऑल-राउंडरों में शुमार किए जाने वाले सर रिचर्ड हेडली (न्यूज़ीलैंड), इमरान खान (पाकिस्तान), इयान बॉथम (इंग्लैंड), शॉन पोलॉक (दक्षिण अफ्रीका), वसीम अकरम (पाकिस्तान) तथा जैक कालिस (दक्षिण अफ्रीका) सभी महान खिलाड़ी रहे हैं, लेकिन कपिल देव ने जिन परिस्थितियों में प्रदर्शन किया, वह सबसे अलग, सबसे कठिन थीं. कहा जाता है कि कोई भी तेज़ गेंदबाज जोड़े में ही कामयाबी के शिखर को छू पाता है, यानि तेज़ गेंदबाजों का जोड़ा होने पर ही उनका खौफ कामयाबी से बल्लेबाज पर कायम हो पाता है. लेकिन कपिल देव की खासियत यही है कि लगभग पूरे करियर में उन्हें कोई 'बढ़िया' साथी गेंदबाज नहीं मिल पाया, और वह अकेले दम पर भारतीय तेज़ गेंदबाजी का भार अपने कंधों पर ढोते रहे.

सबसे ज़्यादा टेस्ट विकेट लेने का सर रिचर्ड हेडली का ही रिकॉर्ड तोड़कर कपिल देव रिटायर हुए थे. रिटायर होने के वक्त कपिल देव के खाते में 434 टेस्ट विकेटों के अलावा 5,248 रन दर्ज थे. इससे पहले हेडली के 431 टेस्ट विकेट विश्वरिकॉर्ड थे, लेकिन हेडली ने अपने करियर में 3,124 रन ही बनाए. उनके अलावा पाकिस्तान के सर्वश्रेष्ठ ऑल-राउंडर कहे जाने वाले पूर्व कप्तान इमरान खान ने अपने शानदार करियर के दौरान 3,807 रन बनाने के साथ-साथ 362 विकेट हासिल किए, जबकि पाकिस्तान के ही दूसरे अच्छे ऑल-राउंडर वसीम अकरम ने 414 विकेट लिए, लेकिन कुल 2,898 रन बनाए.

दक्षिण अफ्रीका के शॉन पोलॉक ने अपने करियर के दौरान विकेट तो 421 हासिल किए, लेकिन रन 3,781 बना पाए, जो कपिल देव से काफी कम रहे. इंग्लैंड के बेहतरीन ऑल-राउंडरों में शामिल किए जाने वाले इयान बॉथम 5,200 रन बनाकर कपिल देव के काफी करीब आ गए, लेकिन विकेट चटकाने के मामले में 383 के आंकड़े के साथ वह कपिल देव से पीछे रह गए. हां, इस सूची में एकमात्र नाम दक्षिण अफ्रीका के जैक कालिस का है, जो बेहद प्रभावी रहे हैं. जैक कालिस ने अपने टेस्ट करियर में 13,140 रन बनाए, लेकिन विकेट सिर्फ 289 लिए, सो, उन्हें बैटिंग ऑल-राउंडर कहा जा सकता है, लेकिन हमारे पास सर्वश्रेष्ठ बॉलिंग ऑल-राउंडर अब भी कपिल देव ही रह जाते हैं.

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वैसे, कपिल देव से ज़्यादा टेस्ट विकेट लेने वाले गेंदबाजों की सूची में सबसे ऊपर हैं श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन, जिन्होंने अपने करियर में 800 विकेट लिए, लेकिन रन सिर्फ 1,261 बनाए. उसके बाद सूची में दर्ज हैं ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज शेन वॉर्न, जिन्होंने 708 विकेट लेने के साथ-साथ 3,154 रन बनाए. तीसरे नंबर पर हैं पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले, जिन्होंने 619 विकेट लिए, और 2,506 रन भी बनाए. ऑस्ट्रेलिया के ही ग्लेन मैकग्रा इस सूची में चौथे स्थान पर हैं, जिनके खाते में 563 विकेट हैं, लेकिन रनों के नाम पर सिर्फ 641 का आंकड़ा वह छू पाए. उसके बाद नाम आता है वेस्ट इंडीज़ के कॉर्टनी वॉल्श का, जिन्होंने 519 लेकर कुल 936 रन बनाए. छठे स्थान पर इंग्लैंड के गेंदबाज़ जेम्स एंडरसन है, जिन्होंने अब तक 506 विकेट लेने के साथ-साथ 1,120 रन बनाए हैं, और इसी सूची में सातवें स्थान पर कपिल देव हैं ही. सो, हमारा अंदाज़ा है, अब आप सभी मानेंगे कि कपिल देव दुनिया के बेहतरीन ऑल-राउंडर थे, हैं, और शायद हमेशा रहेंगे, और हार्दिक पंड्या को फिलहाल सालों तक मेहनत करनी होगी, अगर वह कपिल देव के जूतों में पांव डालना चाहते हैं.

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