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This Article is From Feb 18, 2016

क्या आप जानते हैं, इन 14 खिलाड़ियों ने दो अलग-अलग देशों के लिए खेला है टेस्ट क्रिकेट...

क्या आप जानते हैं, इन 14 खिलाड़ियों ने दो अलग-अलग देशों के लिए खेला है टेस्ट क्रिकेट...
प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली: क्या आप जानते हैं, दुनियाभर में ऐसे कई क्रिकेटर हैं, जिन्होंने अपने देश के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलने के अलावा इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) की टीम के लिए भी टेस्ट मैच खेले हैं, और इनमें भारतीयों वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) व राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) के अलावा दक्षिण अफ्रीकी हरफनमौला जैक कालिस (Jacques Kallis), पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इंजमाम उल-हक (Inzamam-ul-Haq) और श्रीलंकाई दिग्गज मुथैया मुरलीधरन (Muttiah Muralitharan) जैसे नाम भी शामिल रहे हैं, लेकिन क्या आप यह भी जानते हैं कि दुनिया में 14 ऐसे खिलाड़ी भी हुए हैं, जिन्होंने दो अलग-अलग देशों की ओर से टेस्ट क्रिकेट खेला है...

दो देशों के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलने वालों में चार भारतीय भी...
सबसे ज़्यादा दिलचस्प तथ्य यह है कि इनमें चार खिलाड़ी ऐसे हैं, जो भारतीय टीम की ओर से भी खेले हैं... इनमें सबसे पहले नाम आता है फिल्मस्टार सैफ अली खान के दादाजी और पूर्व भारतीय कप्तान नवाब पटौदी जूनियर (Nawab of Pataudi Jr) के पिता नवाब पटौदी सीनियर (Nawab of Pataudi Sr) का, जो हिन्दुस्तान की आज़ादी से पहले के दौर में इंग्लैंड के लिए खेला करते थे... उन्होंने 1932 से 1934 के बीच अंग्रेज़ी टीम की तरफ से तीन टेस्ट मैच खेले, और बाद में 1946 में भारतीय टीम की ओर से भी तीन टेस्ट मैचों में भाग लिया...

इस सूची में दर्ज शेष तीनों भारतीय खिलाड़ियों - गुल मोहम्मद (Gul Mohammad), अमीर इलाही (Amir Elahi) और अब्दुल कारदार (Abdul Kardar) - ने विभाजन के बाद सीमापार होने की वजह से पाकिस्तान की ओर से टेस्ट क्रिकेट खेला... गुल मोहम्मद ने 1946 से 1952 के बीच हिन्दुस्तानी टीम के लिए आठ टेस्ट खेले, जबकि 1956 में उन्होंने अपने करियर का आखिरी टेस्ट मैच पाकिस्तानी टीम की ओर से खेला... अमीर इलाही ने भारत की ओर से 1947 में ही मात्र एक टेस्ट मैच खेला था, और 1952 में पाक टीम के गठन के बाद उन्होंने पड़ोसी प्रतिद्वंद्वी के लिए पांच टेस्ट खेले... दो देशों के लिए खेलने वाले भारतीयों में सबसे लंबा करियर अब्दुल कारदार का रहा, जिन्होंने वर्ष 1946 में भारत की ओर से तीन तथा 1952 से 1958 के बीच पाकिस्तान के लिए 23 टेस्ट मैच खेले...

ताजातरीन मिसाल हैं केपलर वेसल्स...
इन चार भारतीयों के अतिरिक्त दो देशों के लिए खेलने वालों का इतिहास काफी पुराना है, लेकिन ताजातरीन मिसाल केपलर वेसल्स (Kepler Wessels) की है, जो दक्षिण अफ्रीकी टीम से प्रतिबंध हटने के बाद उसके कप्तान के रूप में 1992 में भारत दौरे पर भी आए थे... वर्ष 1982 से 1985 तक वेसल्स ऑस्ट्रेलिया के लिए खेलते थे, और सलामी बल्लेबाज के रूप में खेलते रहे...

केपलर वेसल्स ने कंगारू टीम के लिए कुल 24 टेस्ट मैच खेले, जिनमें 42.95 की औसत से उन्होंने चार शतकों की मदद से 1,761 रन भी बनाए... रंगभेद की वजह से प्रतिबंध झेल रही दक्षिण अफ्रीकी टीम से जब '90 के दशक में पाबंदी हटी, तो वेसल्स वहां चले गए, और कप्तान के रूप में नई पारी शुरू की... नई टीम की ओर से वेसल्स ने 1992 से 1994 के बीच 16 टेस्ट मैच खेले, और 38.03 की औसत से दो शतकों की मदद से 1,027 रन बनाए...

ज़िम्बाब्वे की ओर से खेलने लगे दक्षिण अफ्रीकी ट्रायकॉस...
इनके अलावा जॉन ट्रायकॉस (John Traicos) ऐसे खिलाड़ी थे, जो 1970 में दक्षिण अफ्रीका की ओर से टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने के बाद उसी साल तीन मैच खेले, लेकिन टीम पर प्रतिबंध लगने के बाद उनका करियर लगभग खत्म हो गया... खैर, आखिरकार 1992 में उन्होंने ज़िम्बाब्वे जाकर खेलना शुरु किया, और उनकी ओर से ट्रायकॉस ने चार टेस्ट मैच खेले...

इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया के लिए खेलने वाले पांच हैं खिलाड़ी...
19वीं शताब्दी में चूंकि कुल दो ही देशों - इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया - के बीच टेस्ट क्रिकेट हुआ करता था, सो, उस समय के जो खिलाड़ी इस सूची में दर्ज हैं, उनकी टीमों के बारे में कोई शंका हो ही नहीं सकती... बिली मिडविंटर (Billy Midwinter), बिली मरडॉक (Billy Murdoch), जेजे फैरिस (JJ Ferris), सैमी वुड्स (Sammy Woods) और एल्बर्ट ट्रॉट (Albert Trott) ने क्रमशः 1877-1887, 1877-1890, 1887-1890, 1888 और 1895 में ऑस्ट्रेलिया के लिए 8, 18, 8, 3 और 3 टेस्ट मैच खेले...

मिडविंटर इस सूची के सबसे अनूठे खिलाड़ी हैं, क्योंकि उन्होंने पदार्पण कंगारू टीम की ओर से किया, फिर इंग्लैंड के लिए खेले, और बाद में फिर ऑस्ट्रेलिया के लिए खेलने लगे... 1877 में कंगारू टीम का हिस्सा रहे बिली मिडविंटर 1881-1882 के दौरान इंग्लैंड की ओर से चार टेस्ट मैच खेले, लेकिन फिर ऑस्ट्रेलिया लौट आए, और 1887 तक खेले...

बिली मरडॉक ने 18 मैच खेलने के बाद 1890 में ऑस्ट्रेलियाई टीम को छोड़ दिया, और 1892 में एक टेस्ट मैच वह इंग्लैंड के लिए खेले... जेजे फैरिस ने भी 1890 तक कंगारुओं के लिए आठ मैच खेलने के बाद 1892 में एक टेस्ट मैच इंग्लैंड के लिए खेला... सैमी वुड्स ने 1888 में ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए तीन टेस्ट खेलने के बाद 1896 में इंग्लैंड के लिए भी तीन टेस्ट खेले... एल्बर्ट ट्रॉट ने 1895 में तीन मैचों के लिए कंगारू टीम का हिस्सा बनने के बाद 1899 में दो मैच इंग्लैंड के लिए खेले...

इंग्लैंड से दक्षिण अफ्रीका चले गए थे हियर्न...
इसी दौरान फ्रैंक हियर्न (Frank Hearne) ऐसे खिलाड़ी रहे, जिन्होंने 1889 में इंग्लैंड के लिए दो टेस्ट मैच खेलने के बाद 1892 से 1896 के बीच दक्षिण अफ्रीका के लिए भी चार टेस्ट मैच खेले... फ्रैंक हियर्न जैसे ही अगले खिलाड़ी फ्रैंक मिचेल (Frank Mitchell) थे, जिन्होंने 1899 में इंग्लैंड के लिए दो टेस्ट मैच खेले, और फिर 13 साल बाद 1912 में वह दक्षिण अफ्रीका के लिए भी तीन टेस्ट मैच खेले...

वेस्ट इंडीज़ के सैमी गिलेन बाद में कीवी टीम का हिस्सा बने...
इस सूची के आखिरी खिलाड़ी सैमी गिलेन (Sammy Guillen) हैं, जिन्होंने वेस्ट इंडीज़ की ओर से 1951-52 में पांच टेस्ट मैच खेले, लेकिन उसके बाद 1956 में वह न्यूज़ीलैंड चले गए, और तीन टेस्ट मैच कीवी टीम की ओर से भी खेले...

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