कोहली ने संन्यास ले लिया... सुबह जैसे ही इस बात पर मुहर लगी उसी समय से मन उदास सा हो गया. एक क्रिकेट प्रेमी के तौर पर अपने पंसदीदा खिलाड़ी के रिटायर होने पर, ये बेहद सामान्य सी बात है. सामान्य तो ये भी है कि कोई बड़ा खिलाड़ी दशकों तक देश के लिए खेलने के बाद आखिरकार रिटायर हो ही जाता है. पर कोई बड़ा खिलाड़ी और अपने कोहली में फर्क भी तो बड़ा है. बस यही सोचकर दिमाग में तमाम तरह की यादें एक साथ कौंधने लगी. कोहली की टेस्ट में खेली गई वो विराट पारियां याद आने लगीं. सोचने लगा कि आखिर उस खिलाड़ी के लिए कितना मुश्किल हुआ होगा बढ़ती उम्र के साथ अपनी फिटनेस को बरकरार रखते हुए देश के लिए अपना बेस्ट दे पाना.

वो भी तब जब कुछ महीने या कुछ सीरीज बल्ले के शांत रहने पर मीडिया से लेकर प्रशंसकों की आलोचनाएं झेलनी पड़ी हों. लेकिन बड़ा वही जो हिम्मत तोड़ देने वाली आलोचनाओं के बाद भी मैदान पर अपनी वापसी से सबका दिल जीत ले. और अपने कोहली तो इस विधा में हमेशा से ही निपुण रहे. हों भी क्यों ना, किंग जो थे कोहली. उनके करियर में भी ऐसे कई मौके आए जब क्रिकेट के धुरंधरों और उनके प्रशंसकों ने उनके फॉर्म पर सवाल खड़े किए. ऑफ स्टंप्स को छोड़कर जाती गेंदों को छूने की उनकी गलती को लेकर उनकी तकनीक पर सवाल पूछे गए. सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल तक किया गया. लेकिन कोहली ने कभी हार नहीं मानी. हर बार पहले से बेहतर बनकर आए और परफॉर्म कर ये साबित किया कि फॉर्म टेंपरेरी है लेकिन टेंपरामेंट और क्लास परमानेंट.

आज मैं कोहली के रिकॉर्ड्स के बारे में आपसे कुछ नहीं बोलूंगा... क्योंकि आज का दिन सिर्फ उनकी मेहनत को रिकॉर्ड्स तक सीमित कर देने भर का नहीं है. आज मैं आपको उस कोहली से रूबरू कराने की कोशिश करूंगा जिनके सिर्फ ड्रेसिंग रूम में होने भर से विपक्षी टीम की सांसें रुक जाती थी. टीम इंडिया उनकी एनर्जी से मैच के मुश्किल से मुश्किल मोमेंट्स में भी पंप्डअप होकर जबरदस्त वापसी करते दिखती थी. विराट का टीम के साथ होना दूसरी टीम से आधी लड़ाई जीतने जैसा था. वो एनर्जी, वो एग्रेशन और वो माइंड गेम्स अब मैदान पर नहीं दिखेंगे.

बल्ले की धमक और माइंड गेम्स के माहिर किंग कोहली
विराट कोहली सिर्फ बल्ले से नहीं, अपनी बॉडी लैंग्वेज, एटीट्यूड और माइंड गेम्स से भी विपक्षी टीम को मैदान पर चुप कराते रहे हैं. विराट कोहली मैदान में बल्लेबाजी करते हुए मुंह से कम और अपने बल्ले से जवाब देने के लिए जाने जाते है. टेस्ट क्रिकेट के साथ-साथ वनडे क्रिकेट में ऐसे कई मौके आए जब अपने विराट ने स्लेजिंग का जवाब उसी मैच में शतक लगाकर या मैच जीत कर दिया. ऐसी ही एक सीरीज थी 2014 की. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस सीरीज में कोहली के खिलाफ कंगारू खिलाड़ी जबरदस्त स्लेजिंग कर रहे थे लेकिन विराट ने इस सीरीज में 600 से ज्यादा रन ठोकर उसका जवाब दिया था.
हर फॉर्मेट के चेज मास्टर रहे विराट
विराट कोहली क्रिकेट इतिहास के पहले ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हें हर फॉर्मेट का चेज मास्टर कहा जाता था. चाहे बात टेस्ट क्रिकेट की हो या फिर वनडे या फिर टी-20 की. उनके बल्ले ने हर बार सामने वाली टीम को सोचने पर मजबूर किया कि आखिर इस खिलाड़ी से पार कैसे पाया जाए. इस बात की गवाही उनके आंकड़े भी देते हैं. अगर बात वनडे क्रिकेट की करें तो विराट के नाम 14 हजार से ज्यादा रन हैं जबकि इस फॉर्मेट में वो एकलौते ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने 50 शतक जड़ा है. टेस्ट में 9 हजार से ज्यादा रन और 30 शतक हैं. वहीं टी20 क्रिकेट में उनके नाम 4 हजार से ज्यादा रन हैं.

इस वजह से बेहद खास थे किंग कोहली
विराट कोहली ने भारतीय क्रिकेट को बतौर खिलाड़ी जो कुछ दिया वो अपने आप में अब एक इतिहास है. उन्होंने इस खेल को एक नया रूप दिया. इसे खेलने और इसे जीतने के नए नए तरीके बताए. कप्तानी मिली तो उसे ऐसा करके दिखाया कि कप्तान होने की नई परिभाषा ही गढ़ दी. जब दूसरे खिलाड़ी उम्र बढ़ने पर थोड़े सुस्त पड़ने लगते हैं तो विराट ने अपनी फिटनेस से ऐसा बेंचमार्क सेट किया जिसे तोड़ पाना अब मुश्किल ही है. अगर किसी मैच में बल्ले से कमाल नहीं कर पाए तो उसकी भरपाई विश्वस्तर की फिल्डिंग करके पूरी की. मैदान पर कई मौके पर इतने संजीदा नजर आए कि दूसरे खेमे के खिलाड़ियों ने भी उठकर तालियां बजाई.
कोहली हमेशा बड़े मौकों पर परफॉर्म करने वाले खिलाड़ी रहे. चाहे 2016 T20 वर्ल्ड कप हो या फिर 2018 में हुई इंग्लैंड सीरीज़ या फिर 2022 में पाकिस्तान के खिलाफ खेली गई पारी. जब उन्होंने अपनी पारी से पूरे मैच का रुख ही पलट दिया था. 2023 विश्वकप में तो उन्होंने सबसे ज्यादा 765 रन बनाए. टी20 विश्वकप 2024 में जब टीम को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी तो उन्होंने फाइनल मुकाबले में मैच जिताऊ पारी खेलकर टीम इंडिया का 17 साल का सूखा खत्म कर ट्रॉफी जिताई.

अपनी टीम के लिए टीम मैन हैं विराट
एक खिलाड़ी तब महान बनता है जब वह खेल के साथ-साथ दूसरे खिलाड़ियों का भी सम्मान करे. उनके लो में उन्हें मोटिवेट करे और उनसे उनका बेस्ट निकाले. विराट भी कुछ ऐसे ही रहे. उन्हें हमेशा एक टीम मैन की भूमिका में देखा गया. टीम को जब-जब जहां-जहां जरूरत महसूस हुई वो हमेशा सबसे आगे खड़े नजर आए. जब कप्तान थे तब भी और जब कप्तानी छोड़ी तब भी. उनके लिए सिर्फ टीम के लिए परफॉर्म करना और अपनी टीम के दूसरे खिलाड़ियों से बेस्ट परफॉर्मेंस निकाली ही सबसे जरूरी और पहली प्राथमिकता रही.

कमबैक्स के भी किंग हैं विराट
विराट कोहली का करियर केवल रन बनाने की कहानी नहीं है, बल्कि यह कमबैक्स की मिसाल भी रहे हैं. बार-बार गिरने और फिर उठने की कहानी हैं विराट कोहली. आलोचनाओं से उभरने और खुद को दोबारा साबित करने की दास्तां हैं कोहली. चाहे पात 2014 में इंग्लैंड में खराब प्रदर्शन के बाद वापसी की बात हो या फिर 2020 से 2022 के बीच रनों के जूझने की कहानी. वो जब भी गिरे, वापसी उन्होंने उससे भी ज्यादा धमाकेदार की. इंग्लैंड की सीरीज से मिली निराशा को उन्होंने 2016 में ऑस्ट्रेलिया के साथ खेली गई टी-20 सीरीज और उसके बाद में टी-20 विश्वकप में शानदार प्रदर्शन कर दूर किया. जइंग्लिश पेस और स्विंग के खिलाफ असफलता के बाद विराट ने अपनी तकनीक पूरी तरह बदली. उन्होंने साबित किया कि वो तकनीकी रूप से भी लड़ सकता है, सिर्फ टैलेंट से नहीं.
कोहली की ऐसी कई पारियां है जिसका जिक्र एक साथ कर पाना मुश्किल है. हो सकता है इस लेख में मैं उनके बारे में आपसे काफी कुछ ना बता पाया हूं लेकिन ऐसा इसलिए है क्योंकि वो खिलाड़ी ही इतना विराट है कि उनके बारे में हर बात को शब्दों का रूप दे पाना संभव नहीं है. कोहली के विराट होने के इस सफर में मैं भी एक प्रशंसक के तौर पर उनके साथ रहा. अब जब वो सफेद पोशाक में लाल गेंद को सीमा रेखा के बाहर पहुंचाते नहीं दिखेंगे तो उनकी कमी तो खलेगी. लेकिन विराट ने अपने खेल से ना सिर्फ हमें रोमांचित किया बल्कि आने वाली जेनरेशन को भी एक रास्ता दिखाया है. तुम हमेशा दिलोदिमाग में छाए रहोगे विराट.
डिस्क्लेमर: समरजीत सिंह एनडीटीवी में डिप्टी न्यूज एडिटर के पद पर हैं. इस लेख में लिखी गई बातें उनके निजी विचार हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं